क्या है मैरिटल रेप, बहुत सी महिलाएं अकसर होती हैं शिकार: Marital Rape
Marital Rape

Marital Rape: मैरिटल रेप समाज में होने वाला एक दुष्कर्म है जो काफी आम है और विवाहित पुरुष ऐसा करने से हिचकते भी नहीं हैं क्योंकि इसके विरुद्ध कोई कानून भी नहीं है। मैरिटल रेप से आज के समय में बहुत ज्यादा महिलाएं परेशान हैं और भारत में लगभग 82 प्रतिशत महिलाएं इसका शिकार हैं। इतनी बड़ी संख्या एक चौंका देने वाला नंबर है।

पुरुष महिलाओं पर अपनी मन मानी करते हैं क्योंकि वह उन्हें अपनी संपत्ति समझते हैं। कानून आने के साथ साथ लोगों की सोच में बदलाव आना भी काफी जरूरी है। तब ही इस प्रकार के दुष्कर्मों को रोका जा सकता है। आइए जान लेते हैं क्या है मैरिटल रेप और महिलाएं कैसे इसका शिकार हैं। 

मैरिटल रेप क्या है? 

Marital Rape
Marital Rape Meaning

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शादी होने के बाद पुरुष महिला की मर्जी के विरुद्ध उससे शारीरिक संबंध बनाता है। भारत में अधिकतर महिलाएं घरेलू हिंसा के साथ साथ मैरिटल रेप जैसी स्थितियों का भी सामना करती हैं। मैरिटल रेप को घरेलू हिंसा और यौन शौषण से ही जोड़ कर देखा जाता है। हमारे समाज में पहली बात तो इस दुष्कर्म के खिलाफ कोई नियम नहीं है। दूसरा अगर महिलाएं किसी को बताती भी हैं तो उनका सब मजाक ही उड़ाते हैं क्योंकि यह धारणा काफी आम है कि विवाह के बाद महिला पुरुष की संपत्ति हो जाती है। इसके बाद चाहे वह उसके साथ कुछ भी कर सकता है ऐसा माना जाता है और महिला की आवाज को इन्हीं कुछ विचारधाराओं के आधार पर रौंद दिया जाता है। 

82% महिलाएं हैं मैरिटल रेप का शिकार

Marital Rape Case
Marital Rape Case

देश में कूल 82 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो शादी के बाद मैरिटल रेप का शिकार होती हैं। मैरिटल रेप को शारीरिक हिंसा से भी जोड़ कर देखा जा सकता है क्योंकि अगर महिला संबंध बनाने से इंकार करती है तो पति उस के साथ घरेलू हिंसा भी कर सकता है। यह उससे भी बुरा है। यह आंकड़े हमारे देश में महिलाओं की स्थिति को बयान करने के लिए काफी हैं। 14 प्रतिशत महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने घरेलू हिंसा और पति द्वारा की जाने वाली यौन हिंसा के कारण ही अपने पति से तलाक ले लिया है। अगर कोई महिला इस वजह से अपने पति से दूर होने का फैसला भी ले लेती है तो उसे समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसके पति को खुश न कर पाने में उसकी गलती ही है। इस तरह महिलाओं पर ही सारी गलती का भार सौंप दिया जाता है। 

कोर्ट की तरफ से भी नहीं है कोई मदद

भारत में मैरिटल रेप के केस में कोई सजा नहीं है जो कि पुरुषों को महिलाओं का यौन शोषण करने का और ज्यादा अधिकार दे देता है। इसके ऊपर कानून बनवाने को लेकर दिल्ली के हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, जिसमें से दो जजों की बेंच इस कानून बनने के खिलाफ रही। दो साल बाद यह मामला आज तक सॉल्व नहीं हो पाया है। इसका फैसला होने हेतु इसे सुप्रीम कोर्ट में भेजा जा सकता है।

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मैरिटल रेप के प्रति मां बाप को भी अपने बच्चों को सिखाना चाहिए और अच्छे संस्कारों से ही आगे जा कर इस तरह की सामाजिक बुराइयों को खत्म किया जा सकता है। मां बाप को अपने लड़के को लड़कियों की मर्जी के महत्त्व के बारे में समझाना चाहिए और आज के समाज की सोच के बिलकुल विपरीत जाना चाहिए।