कटिंग की विधियों को समझिए
पौधे उगाने के लिए आजकल कई तरह की विधि और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें कटिंग और ग्राफ्टिंग जैसी विधियां तो बहुत ही सामान्य हो चुकी हैं।
Herbs Gardening Tips: बदलते समय ने हमारे रहन सहन और जीवन को बहुत तेजी के साथ बदला है। वर्तमान के समय में यह बदलाव बागवानी करने के तौर तरीकों में भी आया है। खेती किसानी भी काफी बदला गई है। जो चीजें पिछले सालों में असंभव जान पड़ती थी तकनीकी विकास ने उन्हें संभव बना दिया है। टिश्यू कल्चर, एयरोपोनिक और हाइड्रोपोनिक का जमाना आ गया है, जिसकी वजह से पौधे उगाने के लिए आजकल कई तरह की विधि और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें कटिंग और ग्राफ्टिंग जैसी विधियां तो बहुत ही सामान्य हो चुकी हैं। यह दोनों ही बहुत आसान विधियां हैं और इसे हर कोई अपने घर पर कर सकता है।
सॉफ्टवुड और हार्डवुड कटिंग
कटिंग की भी कुछ खास तकनीकी होती है, जिसे समझना जरूरी होता है। सॉफ्टवुड कटिंग की बात की जाए तो ये कोमल तने की वृद्धि से ली जाती है। लेकिन जब तना हरे से भूरे रंग में बदल जाता है। एक तरह से पुराना हो जाता है, तो इस समय की गई कटिंग को हार्डवुड कटिंग के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर, ऐसा पाया गया है कि सॉफ्टवुड कटिंग और हार्डवुड कटिंग दोनों के तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया है कि सॉफ्टवुड कटिंग ज्यादा सफल होती है। इसलिए पुराने विकास के बजाय नए कटिंग को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कटिंग कैसी होनी चाहिए?
कई लोग ऐसा सोचते हैं किसी पौधे के तने को काटकर लगा दिया और कटिंग तैयार हो जायेगी पर यह सही नहीं है। कटिंग के लिए कुछ मामूली बातों का ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता है। कटिंग लगाते वक्त यह ध्यान रखना होता है कि ये कम से कम 3-6 इंच लंबी होनी चाहिए।
कटिंग को लीफ नोड के ठीक नीचे से एक कोण पर लेना चाहिए। ऊपर की कुछ को छोड़ सभी निचली पत्तियों को हटा दें ताकि ऊर्जा केवल जड़ उत्पादन पर केंद्रित हो सके। कटिंग को आप मिट्टी और पानी दोनों में ही अपनी सुविधा के मुताबिक़ उगा सकते हैं। मिट्टी कई मायने में बेहतर है क्योंकि यह पौधों को बढ़ने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है।
रोपण से पहले, प्रसार और वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए, कटिंग के नोड सिरे को पानी में रखकर, उन्हें रूटिंग हार्मोन में डुबो दें। रूटिंग हार्मोन जड़ के विकास को प्रोत्साहित करेगा। आप चाहें तो इसके लिए व्यावसायिक रूटिंग हार्मोन अथवा शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
थाइम

थाइम को अपने तमाम तरह के गुणों की वजह से जाना जाता है। यह एक अद्भुत किस्म की जड़ी बूटी है जिसका उपयोग हजारों वर्षों से औषधी के रूप में होता है। कुछ लोग इसका उपयोग खानपान संबंधी उपयोगों के लिए किया जाता रहा है। थाइम को लगाने के लिए कटिंग को इस तरह से लेना चाहिए जहां से नोड निकलता है। इस जगह से पत्तियाँ बढ़ती हैं और यहाँ से जड़ें सबसे अधिक प्रतिक्रियाशील होती हैं। इन्हें लगाने से पहले निचली पत्तियों को हटाने के बाद नम मिट्टी में लगा दें, ऐसी जगह पर लगायें जहां सीधी धूप नहीं आती हो।
तुलसी

