Divita Juneja: थिएटर के बाद बॉलीवुड में अपने अभिनय की शुरुआत करने जा रहीं दिविता जुनेजा बहुत जल्द फिल्म ‘हीर एक्सपे्रस’ से अपना डेब्यू करने जा रही हैं। इस मौके पर गृहलक्ष्मी से उन्होंने फिल्म और अपने निजी जीवन से जुड़े अनुभवों को सांझा किया।
इंस्टाग्राम से बॉलीवुड का सफर कैसा रहा? मैं इंस्टा पर बहुत ज्यादा पोस्ट नहीं डालती और न ही बहुत ज्यादा यूज करती हूं, तो इसे इंस्टा से बॉलीवुड का सफर नहीं कहेंगे। लेकिन मेरे दोस्तों ने, मेरे आसपास के लोगों ने खासकर मेरे सर अभिषेक शर्मा ने मुझे बहुत मोटिवेट किया। वो 200 बच्चों के
बीच में सिर्फ मुझसे कहते थे, ‘तुम कर सकती हो।’ जबकि उनके सैकड़ों स्टूडेंट थे। तो मुझे भरोसा होने लगा। मैंने जो शो किए, उनमें ऑडियंस की प्रतिक्रिया देखकर लगा कि हां, मैं कर सकती हूं। और फिर किस्मत से एक फंक्शन में उमेश शुक्ला सर से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे फिल्म का
ऑफर दिया। तो इस पूरे सफर को मैं इंस्टाग्राम का नहीं, बल्कि भगवान का मिलाया हुआ संयोग कहूंगी।
हीर और दिविता को एक लाइन में डिफाइन करें?
हीर और दिविता एक जैसी ही हैं, उन में ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों की जिंदगी में उनकी फैमिली सबसे ज्यादा मायने रखती है और दोनों ही अपने परिवार के लिए जान तक दे सकती हैं। दोनों चैलेंज में विश्वास रखती हैं और खुद पर भरोसा करती हैं। इतना ही नहीं, हीर और दिविता- दोनों को अपनी फैमिली का पूरा सपोर्ट मिलता है। हीर, दिविता से बहुत अलग नहीं है, इसलिए फिल्म करते वक्त मुझे ज्यादा मुश्किल नहीं हुई।
साउथ से आपको एक्टिंग का ऑफर आए तो क्या करेंगी?
मैं साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री का सम्मान उनके सांस्कृतिक मूल्यों, अपने काम के प्रति उनके जुनून और हर चीज को लेकर उनकी बारीकी और समर्पण वाकई काबिल-ए- तारीफ है। बाकि उस फिल्म की स्क्रिह्रश्वट कैसी है, उसका डायरेक्टर कैसा है? अगर वो चीज मुझे प्रभावित करती है तो मैं जरूर कोशिश करुंगी।
बॉलीवुड में किस एक्टर के साथ काम करना चाहती हैं?
सच कहूं तो हमारी जो फिल्म इंडस्ट्री है, वह एक से एक प्रतिभाशाली कलाकारों से भरी हुई है। तो मेरी ऐसी कोई खास पसंद नहीं है, लेकिन मैं अभिनेता डायरेक्टर पर विश्वास करती हूं क्योंकि वह जानता है कि फिल्म की कहानी साथ कौन सा अभिनेता न्याय कर पाएगा। लेकिन अगर मैं एक फैन के तौर पर बात करूं तो शुरू से ही मेरा सपना रहा है कि मुझे कभी मिस्टर शाहरुख खान के साथ काम करने का मौका मिले। वो एक ऐसे इंसान हैं जैसे एक पुरुष को होना चाहिए, जिस तरह वो लोगों से पेश आते हैं, जिस तरह वो महिलाओं की इज्जत करते हैं। उनके साथ काम करने
जैसा बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता, जहां न सिर्फ एक बेहतरीन कलाकार बनना सीखा
जा सके, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा भी मिले।
आपका स्किनकेयर रूटीन क्या है?

