बेटियां ही नहीं बेटों को भी बनाएं आत्मनिर्भर
कभी ना कभी उनकी जिंदगी में एक ऐसा समय आएगा जब वो बच्चे नहीं रहेंगे। बेटा हो या बेटी समय से ही छोटी छोटी बातों में उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दें।
Parenting Tips: सालों से एक प्रथा चली आ रही है, हालांकि, आजकल इसका खंडन होता भी नज़र आ रहा है। बेटों से घर का काम करवाना जैसे कोई बहुत बड़ा अपराध हो। जिसकी कोई माफ़ी ही नहीं। क्या कभी आपने ये सोचने की कोशिश करी है। अगर हम इसी तरह अपने बेटों को घर के काम से दूर रखेंगे तो कितने नुक्सान उन्हें उठाने पड़ेंगे। छोटे छोटे कामों से शुरुआत करवाएं। इस तरह बच्चे के अंदर आत्मविश्वास आएगा। कभी ना कभी उनकी जिंदगी में एक ऐसा समय आएगा जब वो बच्चे नहीं रहेंगे। बेटा हो या बेटी समय से ही छोटी छोटी बातों में उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दें। ध्यान रखें ये सब सिखाने से नहीं उनके सामने उदाहरण पेश करने से उनको जल्दी समझ आएगा।
बेटियों की ही तरह बेटों को भी छोटे छोटे कामों में आत्मनिर्भर बनने दें।
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सुबह से करें शुरुआत
जब बच्चा सुबह सो कर उठे, उसे थोड़ी देर सुस्ताने दें। इसके बाद अपने बेटे को उसका बिस्तर ठीक करने के लिए कहें। ना सिर्फ कहें, बल्कि आप खुद उसके लिए एक उदाहरण बनें। जब आप सो कर उठें समय ना गंवाते हुए अपना बिस्तर तुरंत ठीक करें। आपकी इस आदत से बच्चा प्रभावित होगा। इस अच्छी आदत को वो अपने जीवन का हिस्सा बना लेगा। तकिया ठीक करना, बिस्तर झाड़ना और चादर तय करने जैसे आसान काम से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास का बीज बोएं।
मेहमानों का अनोखा स्वागत
घर में किसी गेस्ट के आने पर हम बच्चे को एक जगह रहने की सलाह दे देते हैं। इस तरह बच्चे के अंदर एक दर समां जाता है। वो सोचने लगता है शायद वो कोई काम करने में सक्षम नहीं है। इसलिए उसे एक जगह चुप बैठने की हिदायतें दी जाती हैं। इसके उलट एक काम करें। बच्चे को बताएं हमारे घर में गेस्ट आने वाले हैं। उन्हें जताएं उनकी भी मदद चाहिए होगी। इस तरह बच्चा काफी सकारात्मक महसूस करेगा। बच्चे से मेहमानों को सूखा नाश्ता सर्व करने के लिए कहें।
सफाई का मोल
बच्चे को सफाई का मोल समझाने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी। जिस तरह हमसे अनजाने में गलती होती है। ठीक उसी तरह बच्चों से भी काम गड़बड़ हो ही जाते हैं। जब लाभ बच्चे से फर्श पर कुछ गिर जाए। उसे खुद साफ़ करने की जगह बच्चे को सिखाएं। सफाई कैसे की जाती है। झाड़ू या डस्ट पैन की मदद ले कर वो आसानी से कचरा साफ़ कर सकते हैं। ओवरप्रोटेक्टिव होने की जगह बच्चे का मनोबल बढ़ाएं
प्रकर्ति के करीब लाएं
बच्चों को प्रकर्ति से बहुत लगाव होता है। उनके इस लगाव को फलने फूलने दें। घर के गमलों में उग रहे पौंधों से उनकी दोस्ती कराएं। बाहर आते जाते समय अलग अलग पेड़ पौधों की पत्तियां , फल, फूल तना आदि दिखा कर उनका ज्ञान बढ़ाएं। बच्चों को मिटटी में खेलना बहुत पसंद होता है। एक गमला उन्हें दें और नन्हे पौधे की देख रेख करने को कहें। अपने सामने पानी डलवाएं। बच्चे को अपनी जिम्मेदारी महसूस होने लगेगी और ीोस तरह उसका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।