Shopping Addiction
Don;t go for impulse shopping

Summary: आय बढ़ने पर खर्च क्यों बढ़ जाते हैं और समाधान

लाइफस्टाइल इंफ्लेशन वह स्थिति है जब आय बढ़ने पर खर्च भी बढ़ने लगते हैं, जिससे बचत और निवेश पर असर पड़ता है। इससे बचने के लिए खर्च पर नियंत्रण, जरूरत और चाहत में फर्क, और बचत को प्राथमिकता देना जरूरी है।

Lifestyle Inflation: आजकल हर कोई अच्छा जीवन जीने की चाह में है। थोड़ी सी आय बढ़ते ही लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने लगते हैं। दरअसल, सब कुछ उपलब्ध भी इतनी आसानी से हो जाता है की व्यक्ति को कुछ भी खरीदने के पहले दोबारा सोचना की जरूरत ही महसूस नहीं है।  लेकिन कई बार यह बदलाव इतना तेज होता है कि बचत और वित्तीय स्थिति प्रभावित होने लगती है। इसी को लाइफस्टाइल इंफ्लेशन कहा जाता है। यह ऐसा छिपा हुआ आर्थिक जाल है जिसमें अधिकांश लोग फंस जाते हैं। जानते हैं आखिर क्या है ये लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन और इससे बचने के कौन से तरीक़े हो सकते हैं।

लाइफस्टाइल इंफ्लेशन क्या है?

लाइफस्टाइल इंफ्लेशन वह स्थिति है जब व्यक्ति की आय बढ़ने पर उसके खर्च भी उसी अनुपात में बढ़ने लगते हैं। जैसे ही प्रमोशन या सैलरी में इज़ाफा होता है, लोग महंगे गैजेट्स, लग्ज़री प्रोडक्ट्स, महंगे रेस्टोरेंट या बड़ी पर खर्च करना शुरू कर देते हैं। धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है और बचत करने की क्षमता कम हो जाती है।

क्यों बन जाती है समस्या

only one third of the women of the country are such who take all their decisions with confidence.
only one third of the women of the country are such who take all their decisions with confidence.

बचत की कमी: आय बढ़ने पर लोग खर्च बढ़ा देते हैं और इस वजह से निवेश और सेविंग्स प्रभावित होती हैं।

भविष्य की असुरक्षा: बचत कम होने की वजह से अचानक आने वाली आर्थिक चुनौतियों के लिए तैयारी मुश्किल हो जाती है।

मानसिक दबाव: बढ़ते खर्च से अधिकांश लोग कर्ज़ लेने लगते हैं, जिससे तनाव बढ़ता है।

लाइफस्टाइल इंफ्लेशन के संकेत

  • सैलरी बढ़ने के तुरंत बाद महंगी ख़रीदारी करना
  • गैर-ज़रूरी चीजों पर ज़्यादा खर्च
  • बचत के प्रति कम रुझान
  • निवेश का प्रतिशत घटते जाना
  • कर्ज़ पर निर्भर होना

कैसे बचें लाइफस्टाइल इंफ्लेशन से

बजट बनाएं और उसका पालन करें

हर महीने अपनी आय और खर्च का ट्रैक रखें। प्रमोशन या बोनस मिलने पर तुरंत खर्च बढ़ाने के बजाय पहले बचत को प्राथमिकता दें।

बचत का प्रतिशत तय करें

सैलरी बढ़ने के साथ अपनी बचत का प्रतिशत भी बढ़ाएं। 50-30-20 रूल (50% ज़रूरी खर्च, 30% इच्छाएं, 20% बचत) अपनाएं। बचत के लिए ऑटोमेटेड सेविंग रूल फॉलो करें।

जरूरत और चाहत में फर्क समझें

कोई भी बड़ा खर्च करने से पहले सोचें कि वाकई आपको उसकी जरूरत है या सिर्फ दूसरों को देखकर आपको भी उसको लेने की इच्छा हो रही है। सोशल मीडिया के दिखावे यह आदत अनावश्यक खर्चों को कम करती है।

निवेश को प्राथमिकता दें

आय में बढ़ोतरी होने पर म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉज़िट या रिटायरमेंट फंड में निवेश बढ़ाएं। यह आपके भविष्य को सुरक्षित रखेगा।

डिस्काउंट और सेल से बचें

लोगों को लुभाने के लिए आजकल तरह-तरह के डिस्काउंट और सेल आते रहते हैं। लेकिन, इनके झाँसे में आने से बचें।

तो, आप भी इन तरीक़ों को अपनाकर लाइफस्टाइल इंफ्लेशन से बच सकते हैं। आय बढ़ने के साथ खर्च पर नियंत्रण और बचत को प्राथमिकता देना बेहद ज़रूरी है। याद रखें, असली संपन्नता केवल आय से नहीं बल्कि सही फाइनेंशियल मैनेजमेंट से आती है। संतुलित जीवनशैली अपनाकर आप न केवल वर्तमान को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि भविष्य के लिए मजबूत आर्थिक आधार भी बना सकते हैं।

अभिलाषा सक्सेना चक्रवर्ती पिछले 15 वर्षों से प्रिंट और डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में दक्षता रखने वाली अभिलाषा ने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान टाइम्स, भोपाल से की थी। डीएनए, नईदुनिया, फर्स्ट इंडिया,...