मेरा स्किन केयर रूटीन काफी रिच है, और इसके लिए सबसे जरूरी है खुश रहना- यही मेरा पहला मंत्रा है। मैं मेडिटेशन करती हूं और चेहरे पर ज्यादा प्रोडक्ट्स अह्रश्वलाई नहीं करती, खासकर केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स तो बिल्कुल नहीं। मुझे अपना चेहरा हमेशा हाइड्रेटेड रखना पसंद है, इसलिए हमेशा मॉइश्चराइजर जरूर लगाती हूं! अभी तक तो सब ठीक चल रहा है, लेकिन फिल्म
इंडस्ट्री में आने के बाद इसे कितना मेन्टेन कर पाऊंगी, ये तो वक्त ही बताएगा। वैसे मैं नेचुरल हूं और नेचुरल ही दिखना चाहती हूं।
फिटनेस के लिए क्या करती हैं?
योगा और सैर- यही मेरी फिटनेस रूटीन है। मैं रोजाना 18,000 स्टेह्रश्वस चलती हूं और पौष्टिक आहार लेती हूं। मैं हर दिन लगभग एक घंटे तक स्विमिंग करती हूं। शामें अक्सर व्यस्त रहती हैं, लेकिन मैं हफ्ते में कम से कम 4 बार पिलाटे करने की कोशिश करती हूं।
फिट रहने के लिए कौन सी डाइट लेती हैं?
मेरी कोशिश रहती है कि जितनी कैलोरी लूं, उससे ज्यादा बर्न करूं। मेरे लिए वजन को नियंत्रित रखना बिल्कुल बैंक अकाउंट जैसा है। जितना कैलोरी उसमें डिपॉजिट करेंगे उससे ज्यादा बर्न करेंगे तो अकाउंट हमेशा नेगेटिव रहेगा और मुझे अपना वेट वाला अकाउंट नेगेटिव ही रखना है।
खाने में आपको सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
मैं बहुत फूडी हूं और मुझे सबसे ज्यादा पसंद है साउथ इंडियन फूड जैसे इडली, डोसा, उत्तपम और सांभर वडा। वैसे मुझे गोलगह्रश्वपे भी बहुत पसंद है और जम्मू कुलचा भी। और हां, मैं शुद्ध शाकाहारी
खाने को ज्यादा तवज्जो देती हूं।
अपने घर में आप सबसे ज्यादा किस के करीब हैं
मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जो बहुत ही एकजुट है। इसलिए किसी एक को चुनना मेरे लिए मुमकिन के बराबर है। मैं अपने मम्मी-पापा से बेहद प्यार करती हूं। अपने घर में मैं सभी के बहुत करीब हूं, लेकिन मेरा अपने छोटे भाई के साथ बहुत अच्छा बॉन्ड है। जब भी मैं उसके साथ होती हूं, तो उसके साथ बिताया हुआ टाइम मेरा फेवरेट टाइम होता है।
अपने सबसे बुरे समय में सबसे ज्यादा आपको किसने कौन मोटिवेट करता है?
मैं जब भी किसी तकलीफ में होती हूं, तो मैं अपने मम्मी-पापा से बात करती हूं। पापा की बातें मुझे यह भरोसा देती हैं कि मैं कर सकती हूं। मम्मी हमेशा मुझे ये समझाती हैं कि गिव युअर बैस्ट, डू युअर बैस्ट, डोंट वरी अबाउट रिजल्ट, भगवान जो फल देंगे वो अच्छा ही होगा। तो आप यूं समझिए कि मेरेपापा-मम्मी ही मुझे सबसे ज्यादा मोटिवेट करते हैं।
आपके पर्स में कौन सी ऐसी 5 चीजें रहती हैं जिनके बिना आप नहीं रह सकती हैं?
मेरे पर्स में मेरे कार्डस, परफ्यूम, फोन, इअर-पॉड्स, और थोड़ा सा कैश हमेशा साथ रहता है।
आप किस तरह के ड्रेसेस में कम्फर्ट फील करती हैं?
मैं इंडियन अटायर्स में ज्यादा आरामदायक महसूस करती हूं, जो एलिगेंट भी लगें और ग्रेसफुल भी। अगर मुझे कोई चुनना हो तो मैं एथनिक पहनना ज्यादा पसंद करती हूं, कुर्ती के साथ जींस, मुझे
इंडियन लुक ही पसंद है, जो मुझे ज्यादा ग्राउंडेड और खूबसूरत महसूस कराता है।
आपका फैशन फंडा क्या है?

आई एम नॉट वेरी फैशनेबल गर्ल और आई जस्ट वांट टू लुक गुड, फील गुड। मेरा फैशन मंत्रा बहुत ही सरल है- वही पहनिए जो आपको सबसे ज्यादा सूट करता हो। ऐसा पहनिए जिसमें आप अपने आप में सहज और आत्मविश्वासी महसूस करें। मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत ज्यादा ट्रेंड्स को फॉलो नहीं करती, मेरे लिए कंफर्ट ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
अपने लिए मी टाइम कैसे निकालती हैं?
मेरे पास बहुत ज्यादा मी-टाइम होता है, और मैं अपनी कंपनी सबसे ज्यादा एंजॉय करती हूं। भले ही मैं लोगों से भरे कमरे में क्यों न होऊं, मुझे नहीं लगता कि मैं खुद को कभी खोती हूं। एक तरह से, मैं अपनी आत्मा से हमेशा जुड़ी हुई महसूस करती हूं। मुझे मेडिटेशन पसंद है, योगा पसंद है और सबसे ज्यादा मुझे खुद से बात करना अच्छा लगता है।
सोशल मीडिया की ट्रोलिंग को आप कैसे हैंडल करते हैं?

मैं ज्यादा कमेंट्स को बहुत ध्यान से नहीं पढ़ती और अब तक मेरी लाइफ में ऐसा कोई समय नहीं आया, इसलिए इस बारे में मैं कोई कमेंट नहीं कर सकती। लेकिन मुझे चीजें ज्यादा परेशान नहीं करतीं और अब तक ऐसा कुछ हुआ भी नहीं। लेकिन मेरा मानना है कि अगर आपको पता है कि आपने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की है, तो ये चीजें ज्यादा असर नहीं डालतीं। हर किसी को अपनी बात कहने और अभिव्यक्ति का अधिकार है, मैं अंदर से खुश हूं और ट्रोलिंग मुझे ज्यादा प्रभावित
नहीं करती।
हमारी गृहलक्ष्मी को क्या टिप्स देना चाहती हैं?
आप भारत की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली हिंदी मासिक पत्रिका है। मैं खुद को इस लायक नहीं समझती कि कोई टिप्स दे सकूं, लेकिन एक छोटी सी बात जरूर करना चाहूंगी। पत्रिका को लेकर पहला प्रभाव यही होता है कि इसे सिर्फ पुराने लोग पढ़ते हैं। मैं चाहती हूं कि आज के नये लोग, जिनकी पढ़ने की आदत मोबाइल स्क्रीन तक सीमित है, वे भी जुड़ें। तो यह आप
लोगों की जिम्मेदारी बनती है। इसके लिए कंटेंट को जेन जी के अनुसार बनाना होगा। ऐसा विषय दीजिए जो डिजिटल मीडिया पर नहीं मिलता, ताकि बच्चे भी उसे पढ़ें। क्योंकि पन्ना पलटने का जो मजा है, वो स्क्रीन पर स्वाइप करने में नहीं है।
