Mystery of Temples: भारत को हमेशा से ही अध्यात्म और आध्यात्मिक अध्ययन का बड़ा केंद्र कहा जाता है। यहां के सदियों पुराने भव्य मंदिर इस बात के गवाह हैं कि इस देश में हमेशा से ही देवी-देवताओं और उनके पूजन को विशेष महत्व दिया गया है। कई सौ सालों से शान से खड़े इन प्राचीन मंदिरों में कई रहस्य छिपे हैं, जिन्हें सुलझाने में साइंस भी फेल है। हालांकि लोग इसे ईश्वर की कृपा मानते हैं। आइए जानते हैं भारत के ऐसे ही कुछ अद्भुत मंदिरों के विषय में-
Mystery of Temples: मां कामाख्या देवी मंदिर

असम की राजधानी गुवाहाटी के पास स्थित है देवी कामाख्या का मंदिर। यह मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती के मृत शरीर को एक हिस्सा इस मंदिर में गिरा था। जिन स्थानों पर माता सती के अंग गिरे वे शक्तिपीठ कहलाए। कहा जाता है कि नीलांचल पर्वत पर माता सती की योनि गिरी थी। यही कारण है कि यहां कामाख्या देवी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। कामाख्या मंदिर को शक्ति साधना का केंद्र कहा जाता है। माना जाता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यह विशाल मंदिर तीन भागों में बंटा है। हालांकि किसी को भी पहले भाग में जाने की अनुमति नहीं है। दूसरे भाग में मां की पूजा होती है। यहां पत्थर की एक आकृति से पानी निकलता है। माना जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा भी बहती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है, इसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।
ज्वालामुखी मंदिर

मां ज्वाला देवी का प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कालीधर पहाड़ियों में स्थित है। माना जाता है कि पांडवों ने इस मंदिर की खोज की थी। इस मंदिर की गिनती माता के प्रमुख शक्तिपीठों में होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती की जीभ गिरी थी और यहां धरती से अग्नि की लपटें माता सती की जीभ के प्रतीक के रूप में ही निकलती हैं।
खास बात यह है कि इस ज्वाला के नौ रंग हैं। जिन्हें माता के नौ रूप कहा जाता है। यह ज्योति महाकाली, चंडी, अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, अंबिका, सरस्वती और अंजी देवी का रूप है। इस मंदिर में आग की लपटें कहां से आती हैं और इनका रंग कैसे बदलता है, इसका पता आज तक वैज्ञानिक तक नहीं खोज पाए हैं। यह भी कहा जाता है कि कई मुगल शासकों ने इस ज्वाला को बुझाने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया।
करणी माता का मंदिर

राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है करणी माता का मंदिर। यह चूहों की माता मंदिर के नाम से देश ही नहीं विदेशों तक में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत है यहां हजारों की संख्या में मौजूद चूहे, जो अधिकांश काले रंग के हैं। कहा जाता है कि अगर किसी भक्त को सफेद चूहा दिख जाए तो उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
ये चूहे किसी भक्त को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इस मंदिर की मान्यता इतनी है कि यहां देशभर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। हैरानी की बात यह है कि देश में जब-जब भी जानलेवा बीमारी प्लेग फैला, इस मंदिर पर उसका कोई असर ही नहीं हुआ। भक्त इसे माता की कृपा मानते हैं। वहीं वैज्ञानिक इसके पीछे की वजह आजतक नहीं जान पाए हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

राजस्थान के दौसा जिले के पास स्थित है चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर। यह मंदिर हनुमान जी के दस प्रमुख सिद्धपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां साक्षात भगवान हनुमान विराजे हैं। यह मंदिर कई मायनों में अलग है। माना जाता है कि जिन लोगों पर भूत-प्रेत का वास होता है, वे यहां बिलकुल ठीक हो जाते हैं। मंदिर में कई बड़े कमरे हैं जहां सिर्फ लोगों की प्रेत बाधाएं दूर की जाती हैं। लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है। लेकिन बीमार लोग यहां कैसे अचानक ठीक हो जाते हैं, इसके राज आजतक कोई सुलझा नहीं पाया है।
काल भैरव मंदिर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है भगवान काल भैरव का प्राचीन मंदिर। यह मंदिर उज्जैन शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित है। यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां प्रसाद के रूप में भक्त भगवान कालभैरव को शराब चढ़ाते हैं। जैसे ही भक्त काल भैरव की मूर्ति के चेहरे से शराब की बोतल लगाते हैं तो यह पलभर में खाली हो जाती है। खास बात ये है कि यहां ऐसा कोई सुराख नहीं है जिससे चढ़ाई गई शराब बाहर आ जाए। ऐसे में यह शराब कहां जाती है इसका रहस्य आजतक कोई सुलझा नहीं पाया है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर

हिंदुओं के चार धामों में से एक है ओडिशा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस 800 साल पुराने मंदिर के कई रहस्य आज तक अनसुलझे हैं। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में ही लहराता है। माना जाता है कि दिन में हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती है, वहीं शाम को धरती से समुद्र की ओर।
लेकिन मंदिर की ध्वजा हमेशा उल्टी दिशा में ही लहराती है। ऐसा क्यों होता है, यह आज भी रहस्य है। मंदिर से जुड़ा दूसरा रहस्य आपको चैंका देगा। अक्सर आपने देखा होगा कि पक्षी मंदिरों के शिखर पर बैठ जाते हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के साथ ऐसा नहीं है। यहां के शिखर पर न ही पक्षी बैठते हैं न ही विमान उड़ पाते हैं।
वीरभद्र मंदिर

आंध्र प्रदेश में स्थित वीरभद्र मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। मंदिर की खास बात है इसमें बने 70 बड़े स्तंभ। दरअसल, इन स्तंभों में से एक ऐसा है जो छत को तो छूता है, लेकिन जमीन से जुड़ा हुआ नहीं है। इसे हैंगिंग पिलर कहा जाता है। मंदिर में आने वाले पर्यटक अकसर इस हैंगिंग पिलर के नीचे से कपड़ा निकाल कर यह चमत्कार देखते हैं। यह पिलर सालों से ऐसे हवा में कैसे लटका है, इसका पता आज तक नहीं लग पाया है।