Christmas 2025
Christmas 2025

Overview: आखिर 25 दिसंबर को क्यों मनाते हैं क्रिसमस

क्रिसमस 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन प्रेम, शांति, करुणा और मानवता के संदेश का प्रतीक है।

Christmas 2025: क्रिसमस ईसाई धर्म के सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में एक है। कई लोग इसे मैरी क्रिसमस या बड़ा दिन जैसे नामों से भी पुकारते हैं। क्रिसमस का पर्व दुनियाभर में हर साल 25 दिसंबर को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे, शांति और मानवता का वैश्विक संदेश है, जो हर साल दुनिया को एक साथ जोड़ देता है।

यह पर्व ईसा मसीह या यीशु मसीह के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। हालांकि, ईसा मसीह के जन्म को लेकर विद्वानों में अलग-अलग मत हैं। लेकिन फिर भी हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं।

क्यों 25 दिसंबर को ही मनाते हैं क्रिसमस

Christmas 2025 Date
Christmas 2025

25 दिसंबर वह तिथि है, जब जीजस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। हालांकि इसका बाइबल में कोई प्रमाण नहीं मिलत है। कई शताब्दियों तक इसाई समुदाय के लोगों ने जीजस के जन्मदिन के लिए कोई निश्चित तारीख तय नहीं की। फिर 350 ईस्वी में पोप जूलियस प्रथम ने पहली बार 25 दिसंबर को यीशू के जन्मदिन मनाने की तारीख के रूप में तय किया। इसके बाद 529 में रोमन सम्राट जस्टिनियन ने इस तिथि पर क्रिसमस या यीशू जन्मदिन मनाने और सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने की आधिकारिक तिथि की बात करें तो, इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले 336 ईस्वी रोम में पहले ईसाई सम्राट के शासनकाल में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने की शुरुआत हुई। इसके कुछ साल बाद पोप जूलियस ने इसी तिथि पर क्रिसमस मनाने को आधिकारिक रूप दिया और तब से आज कर दुनियाभऱ में इसी तिथि पर यानी 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

Christmas Day 2025 Importance
Christmas Day 2025 Importance

ईसाई धर्म में ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र और मानवता का उद्धारकर्ता माना जाता है। उनका जन्म बेथलहम की एक साधारण गौशाला में हुआ, जो यह संदेश देता है कि ईश्वर का प्रकाश वैभव नहीं, बल्कि नम्रता, त्याग और प्रेम में प्रकट होता है। क्रिसमस इसी करुणा और मानव-सेवा के भाव को स्मरण करने का पर्व है।

क्रिसमस से जुड़ी परंपराएं

xmas spirituality and tradition
xmas spirituality and tradition

क्रिसमस से पहले एडवेंट काल शुरू होता है, जो आत्मचिंतन और प्रार्थना का समय होता है। जैसे-

मिडनाइट मास:- क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसंबर की रात चर्चों में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित होती है। इसे मिडनाइट मास के नाम से जाना जाता है।

क्रिसमस ट्री:- सदाबहार वृक्ष जीवन को आशा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। क्रिसमस के दिन इस वृक्ष के आधार पर क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है।

सांता क्लॉज:- क्रिसमस की शुरुआत होती है सांता क्लॉज काफी फेमस हो जाता है, जोकि रात के समय बच्चों को उपहार देते हैं। सांता क्लोज द्वारा बच्चों को उपहार देने की परंपरा संत निकोलस से जुड़ी मानी जाती है।

केरोल और केक:- क्रिसमस सेलिब्रेशन में गीत, केरोल, केक, चॉकलेट और मिठाइयों के माध्यम से खुशी साझा की जाती है।

मेरा नाम पलक सिंह है। मैं एक महिला पत्रकार हूं। मैं पिछले पांच सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैं लाइव इंडिया और सिर्फ न्यूज जैसे संस्थानों में लेखन का काम कर चुकी हूं और वर्तमान में गृहलक्ष्मी से जुड़ी हुई हूं। मुझे...