20+ लद्दाख के ये हैं घूमने के लिए बेहतरीन स्थान और प्रमुख दर्शनीय स्थल
Famous Places in Ladakh : लद्दाख काफी खूबसूरत जगह हैं, जहां आप अपनी छुट्टियों में बर्फीली पहाड़ियों के बीच कुछ समय बिता सकते हैं। आइए जानते हैं लद्दाख में कहां घूमने के लिए जाएं?
Ladakh Mein Ghumne ki Best Jagah:लद्दाख मठों और बर्फीली सुंदरता का एक केंद्र है। यहां आपको प्राकृतिक सुंदरता को करीब से जानने का मौका मिलता है। साथ ही आप यहां कई तरह के बौद्ध मठ में जा सकते हैं। अगर आपको बर्फीली पहाड़ियां काफी पसंद है, तो एक बार लद्दाख ट्रिप का प्लान जरूर करें। आज इस लेख में हम आपको 20 ऐसे खूबसूरत जगहों के बारे में बताएंगे, जो लद्दाख में है। आइए जानते हैं लद्दाख में घूमने के लिए बेहतरीन स्थल कौन से हैं?
लद्दाख में घूमने के लिए 20 खूबसूरत जगह – Famous Places in Ladakh in Hindi
| जगह | किलोमीटर (शहर से दूरी) |
| पैंगोंग लेक (Pangong Lake) | 88 किलोमीटर |
| खारदुंग ला (Khardung La) | 14 किलोमीटर |
| मैग्नेटिक हिल (Magnetic Hill) | 21 किलोमीटर |
| ज़ंस्कार वेली (Zanskar Valley) | 86 किलोमीटर |
| नुब्रा वैली (Nubra Valley) | 71 किलोमीटर |
| शांति स्तूप (Shanti Stupa) | 2 किलोमीटर |
| स्टॉक पैलेस (Stok Palace) | 9 किलोमीटर |
| त्सो मोरीरी (Tso Moriri) | 28 किलोमीटर |
| हॉल ऑफ फेम लेह (Hall of Fame Leh) | 4 किलोमीटर |
| थिकसे मॉनेस्ट्री (Thiksey Monastery) | 13 किलोमीटर |
| संगम (Sangam) | 99 किलोमीटर |
| शे मॉनेस्ट्री एंड पैलेस (Shey Monastery and Palace) | 10 किलोमीटर |
| हेमिस मॉनेस्ट्री (Hemis Monastery) | 29 किलोमीटर |
| राफ्टिंग (Rafting in Ladakh) | 24 किलोमीटर |
| पत्थर साहिब गुरुद्वारा (Pathar Sahib Gurudwara) | 19 किलोमीटर |
| कारगिल (Kargil) | 146 किलोमीटर |
| लिकिर मॉनेस्ट्री (Likir Monastery) | 37 किलोमीटर |
| अलची मॉनेस्ट्री (Alchi Monastery) | 38 किलोमीटर |
| स्पितुक मॉनेस्ट्री (Spituk Monastery) | 6 किलोमीटर |
| दिस्कित मॉनेस्ट्री (Diskit Monastery) | 44 किलोमीटर |
पैंगोंग लेक (Pangong Lake)
पैंगोंग लेक, लद्दाख में सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल में से एक है। पैंगोंग झील एक एंडोरहिक (भूमि से घिरी) झील है, जो 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे पैंगोंग त्सो के नाम से भी जाना जाता है, यह 12 किलोमीटर लंबा है और भारत से तिब्बत तक फैला हुआ है। पैंगोंग झील का लगभग 60% हिस्सा तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। झील की एक अनोखी विशेषता यह है कि यह पूरे वर्ष या दिन भर नीली नहीं रहती है, बल्कि इसका रंग नीला से हल्का नीला, फिर हरा और भूरा भी हो जाता है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति से पर्यावरण शुल्क: INR 400, रेड क्रॉस डोनेशन: 100 रुपये और वन्यजीव संरक्षण के लिए शुल्क: 20 रुपये प्रति दिन देना पड़ता है।
खारदुंग ला (Khardung La)
खारदुंग ला, जिसे खारदज़ोंग ला के नाम से भी जाना जाता है। यह लेह के पास जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में एक ऊंचा पहाड़ी दर्रा है। यह श्योक और नुब्रा घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। खारदुंग ला 5602 मीटर की ऊंचाई पर भारत की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क के रूप में लोकप्रिय है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 50 रुपये देना होता है। आप यहां घूमने के लिए 1 से 2 घंटे का समय लग सकता है।
