क्यों है नागा साधुओं की शाही बारात का विशेष महत्व?: Maha Kumbh 2025
Maha Kumbh 2025

Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ का आयोजन हर बारह वर्ष में होता है, और इसका एक खास आकर्षण नागा साधुओं की शाही बारात होती है। महाकुंभ के दौरान जब नागा साधु अपनी शाही बरात लेकर निकलते हैं, तो यह एक अत्यंत ऐतिहासिक और धार्मिक घटना होती है। नागा साधुओं की शाही बारात का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।

यह बारात न केवल महाकुंभ के धार्मिक उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान शिव के साथ नागा साधुओं के गहरे संबंध को भी दर्शाती है। इन साधुओं का मानना है कि महाकुंभ में उनका शामिल होना और शाही बारात का हिस्सा बनना भगवान शिव की कृपा का संकेत है, जो उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में शुभ और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करता है।

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भगवान शिव की दिव्य और ऐतिहासिक बारात

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के लिए कैलाश से अपने ससुराल की ओर रवाना हुए, तो उनकी बारात बेहद भव्य और दिव्य थी। इस बारात में समस्त ब्रह्मांड और तीनों लोकों के देवी-देवता, सुर-असुर, गंधर्व, यक्ष-यक्षिणी, साधु-संत, तांत्रिक, और सभी ग्रह शामिल थे। भगवान शिव की बारात को अद्वितीय और अलौकिक माना जाता है, क्योंकि उसमें संपूर्ण सृष्टि की उपस्थिति थी। इसे अब तक की सबसे बड़ी और भव्य बारात माना जाता है, जो अपने महान आकार और दिव्य वातावरण के कारण एक ऐतिहासिक और पौराणिक घटना बन गई।

नागा साधुओं का दुख और भगवान शिव का वचन

जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश लौटे, तो कैलाश के प्रवेश द्वार पर खड़े नागा साधु उन्हें देखकर रो पड़े। वे भगवान शिव से शिकायत करते हुए बोले कि वे शिव बारात का हिस्सा नहीं बन पाए, जिससे वे बेहद दुखी थे। भगवान शिव ने उनकी दुखभरी भावना को समझते हुए उन्हें वचन दिया कि भविष्य में वे भी शाही बारात निकालने का अवसर पाएंगे, जिसमें भगवान शिव उनके साथ साक्षात होंगे।

समुद्र मंथन के बाद जब महाकुंभ का पहला आयोजन हुआ, तब भगवान शिव की प्रेरणा से नागा साधुओं ने भव्य शाही बारात निकाली, जिसमें वे भस्म, रुद्राक्ष और फूलों से सजे थे। यह आयोजन महाकुंभ की शुरुआत के रूप में ऐतिहासिक माना जाता है, और इसे भगवान शिव की कृपा का प्रतीक भी माना जाता है।

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