Actress Life Journey: आज टीचिंग जॉब के अलावा भी महिलाओं के पास करियर के अन्य विकल्प मौजूद हैं, जहां वे नाम और शोहरत दोनों कमा रही हैं। इस बार अंक में हम ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में आपको बताएंगे जिन्होंने लीक से हटकर करियर चुना।
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अय्यो श्रद्धा का देसी अंदाज

इस वर्ष ‘महिला दिवस’ भारत की महिला यूट्यूबर्स के लिए गौरव का दिन था। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर राव मोदी जी ने स्वयं अपने हाथों से यूट्यूबर्स को नेशनल क्रिएटर्स का अवार्ड दिया। इसी श्रेणी में एक नाम शामिल था श्रद्धा जैन का जिन्हें ‘मोस्ट क्रिएटिव अवार्ड्स-फीमेल’ के अवार्ड से नवाजा गया था। यदि आप व्लॉगर्स, शॉर्ट्स और रील्स के दीवाने हैं तो आपने ‘अइय्यो श्रद्धा’ को जरूर सुना होगा। बेंगलुरु की रहने वाली श्रद्धा जैन सोशल मीडिया पर ‘अइयो श्रद्धा’ के नाम से मशहूर हैं। अय्यो श्रद्धा की लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, लिंक्डइन पर उनके 83,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और इंस्टाग्राम पर उनके 6.88 लाख फॉलोअर्स हैं।
श्रद्धा कॉमेडी के माध्यम से अपने व्लॉग में सामाजिक पहलुओं पर व्यंग्य करती हुई नजर आती हैं। उनका ‘द सैलरी एल्गोरिदम और ‘मैरिज टेक्नोलॉजी काफी ज्यादा पसंद किए गए थे। उन्होंने साल 2018 में कॉमेडी शो ‘कॉमिकस्तान’ में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने अमेजॉन की कॉमेडी ड्रामा सीरीज ‘पुष्पवल्ली’ में वासु की भूमिका निभाई थी। उन्होंने कॉमेडी फीचर ‘डॉक्टर जी’ में भी काम किया है। अपने एक वीडियो में श्रद्धा ने टेक कंपनियों का मजाक भी उड़ाया था, जिन्होंने हाल के दिनों में अपने व्यवसायों से भारी मुनाफा कमाने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकाला है। कंटेंट क्रिएटर बनने से श्रद्धा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं। कुछ दिन वह आरजे भी रहीं और फिर कभी-कभी स्टैंडअप कॉमेडी भी की है। हालांकि आज वह एक सफल यूट्यूबर हैं। उन्हें पांच भाषाएं, कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और तुलु आती है और नियमित रूप से वह इन भाषाओं में वीडियो पोस्ट करती रहती हैं।
पाक कला में माहिर

कुछ वर्षों पहले तक महिलाएं बेशक घर में खाना बनाया करती थीं लेकिन कुकिंग को उन्होंने कभी प्रोफेशनल रूप में नहीं अपनाया। यह मौका पुरुषों को ही मिलता रहा है लेकिन पिछले कुछेक दशक से शेफ महिलाओं के लिए भी एक करियर बन गया है। अब बड़े-बड़े होटलों में पुरुष नहीं महिलाएं भी मास्टर शेफ के तौर पर आपको दिखाई देंगी। ऐसी ही एक मशहूर शेफ हैं अस्मा खान, जिन्हें बिजनेस इनसाइडर ने ‘फूड एंड ड्रिंक’ में 100 बेहतरीन शेफ की सूची में नंबर 1 में शामिल किया गया है। 2022 में विश्व खाद्यï कार्यक्रम में उन्हें शेफ एडवोकेट का नाम दिया और 2024 में टाइम पत्रिका ने उन्हें साल के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक नामित किया है। अस्मा भारतीय मूल की ब्रिटिश शेफ हैं और उन्होंने एक ‘कुकबुक’ नाम की किताब भी लिखी है। वह लंदन में अपने पति और दो बेटों के साथ रहती हैं।
यहां वह ‘दाॢजलिंग एक्सप्रेस’ नाम से एक रेस्टोरेंट चलाती हैं। जहां भारतीय राजपूती और बंगाली व्यंजन परोसे जाते हैं। दाॢजलिंग एक्सप्रेस की खासियत यह भी है कि रसोई पूरी तरह से महिलाओं पर निर्भर है। सभी महिलाएं एशियाई मूल की हैं। अस्मा खान के पिता उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे जबकि उनकी मां पश्चिम बंगाल से थीं। अस्मा शादी के बाद अपने पति के साथ कैम्ब्रिज चली गईं। अस्मा को शुरुआत में खाना बनाना नहीं आता था। उन्होंने कैंब्रिज में रहने वाली एक आंटी से खाना बनाना सीखा। आंटी जी की मृत्यु के बाद अस्मा कुछ दिन भारत रहीं ताकि अपनी मां और घर के रसोइए से पारंपरिक भोजन बनाना सीख सकें। खासतौर से उन्होंने हैदराबादी बिरयानी बनानी सीखी धीरे-धीरे अस्मा को दूसरों को खाना बनाकर खिलाना अच्छा लगने लगा। बाद में उन्होंने इसे अपना प्रोफेशन बना लिया। अस्मा ने दुनियाभर के मशहूर शेफ्स प र बनने वाली डाक्यूमेंट्री सीरीज शेफ्स टेबल के छठे सीजन में भी दिखी हैं।
कबड्डी से अभिनय तक

