Mantra Jaap Vidhi
Mantra Jaap Vidhi

Mantra Jaap Vidhi: हिंदू धर्म में पूजा-अनुष्ठान के दौरान मंत्र जाप का विधान है। मंत्र उच्चारण के बिना पूजा या अनुष्ठान पूर्ण नहीं माने जाते हैं। वैदिक काल से ही मंत्र उच्चारण या जाप करने की परंपरा रही है। धर्म शास्त्रों में भी मंत्र जाप के विशेष महत्व बताए गए हैं। शास्त्रों में कहा गया है, ‘मननात् त्रायते इति मंत्र’। यानी मनन करने पर जो त्राण दे या रक्षा करें उसे मंत्र कहते हैं या वही मंत्र होता है। धर्म, कर्म और मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रेरणा देने वाली शक्ति को भी शास्त्रों मंत्र कहा गया है। तंत्र अनुसार देवता की सूक्ष्म शरीर को या फिर इष्टदेव की कृपा को भी मंत्र कहते हैं। दिव्य शक्तियों की कृपा पाने के लिए उपयोगी शक्तिशाली शब्द को भी मंत्र कह सकते हैं। इस प्रकार शास्त्रों में मंत्र को विभिन्न अर्थो में बताया गया है। मान्यता है कि प्राचीन समय में वैदिक ऋषियों ने वेद मंत्रों की रचना की थी। आज भी पूजा-पाठ के दौरान मंत्र जाप करने का विधान है।

मंत्रों के प्रकार

Mantra Jaap Vidhi
Mantra Types

बता दें कि मंत्र साधना या मंत्र द्वारा अनुष्ठान, पूजा पाठ करने के विभिन्न प्रकार होते हैं। कुछ पूजा-अनुष्ठान तो ऐसे होते हैं जोकि मंत्रों के बिना पूर्ण नहीं माने जाते। इसलिए हिंदू धर्म में मंत्रों का खास महत्व होता है। मंत्र जाप विशेषतौर पर तीन प्रकार के होते हैं। इनमें वाचिक, उपांशु और मानसिक जप होता है। जिसमें सस्वर मंत्र का उच्चारण होता है उसे वाचिक जप कहते हैं। वहीं उपांशु जप में जुबान और ओष्ठ से इस प्रकार मंत्र उच्चारण किया जाता है जिसमें केवल ओष्ठ कंपित होते हुए प्रतीत होता है और मंत्र उच्चारण केवल स्वयं को ही सुनाई देता है यानी आपके आसपास के लोग मंत्र को नहीं सुनते। ऐसा मंत्र उपांशु जप की श्रेणी में आता है। मानसिक जब उसे कहते हैं जिसे केवल अंतर्मन में किया जाता है। आमतौर पर मानसिक जब सुखासन या पद्मासन में ध्यान मुद्रा में किया जाता है।

हिंदू धर्म में जिस प्रकार पूजा पाठ के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार मंत्र जाप के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। कई धार्मिक ग्रंथों में भी मंत्र उच्चारण से संबंधित उल्लेख मिलते हैं। इममें बताया गया है कि ईश्वर की आराधना कैसे करें और किस प्रकार की पूजा विधि अपनाएं। शास्त्रों में बताया गया है कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है। आप चाहे किसी भी प्रकार का मंत्र जाप क्यों ना करें, लेकिन इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि मंत्र का उच्चारण सही ढंग और सही तरीके से किया जाए तभी इसका सकारात्मक और शुभ प्रभाव न सिर्फ आपकर बल्कि पूरे ब्रह्मांड पर पड़ता है। मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि व्यक्ति के जीवन को भी बदला जा सकता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में मंत्रों जप का विशेष स्थान है।