मैग्नेटिक हिल (Magnetic Hill)
यह हिल समुद्र तल से 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह लेह से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हिल अपने पूर्वी हिस्से में सिंधु नदी से घिरी हुई है और हिमालय श्रृंखला की सुरम्य पृष्ठभूमि में स्थित है। लद्दाख की लोकप्रिय मैग्नेटिक हिल एक साइक्लोप्स हिल है, जहां चिह्नित स्थान पर पार्क करने पर वाहन गुरुत्वाकर्षण बल को चुनौती देते हुए पहाड़ी पर ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इस घटना का अनुभव करने के लिए, मैग्नेटिक हिल रोड से कुछ मीटर पहले चिह्नित पीले बॉक्स में कार को न्यूट्रल गियर में पार्क करें। इस बिंदु से कार 20 किमी प्रति घंटे की गति से चलना शुरू कर देती है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है।
ज़ंस्कार वेली (Zanskar Valley)
यह वेली लद्दाख के पूर्व में कारगिल जिले में (लगभग 105 किमी) स्थित है, जो काफी ज्यादा खूबसूरत हिल है। इसे स्थानीय लोग ज़हर या ज़ंगस्कर बोलते हैं। ज़ांस्कर पर्वत श्रृंखला द्वारा लद्दाख से अलग होता है, जो टेथिस हिमालय का एक हिस्सा है। ज़ांस्कर कच्चे परिदृश्य के लिए जाना जाता है और यहां ज्यादातर लोग ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग के लिए जाते हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां कभी भी प्रवेश कर सकते हैं।
नुब्रा वैली (Nubra Valley)
नुब्रा घाटी, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थित है, जो प्राचीन रेशम मार्ग के साथ लेह से लगभग 140 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां आप विश्व प्रसिद्ध खारदुंग ला दर्रे के माध्यम से पहुंच सकते हैं। घाटी पर आने वाले पर्यटक यहां आकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी वक्त पहुंच सकते हैं।
शांति स्तूप (Shanti Stupa)
लेह में शांति स्तूप एक शानदार सफेद गुंबद वाला बौद्ध स्मारक है, जो 11,841 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यह बौद्धों के लिए एक धार्मिक स्थान है, क्योंकि इसमें 14वें दलाई लामा द्वारा पवित्र किए गए बुद्ध के अवशेष हैं। यह पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय है, क्योंकि इससे लेह और पास के चांगस्पा गांव का व्यापक दृश्य दिखाई देता है। शांति स्तूप पूर्णिमा की रात के दौरान असाधारण रूप से सुंदर दिखता है, जब यह प्राकृतिक रूप से चांदनी से प्रकाशित होता है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक जा सकते हैं।
स्टॉक पैलेस (Stok Palace)
लेह से लगभग 15 किमी दूरी पर स्टोक पैलेस स्थित है। यह लद्दाख के शाही परिवार और राजा सेंगगे नामग्याल के वंशजों का ग्रीष्मकालीन घर है। इसकी स्थापना 1820 में राजा त्सेपाल नामग्याल द्वारा की गई थी और 1980 में दलाई लामा द्वारा इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। स्टॉक पैलेस को एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है और इसमें स्टॉक पैलेस संग्रहालय और मंदिर हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए भारतीयों को 80 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
त्सो मोरीरी (Tso Moriri)
त्सो मोरीरी झील 4,595 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भारत की सबसे बड़ी ऊंचाई वाली झील है। चांगतांग क्षेत्र में लद्दाख और तिब्बत के बीच स्थित है, यह पैंगोंग झील का जुड़वां हिस्सा है। पहाड़ों से घिरी यह झील शांति और सुंदर का प्रतीक है। इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण तक लगभग 28 किमी और चौड़ाई 8 किमी है। त्सो मोरीरी जाने के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए इनर लाइन परमिट लेनी पड़ती है, जिसका शुल्क अलग-अलग होता है। आप यहां किसी भी समय जा सकते हैं।