पिछले कुछ दिनों एक फिल्म ‘लापता लेडीज बड़ी ट्रेंड कर रही है। फिल्म में चाय वाली ‘मंजू माई का किरदार लोगों को बहुत पसंद आया है। इस किरदार को निभाया है छाया कदम ने। मंजू माई का किरदार जितना प्रभावशाली था, उतना थी प्रेरणादायक उनका जीवन भी रहा है। छाया कदम एक भारतीय अभिनेत्री हैं जो मुख्य रूप से मराठी और हिंदी फिल्मों में दिखाई देती हैं। उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियां नागराज मंजुले की फिल्में, फैंड्री (2013) सैराट (2016), और झुंड (2022), संजय लीला भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़ी (2022), रेडू (2018), और न्यूड (2018) में हैं। छाया कई सालों से मराठी सिनेमा और थिएटर में सक्रिय हैं, उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी कई छोटे-मोटे किरदार निभाए हैं। छाया कदम का जन्म मध्य मुंबई के उपनगर कलिना में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता एक मिल मजदूर थे। बचपन से ही छाया का मन पढ़ाई में कम और खेल-कूद में ज्यादा लगता था। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी भी खेला है और आज भी उनमें एक खिलाड़ी की तरह कभी भी हार न मानने वाला जज्बा है। 12वीं कक्षा में फेल होने पर उन्होंने कहा, ‘जीवन में सफलता और असफलता आती रहती है, लेकिन निराश होने की कोई बात नहीं है क्योंकि जिंदगी में खुद को साबित करने का दूसरा मौका मिलता है। लेकिन जिंदगी कभी दूसरी नहीं मिलती। ऐसा कहा जाता है कि परीक्षा में असफल होने के कारण कुछ छात्र आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं। 12वीं फेल होने के बाद भी उन्होंने फिर से मेहनत की और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने साथ कॉलेज विले से अपना स्नातक पूरा किया और उसके बाद मराठी थिएटर से जुड़ गईं।
अभिनेत्री छाया इस साल ‘लापता लेडीज और ‘मडगांव एक्सप्रेस में दिखाई दी हैं। लापता लेडीज में उनकी चायवाली आंटी की भूमिका ने सभी का दिल जीत लिया। हाल ही में उनकी एक और फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन इज लाइट ने 77वें कांस्य फिल्म फेस्टिवल में ग्रांड प्रिक्स जीत हासिल कर इतिहास रचा है। यह फिल्म मलयालम और हिंदी दोनों भाषाओं में बनाई गई है। एवॉर्ड जीतने के बाद छाया ने कांस्य में झूम-झूम कर डांस भी किया। लोगों ने उनकी इस प्रतिक्रिया पर काफी ट्रोल किया, लेकिन छाया ने इसका जवाब यह देकर दिया कि उन्हें अधिकार है कि अपनी खुशी व्यक्त करें।
