जानें पहली होली पर क्यों साथ नहीं रहती सास-बहू, क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा: Holi 2024 Vastu
Holi 2024 Vastu Upay

Holi 2024 Vastu : होली, जिसे रंगों के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। यह रंगों के साथ ख़ुशी का त्यौहार भी है। इस पावन पर्व पर सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंगों से खेलते है और खूब मस्ती करते है। यह भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। हालांकि, आज-कल ये भारत के बाहर भी मनाया जाता है। जैसे नेपाल, श्री लंका और अन्य देशों में भी। होली त्यौहार वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस त्यौहार को नफरत और दुश्मनी पर प्यार और खुशी की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

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यह त्योहार आमतौर पर मार्च में हिंदू चंद्र कैलेंडर माह फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन सभी अपने परिवार, दोस्तों के मध्य रंगीन पाउडर और पानी छिड़कर यह त्यौहार मनाते है। इसके साथ ही इस लोग सड़कों और खुली जगहों पर इकट्ठा होते हैं, पारंपरिक संगीत पर नृत्य करते हैं, भोजन और मिठाइयों का आनंद लेते हैं और खुशियाँ बांटते हैं। इसके साथ ही होली से एक रात पहले, राक्षसी होलिका को जलाने की याद में अलाव जलाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

पहली होली पर साथ क्यों नहीं रहती सास-बहु?

कई परंपराओं में, विशेष रूप से भारत में, होली के दौरान और होलिका दहन के वक्त सास-बहू का साथ में रहना अशुभ माना जाता है। नई दुल्हन के लिए यह कहा जाता है कि उसे अपनी पहली होली ससुराल के बजाय अपने मायके में मनाना चाहिए। इसके साथ दामाद को भी अपनी पहली होली ससुराल में बनाना चाहिए। इससे उनके रिश्ते बेहतर होते है और मनमुटाव नहीं होता है। नई दुल्हन के भी सास और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मेलजोल अच्छा बना रहता। ऐसा माना जाता है कि सास-बहु अगर साथ में होलिका दहन देखते है, तो इससे घर में कलह शुरू हो जाता है। सास-ससुर के साथ रिश्ते खराब होने लगते हैं और बिना बात के झगड़े होने लगते हैं। इसीलिए उनका साथ में होली देखने को मना किया जाता है।

क्या है इसकी पौराणिक कथा?

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, यह माना जाता है कि सास और बहु को साथ में होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। इसकी पौराणिक कथा है कि जिस दिन होलिका माता प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठी थी। उसी दिन उनका विवाह इलोजी से होने वाला था। संध्या के समय जब होलिका माता प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठ चुकी थी। उसी दौरान उनकी बारात घर के आंगन में पहुंच चुकी। जब होलिका की माता ने अपनी बहु को जलते देखा तो वे सदमे में चली गई और उनकी वही मृत्यु हो गई। तभी से यह परंपरा है कि नई दुल्हन और सास को एक साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। इसीलिए नई दुल्हन के लिए यह कहा जाता है कि उसे अपनी पहली होली ससुराल के बजाय अपने मायके में मनाना चाहिए।

कब है होली का त्योहार?

यह त्यौहार हर वर्ष मार्च में हिंदू चंद्र कैलेंडर माह फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार फाल्गुन मास पूर्णिमा तिथि 24 मार्च 2024 दिन रविवार 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च 2024 दिन सोमवार दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार हिंदू चंद्र कैलेंडर माह फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि 25 मार्च को है। जिस कारण यह त्यौहार इस बार 25 मार्च 2024 दिन सोमवार को मनाया जाएगा।

इसके साथ ही एक दिन पहले 24 मार्च 2024 दिन रविवार को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से लेकर अगले दिन 25 मार्च को देर रात्रि 12 बजकर 27 मिनट तक है। आप इस वक़्त होलिका दहन की पूजा कर सकते है।