हॉल ऑफ फेम लेह (Hall of Fame Leh)
लेह-कारगिल रोड पर लेह से लगभग 4 किमी दूर स्थित, हॉल ऑफ फेम एक म्यूजियम है। यह उन बहादुर सैनिकों की याद में बनाया गया था, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। भारतीय सेना द्वारा प्रबंधित, हॉल ऑफ फेम में पाकिस्तानी सेना के जब्त किए गए हथियार और सुविधाएं, बहादुर सैनिकों की तस्वीरें और जीवनियां प्रदर्शित की जाती हैं। संग्रहालय का एक भाग सियाचिन क्षेत्र को भी प्रदर्शित करता है, जिसमें इस क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिधान और सुविधाएं प्रदर्शित की जाती हैं। इसके अलावा, आप दुनिया भर में पाई जाने वाली लद्दाखी संस्कृति, इतिहास, वनस्पति और वन्य जीवन से संबंधित वस्तुओं को भी देख सकते हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 10 रुपये शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह सुबह 9 बजे से दोपहर के 1 बजे तक और फिर 3 बजे से शाम के 7 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
थिकसे मॉनेस्ट्री (Thiksey Monastery)
थिकसे मॉनेस्ट्री एक तिब्बती शैली का मठ है, जो लेह से 20 किमी दक्षिण में लेह मनाली राजमार्ग पर स्थित है। यह बारह मंजिला मठ एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां से आप नीचे शहर और सिंधु घाटी का शानदार दृश्य देख सकते हैं। थिकसे का मुख्य आकर्षण मैत्रेय मंदिर है, जिसमें 15 मीटर ऊंची मैत्रेय बुद्ध की मूर्ति है। इसमें इमारत की दो मंजिलें शामिल हैं और यह लद्दाख में अपनी तरह की सबसे बड़ी मूर्ति है।

प्रवेश शुल्क
इस मॉनेस्ट्री को देखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 30 रुपये देना होता है। आप यहां सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक जा सकते हैंं।
संगम (Sangam)
संगम लद्दाख में सिंधु और जांस्कर नदियों का संगम है। यह लेह से 35 किमी दूर निम्मू में लेह श्रीनगर राजमार्ग पर स्थित है। इस पॉइंट पर आप दोनों नदियों को अलग-अलग मिलते हुए देख सकते हैं, जहां आपको सिंधु नदी चमकदार नीली दिखाई देती है। वहीं, ज़ांस्कर नदी मटमैली हरी दिखाई देती है। यह लद्दाख में देखने लायक एक शानदार स्थल है।

प्रवेश शुल्क
यह नदियों का संगम है, जिसे देखने के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी वक्त जा सकते हैं।
शे मॉनेस्ट्री एंड पैलेस (Shey Monastery and Palace)
शे मठ या शे पैलेस, लेह से 15 किमी दूरी पर स्थित है। यह एक प्राचीन मठ है। यह मठ एक समय लद्दाख की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में कार्य करता था, लेकिन अब इसका ज्यादातर हिस्सा खंडहर हो चुका है। एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह आश्चर्यजनक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मठ का मुख्य आकर्षण 39 फीट ऊंची शाक्यमुनि बुद्ध प्रतिमा है, जो जम्मू और कश्मीर में दूसरी सबसे बड़ी बुद्ध प्रतिमा है। मठ में जाने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।

प्रवेश शुल्क
इस मठ में प्रवेश के लिए आपको परमिट लेने की जरूरत होती है। इसके लिए किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है।
हेमिस मॉनेस्ट्री (Hemis Monastery)