अलग-अलग देवी-देवता के मंत्र के लिए मालाएं

mantra jaap ke niyam
mantra jaap ke niyam

आमतौर पर लोग मंत्र जाप माला से ही करते हैं। मंत्र जाप करने के लिए माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है क्योंकि इससे जाप करते समय मंत्रों की संख्या में कोई गलती ना हो। एक माला में लगभग 108 दाने होते हैं इन्हें मनका कहा जाता है। हालांकि अलग-अलग मंत्र जाप के लिए माला भी अलग-अलग होती हैं। जैसे भगवान शिव की पूजा रुद्राक्ष की माला से करना शुभ माना जाता है। देवी लक्ष्मी की पूजा में अधिकतर कमल गट्टे की माला का प्रयोग करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा में चंदन या फिर तुलसी की माला का उपयोग करना उत्तम माना जाता है। ज्ञान की देवी सरस्वती और मां अम्बें की पूजा में किए जाने वाले मंत्र जाप में स्टफिक की माला का उपयोग होता है। भगवान गणेश के मंत्र जाप के लिए हल्दी की माला अच्छी होती है। मां काली के मंत्रों का जप काली हल्दी या फिर नील कमल की माला से करना चाहिए। मां दुर्गा के मंत्रों का जाप लाल रंग के चंदन या रक्त चंदन की माला से करना शुभ होता है। इसी तरह भगवान कृष्ण के मंत्र जाप के लिए सफेद चंदन की माला, सूर्य देव के मंत्र जाप के लिए माणिक्य या बेल की लकड़ी की माला और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करने के लिए मोती की माला को उत्तम माना गया है।

इन बातों का भी रखें ध्यान

  1. जिस प्रकार पूजा पाठ करने से पहले शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करना जरूरी होता है। इसी तरह मंत्र जाप के पहले भी शुद्धि आवश्यक होती है। इसलिए दैनिक क्रिया से निवृत्त होने और स्नान आदि के बाद ही जप करना चाहिए।
  2. आप जिस स्थान पर जप करें उसे भली-भांति साफ कर लें और स्वच्छ आसन पर बैठकर जाप करना चाहिए। जाप पूरा होने के बाद आसन को अच्छे से उठाकर संभालकर रखें, इसे इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहिए। मंत्र जाप के लिए विशेष तौर पर कुश के आसन को सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि कुश ऊष्मा का सुचालक होता है। इससे मंत्र जाप करने के दौरान ऊर्जा हमारे शरीर में समाहित होती है। अगर कुश का आसान उपलब्ध न हो तो आप किसी साफ कपड़े के आसन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  3. वैसे तो किसी भी समय मंत्रों का जाप किया जा सकता है। लेकिन प्रातःकाल का समय मंत्र जाप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इस समय का वातावरण शांत, शुद्ध और सकारात्मक होता है। यदि आप नियमित रूप से मंत्रों का जाप करते हैं तो इसके लिए कोई एक स्थान सुनिश्चित कर लें और प्रतिदिन इसी स्थान पर निश्चित समय पर जाप करें।
  4. जाप करने के लिए प्रयोग की जाने वाली माला को कभी भी खुला नहीं रखना चाहिए। जाप करने के बाद माला को गौमुखी के अंदर ढककर रखना चाहिए।
  5. जाप करने की माला में दाने या मनके की संख्या 108 होनी चाहिए और हर मनके के बीच एक गांठ लगी होनी चाहिए, जिससे कि जप की संख्या में कोई त्रुटि न हो। इसलिए जब आप जाप करने की माला खरीदें तो भली-भांति इन चीजों को देख लें।
  6. आप जिस देवी देवता से संबंधित मंत्रों का जाप करें, मन में उनका स्मरण करते हुए जाप करना चाहिए। नियमित रूप से कम से कम एक माला का जाप पूर्ण अवश्य करना चाहिए।
  7. मंत्र जाप करते समय इस तरह बैठे कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। वहीं माला से जाप हमेशा दाएं हाथ से करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें की माला आपके नाखून से स्पर्श न होकर उंगलियों से स्पर्श करती हो। जाप करने से पहले माला को सबसे पहले गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए।

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...