Maharishi Valmiki Lessons: समूचे भारतवर्ष के आराध्य भगवान श्री राम के कई भक्त हुए लेकिन उनमें से महर्षि वाल्मिकी का एक अनन्य स्थान है। महर्षि वाल्मिकी ने भगवान श्री राम की वरेण्य भक्ति की और श्री राम के जीवन पर आधारित महान ग्रंथ रामायण की रचना की। आज यदि हम सभी तक भगवान राम की लीलाओं की कथाएं और कहानियां पहुंची हैं, तो उसका श्रेय केवल महर्षि वाल्मिकी को ही जाता है। वाल्मिकी जी का जीवन वृत्त काफी ज्यादा प्रेरणादायी है। ऐसे में जब देश भर में उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है तो इनकी पांच खास शिक्षाओं के बारे में जानते हैं, जो आपका जीवन बना देंगी पर उससे पहले उनकी जीवन यात्रा पर नजर डालते हैं।
रत्नाकर डाकू से महर्षि वाल्मिकी तक की यात्रा
महर्षि वाल्मिकी का बचपन का नाम रत्नाकर था। बचपन के दिनों में एक दिन रत्नाकर अपने कुछ दोस्तो के साथ जंगल गए लेकिन वे रास्ता भटक गए। जंगल में एक कोमल बालक को अकेले भटकता देखकर एक शिकारी रत्नाकर को अपने घर ले आए। बड़े होने पर रत्नाकर ने भी शिकार से अपने परिवार का पेट पालना आरंभ किया। विवाह होने पर जब रत्नाकर का परिवार शिकार से नही चल पा रहा था, तो को डाकू बन गए। एक बार वो भगवान की लीलावश नारद मुनि को लूटने गए, जहां नारद मुनि ने उन्हे धर्म अधर्म का बोध कराया। जिसके बाद ये लूटपाट छोड़कर भगवान की आराधना पर आगे बढ़े और आगे चलकर महर्षि वाल्मिकी के नाम से प्रसिद्ध हुए।
जीवन आसान बना देंगी महर्षि वाल्मिकी की ये 5 जरूरी सीख : Life Lessons Of Maharishi Valmiki
इच्छाशक्ति से सब होता है

महर्षि वाल्मिकी का जीवन कालखंड हो या उनकी रचनाएं सभी असीम शक्तिशाली और प्रासंगिक शिक्षाओं का भंडार हैं। हर व्यक्ति अपने जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव देखता है ऐसे में वो कई बार थक हार जाता है। वो अनुभव करता है जैसे कुछ नही बचा, ऐसे में आपकी इच्छाशक्ति ही काम आयेगी। महर्षि वाल्मिकी ने बताया है कि मानव की इच्छाशक्ति ही उसके उत्थान या पतन का निर्धारण करती है। अगर आपकी इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प आपके साथ है, तो आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत कर लो, सब आसान हो जाएगा।
गलत पर क्रोध करें, विरोध करें

महर्षि वाल्मिकी ने कहा कि अधिक रगड़ने पर तो चंदन की लकड़ी भी आग पकड़ ले, फिर लगातार अवज्ञा से क्रोध आना साधारण बात है। एक समय तक आप गलत सहन कर लेते हैं, लेकिन उसके बाद आपको क्रोध आना तय है। इस गलत का, क्रोध की अग्नि से विरोध करें।
संत की यह है परिभाषा

महर्षि वाल्मिकी ने सच्चे संत को परिभाषित करते हुए कहा की जो दूसरों को दु:ख से बचाने के लिए लाखों कष्ट सह जाए वही संत है। जबकि दुष्ट तो बस दुख ही बांटते हैं।
सच कड़वा है

महर्षि वाल्मिकी ने सत्य के बारे में सत्य लिखा। उन्होंने कहा है कि संसार में कुछ लोग आपको कड़वी बात बोलते हैं, लेकिन असल में वो आपकी भलाई चाहते हैं। वो सत्य बोलते हैं।
छोटी मानसिकता के व्यक्ति पर विश्वास न करें

कई लोग मानसिकता से इतने नीच होते हैं कि वो हमेशा ही झुककर वार करते हैं। उनकी नीचता को जाने, उनकी विनम्रता से प्रभावित न हों। सांप हो, अंकुश हो, बिल्ली हो ये सब भी झुककर ही वार करते हैं। महर्षि वाल्मिकी ने कहा है अपने शुभचिंतकों को पहचाने।