हेमिस मठ लेह से 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एक बौद्ध मठ है। यह लद्दाखी राजा सेंगगे नामग्याल द्वारा निर्मित किया गया है, इसे भारत के सबसे धनी मठों में से एक माना जाता है। हर साल जून की शुरुआत में आयोजित होने वाले वार्षिक हेमिस महोत्सव होता है। हेमिस मठ में भगवान बुद्ध की एक शानदार तांबे की मूर्ति के साथ-साथ सोने और चांदी से बने स्तूप, थंगका (कपास या रेशम पर एक पेंटिंग, बौद्ध देवता का चित्रण) और भित्ति चित्र हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए आपको परमिट लेने की जरूरत होती है, जिसमें किसी तरह का शुल्क नहीं लगता है। आप यहां सुबह 8 से दोपहर के 1 बजे और फिर 2 बजे से शाम के 6 बजे तक जा सकते हैं।
राफ्टिंग (Rafting in Ladakh)
लद्दाख में आप रिवर राफ्टिंग कर सकते हैं। यह आपको एक अलग अनुभव प्रदान करता है। यहां रिवर राफ्टिंग करने के दौरान आपको जल शानदार दृश्यों, मठों और गांवों का दृश्य देखने को मिलेगा। ज़ांस्कर नदी पर राफ्टिंग करना काफी अद्भुत अनुभव हो सकता है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश राफ्टिंग करने के लिए अलग-अलग शुल्क लिए जाते हैं। ग्रुप में राफ्टिंग करने पर थोड़ा कम पैसे लगते हैं।
पत्थर साहिब गुरुद्वारा (Pathar Sahib Gurudwara)
गुरुद्वारा पत्थर साहिब एक खूबसूरत गुरुद्वारा है, जो गुरु नानक देव को समर्पित है। यह लेह से 25 किमी दूर लेह कारगिल रोड पर स्थित है। यह गुरुद्वारा अत्यधिक पूजनीय है, क्योंकि इसमें एक चट्टान है। यह गुरु नानक की पीठ जैसी दिखती है। यह उस स्थान पर बनाया गया है, जहां माना जाता है कि उन्होंने एक राक्षस को हराया था। गुरुद्वारे की देखभाल लामाओं और भारतीय सेना द्वारा की जाती है।

प्रवेश शुल्क
यह एक गुरुद्वारा है, जहां जाने के लिए आपको किसी तरह का प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक जा सकते हैं।
कारगिल (Kargil)
श्रीनगर से लेह की ओर यात्रा करने वाले लोगों के लिए कारगिल एक पर्यटक आकर्षण का केंद्र है। नियंत्रण रेखा के करीब स्थित कारगिल भी एक अस्थिर क्षेत्र है। हालांकि, अपने गौरवशाली अतीत के अलावा, कारगिल प्राकृतिक सुंदरता और रोमांच से भरपूर है। कारगिल में एक युद्ध स्मारक है, जो इस क्षेत्र का मुख्य आकर्षण है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप किसी भी वक्त यहां जा सकते हैं।
लिकिर मॉनेस्ट्री (Likir Monastery)
लिकिर मठ लद्दाख का सबसे पुराना मठ है, जो लेह से लगभग 52 किमी दूर सुंदर लिकिर गांव में स्थित है। तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग्पा संप्रदाय से संबंधित, यहां का मुख्य आकर्षण सोने से बनी मैत्रेय बुद्ध की 75 फीट बड़ी बैठी हुई मूर्ति है। अभिभावक देवताओं की विभिन्न पेंटिंग, भित्ति चित्र और थांगका भी हैं जो असेंबली हॉल की दीवारों को सुशोभित करते हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति 30 रुपये शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह 6 बजे से 1 बजे और फिर 1.30 बजे से शाम के 6 बजे तक जा सकते हैं।
अलची मॉनेस्ट्री (Alchi Monastery)
लद्दाख के अलची गांव में स्थित, अलची मठ बौद्ध मंदिरों का एक परिसर है, जिनमें से अलची मठ सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध है। लद्दाख में अन्य मठों के विपरीत समतल जमीन पर सीमेंटेड, मठ की पारंपरिक वास्तुकला एक मठ परिसर है जिसमें 3 अलग-अलग मंदिर हैं, जिन्हें दुखांग, सुमस्टेक और मंजुश्री मंदिर के नाम से जाना जाता है।

प्रवेश शुल्क