कटिंग से उगने वाली सबसे अच्छी जड़ी-बूटियों में एक नाम तुलसी का भी आता है। कटिंग लगाने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह कि इसकी आपूर्ति साल भर बनी रहती है। तुलसी की कटिंग लगाने के लिए पत्ती के नोड के ठीक नीचे से एक 4-5 इंच लंबा तना काटें और ऊपर बताए गए सभी चरणों का पालन करें। इसके लिए आप बोलत का उपयोग कर सकते हैं, नहीं तो आप तुलसी की कटिंग को गिलास में भी रखकर खिड़की आदि पर रखसकते हैं जहां पर इसे पर्याप्त धूप मिले और जड़ें बढ़ें। इस प्रक्रिया में फूल वाले हिस्से से कटिंग लेने से बचें।
ऋषि

ऋषि एक औषधीय पौधा है जिसकी अपनी एक प्रभावी सुगंध होती है और इसका तेल कई तरह की बीमारियों में काम आता है। यही कारण है कि यह आपको हर बगीचे में एक जरूरी जड़ी-बूटी के तौर पर दिख जाती है। कटिंग से इसे उगाना बहुत आसान होता है। इसकी कटिंग के लिए नोड से लगभग 6 सेमी नीचे का हिस्सा लें। इस कटिंग को नम मिट्टी में रोपें और इसे एक ऐसी जगह पर रखें जहां इसे सुबह की धूप मिल सके। आप इसके विस्तार के लिए एक गिलास पानी अथवा ग्लास की बोतल में कटिंग भी उगा सकते हैं। इस प्रक्रिया के जरिए दो सप्ताह में पौधे की जड़ें दिखने लगेंगी।
लैवेंडर

लैवेंडर हम सभी के घरों में पाया जाने वाला बहुत ही सामान्य पौधा है। इसको बहुत ही आसानी से उगाया जा सकता है। कलम से लैवेंडर उगाने का अच्छा समय गर्मियों का होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस मौसम में पौधे आसानी से अपनी जड़ें जमा लेते हैं। इसे लगाने के लिए एक लैवेंडर का पौधा, चाकू, एक छोटा गमला, मिट्टी, रूटिंग हार्मोन, साफ पॉली शीट आदि की आवश्यकता होगी।
अजवायन

अजवायन एक बहुत ही आसानी से उगने वाला पौधा है। इस जड़ी-बूटी की देखभाल पर बहुत कम ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सबसे अच्छी बात यह कि इसे घर के अंदर या बाहर दोनों ही जगहों पर उगाया जा सकता है। मध्यम गर्म जलवायु में अजवायन के लिए बहुत ही अनुकूल होता है। यह एक बारहमासी पौधा है। इसके विस्तार के लिए, एक स्वस्थ अजवायन के पौधे से कटिंग तैयार कर लें। इसके लिए सॉफ़्टवुड कटिंग लेना बेहतर है, क्योंकि उनमें जड़ें उगने की संभावना अधिक होती है।
पुदीना

पुदीना एक बहुत ही लोकप्रिय जड़ी बूटी है। इसके औषधीय गुणों के करना कई प्रकार का उपयोग किया जाता है। हम सब इसे अपने घरों में बनने वाले कई व्यंजनों में ताजा या सूखे रूप में इस्तेमाल करते हैं। पुदीना में उच्चतम एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका डिमांड भी बहुत ज़्यादा होता है। इसे आप अपने घर पर उगाने के लिए कटिंग का सहारा ले सकते हैं। इसे एक साफ़ पानी के बोतल में पानी भरकर लगा दें, फिर पाएँगे कि इसकी जड़ें एक हफ्ते में दिखने लगी हैं।
मरजोरम

मरजोरम एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसका खाना पकाने में कई तरह से उपयोग होता है। मरजोरम में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका उपयोग अरोमाथेरेपी में भी किया जाता है। इस जड़ी-बूटी के कई तरह के बीमारियों में भी उपयोग हैं, इसके सेवन से स्वास्थ्य लाभ जल्दी मिलता है। बीज के द्वारा यदि इसे लगाना चाहते हैं तो, इसका अंकुरण धीमा होता है इस बात का ख़्याल रखें। इस तरह से इसे अंकुरित होने में दो सप्ताह का समय लग सकता है। इस जड़ी-बूटी के विस्तार का सबसे अच्छा तरीक़ा कटिंग लगाना होता है।
