Importance of Navratri: नवरात्रि का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है I मां दुर्गा और उनके 9 अवतारों को समर्पित यह नौ दिन उत्तर भारत के हर कोने में एक उत्सव की तरह उत्साह पूर्वक मनाए जाते हैंl देवी जी के अधिकांश भक्त इन दिनों में उपवास रखते हैं और अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं l लोग खुशी मनाने के लिए डांडिया आदि के आयोजन करते हैं |
ऐसा माना जाता है कि 9 दिनों तक दुर्गा मां और महिषासुर राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ था l कहा जाता है कि महिषासुर के समर्पण भाव के कारण ब्रह्मा जी ने उसे अमरता का वरदान दिया थाl जिसका मतलब है कि वह कभी भी नहीं मर सकता है l युद्ध के दसवें दिन दुर्गा जी ने दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध कर दिया l इसी के उपलक्ष में नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है l
माँ शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है l पार्वती जी के इस रूप में वह पहाड़ों के राजा हिमालय की बेटी हैं और ब्रह्मा, विष्णु, महेश की सामूहिक शक्ति का अवतार हैं l ऐसा माना जाता है कि पूर्व जन्म में शैलपुत्री का नाम सती था I उनके पिता दक्ष ने अपने घर पर आयोजित यज्ञ में उनके पति शिव का अपमान किया था जिससे उनको क्रोध आ गया और उन्होंने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया l
इसके बाद सती का पुनर्जन्म हुआ और वह शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुई l उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की l उनके इसी रूप में देवी जी को शिव जी की पत्नी के रूप में पूजा जाता है l ऐसा भी माना जाता है कि जो भी लड़कियां नवरात्रों के दिन मां के इस रूप की पूजा करती हैं तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है l इस रूप में देवी जी एक त्रिशूल और कमल धारण करती हैं और एक बैल पर सवार हैं l
माँ ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है I देवी जी का यह स्वरूप ब्रह्मा का स्वरूप कहलाता है l इस रूप में उन्होंने घोर तपस्या की थी l उनके दाहिने हाथ में मन्त्र जपने की माला और बाएं हाथ में कमंडल है l इनकी पूजा करने से मां की कृपा सदा बनी रहती है और जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की मिलती है l
माँ चंद्रघंटा
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है उनका यह स्वरूप कल्याणकारी और शांति दायक माना जाता है l अपने इस रूप में यह बाघ के ऊपर बैठी हैं जो शक्ति का प्रतीक है l अपने एक हाथ से यह आशीर्वाद दे रही हैं और दूसरे हाथ से यह दुष्कर्म को रोकने का इशारा कर रही हैं l ऐसा माना जाता है की मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा पकड़ा हुआ है l इनका माथा अर्ध चंद्रमा से सुसज्जित है l कहा जाता है कि जो भक्त उनकी पूजा करते हैं उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है I
माँ कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा मां के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है l धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी l इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है l मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है l इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण,कमल पुष्प, कलश, चक्र,गदा है और आठवें हाथ में जप माला है l यह सिंह पर सवार हैं l
माँ स्कंदमाता
क्योंकि देवी पार्वती भगवान कार्तिकेय (जिन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है ) की माता है इसलिए उनके पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है I नवरात्रि के पांचवें दिन उनके इसी स्वरूप की पूजा करने का विधान है l मां के इस रूप में उनके चार हाथ हैं जिसमें से दो हाथों में यह कमल का फूल और बाकी दो हाथों में कमंडल और घंटी पकड़ी हुई हैं l यह कमल के फूल पर विराजमान हैं l इस स्वरूप में कार्तिकेय उनकी गोद में बैठे हुए हैं l
माँ कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है l उनके चार हाथ हैं और वह तलवार पकड़े हुई हैं व सिंह पर सवार हैं l मां के इस रूप का जन्म महान ऋषि काटा के यहां दुर्गा के अवतार के रूप में हुआ था l ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी नदी के तट पर इन्हीं की पूजा की थी l
माँ कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन मां पार्वती के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है l यह देवी जी का सबसे उग्र रूप है l उनके इस रूप में उनकी त्वचा गहरी सांवले रंग की है, बाल बिखरे हुए हैं, उनकी तीन चमकदार आंखें हैं और उनके मुंह में से आग की लपटें निकलती हैं l धार्मिक पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने रक्तबीज नामक राक्षस को खत्म करने के लिए मां कालरात्रि का रूप धारण किया था l
माँ महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन आदिशक्ति महागौरी की पूजा की जाती है l ऐसा कहां जाता है कि हिमालय के घने जंगलों में लंबी तपस्या के कारण उनका रंग सावला हो गया था बाद में शिव ने उन्हें गंगा के पानी से साफ किया तो उनके शरीर से सुंदरता फिर से वापस आ गई और उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाने लगा जिसका अर्थ है बेहद सफेद I माता पार्वती का यह आठवां स्वरूप मां महागौरी, महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में हमेशा विराजमान रहती हैं l ऐसा माना जाता है कि उत्पत्ति के समय यह 8 वर्ष की थी इसलिए इन्हें नवरात्रि के आठवें दिन पूजा जाता है l ज्यादातर घरों में इस दिन कन्या पूजन किया जाता है l
माँ सिद्धिदात्री
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देवी जी के नवे स्वरूप में मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है l उनके इस रूप में उनके पास अलौकिक हीलिंग पावर्स हैं l उनकी चार भुजाएं हैं जिनमे वह शंख, गदा, कमल का फूल व चक्र धारण कर कमल पर विराजमान रहती हैं l यह असल में देवी जी का पूर्ण स्वरूप है l पहले और आखिरी दिन मां की उपासना और उपवास करने से संपूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिलता हैI