प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप 25 रुपये देना पड़ता है। आप यहां सुबह 10 बजे शाम के 6 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
स्पितुक मॉनेस्ट्री (Spituk Monastery)
स्पितुक मठ को स्पितुक गोम्पा भी कहा जाता है, लेह से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित एक बौद्ध मठ है। भारत के सबसे चमकदार मठों में से एक, इसमें 100 भिक्षुओं और काली की एक विशाल मूर्ति है। इसका अनावरण हर साल आयोजित वार्षिक गस्टर महोत्सव के दौरान किया जाता है। यह प्राचीन हथियारों, आइकन, प्राचीन मुखौटों और कई थांगका चित्रों की बौद्ध वस्तुओं के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 20 रुपये देना होता है। यहां आप सुबह 8 बजे से शाम के 1 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
दिस्कित मॉनेस्ट्री (Diskit Monastery)
इसे डेस्किट/डिस्किट गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है। यह नुब्रा घाटी का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मठ है। इसका तिब्बती मिथक से गहरा संबंध है। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र स्थल बौद्ध विरोधी मंगोलियाई राक्षस का निवास स्थान था। हालांकि, इस दुष्ट प्राणी को मठ के पास कई बार मारा गया, लेकिन वह हमेशा जीवित वापस आ जाता था। ऐसा कहा जाता है कि दिस्किट मठ में इस राक्षस का टूटा हुआ सिर और हाथ है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 30 रुपये देना होता है। आप यहां सुबह 7 से 1 और 2 से 7 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
लद्दाख घूमने का सबसे सही समय कौन सा है?
लद्दाख घूमने के लिए गर्मी का मौसम काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में आप यहां मई और जून का माह जाने के लिए प्लान कर सकते हैं।
लद्दाख कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग : लद्दाख घूमने के लिए आप सड़क मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। यह श्रीनगर से करीब 434 और मनाली से लगभग 494 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप लोकल बस या फिर अपनी गाड़ी से यहां पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग : लद्दाख पहुंचने के लिए आप रेलवे मार्ग चुन सकते हैं। हालांकि, यहां से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन 700 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आपको लोकल गाड़ी की मदद से लद्दाख पहुंचना पड़ेगा।
हवाई मार्ग : लद्दाख पहुंचने के लिए आप हवाई मार्ग भी चुन सकते हैं। यहां के नजदीकी हवाई अड्डा लेह है, जहां से कई प्रमुख शहरे के लिए फ्लाइट आसानी से मिल जाती हैं।
लद्दाख में ठहरने के लिए होटल
ल्हाचिक गेस्ट हाउस
पता : चांगस्पा रोड, लेह, 194101
होटल क्यूनत्सो लेह
पता : पी.नामग्याल ओल्ड रोड, शेनाम, ओल्ड रोड, शेनाम, लेह, लद्दाख
लुंगधो रेजीडेंसी गेस्ट हाउस
पता : हवाई अड्डे के पास, चर्च के सामने, लेह, लद्दाख
FAQ | क्या आप जानते हैं
अगर आप लद्दाख में 2 वीक घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो लगभग 15 से 20 हजार रुपये खर्च हो सकते हैं। हालांकि, यह बजट कम या ज्यादा हो सकता है।
लद्दाख घूमने का सबसे अच्छा मौसम गर्मियों का होता है।
आप लद्दाख में किसी होटल या फिर गेस्ट हाउस में रुक सकते हैं।
रात के समय आप लद्दाख में मंदिर, शांति स्तूप, नुब्रा वैली जैसी जगहों पर जा सकते हैं।
रात में आप शॉपिंग या फिर वॉन फायर का मजा ले सकते हैं।
