हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग क्या आप जानते हैं ये क्या है? कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ऐसी गड़बड़: Helicopter Parenting
Helicopter Parenting

Helicopter Parenting: हर माता-पिता की यही कोशिश होती है कि वह अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी परवरिश दे। शिक्षा से लेकर करियर बनाने तक, उनकी हर इच्छा पूरी करने से लेकर उनके नखरे उठाने तक सबकुछ वह खास करे। लेकिन इस खास के चक्कर में कहीं आप कोई गलती तो नहीं कर रहे। कहीं आप अपने बच्चों को ओवर प्रोटेक्शन तो नहीं दे रहे। बच्चों की भलाई के लिए उन्हें प्रोटेक्शन देना सही है, लेकिन इसकी अति उनपर विपरीत प्रभाव डाल सकती है।

जानिए क्या है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग

Helicopter Parenting
Because of helicopter parenting, we don’t let kids make their own decisions.

बच्चों को लाड़ प्यार से पालने के चक्कर में आजकल माता-पिता उन्हें कुछ नहीं करने देते। उन्हें अकेले बाहर नहीं जाने देते, गार्डन भेजने से डरते हैं, उन्हें छोटे-मोटा सामान लेने के लिए भी बाजार नहीं भेजते, उनके निर्णयों में भी दखलअंदाजी करते हैं। ये सभी हमारे ओवर प्रोटेक्शन के लक्षण हैं। इसी हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण हम बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने ही नहीं देते। कई बार पेरेंट्स इसी ओवर प्रोटेक्शन के चक्कर में बच्चों पर सख्ती तक दिखाना शुरू कर देते हैं, जिससे उनपर और भी ज्यादा विपरीत असर होता है। ऐसे में बच्चे सही उम्र में आत्मनिर्भर नहीं हो पाते। ऐसे में उन्हें भविष्य में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बच्चे खुद को कमजोर समझने लगते हैं। वे लाइफ में आने वाली परेशानियों को खुद हैंडल नहीं कर पाते।

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के हैं कई नुकसान  

अगर पेरेंट्स बच्चों को ओवर प्रोटेक्शन और केयर देंगे, तो बच्चे कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे
If parents give over protection and care to children, then children will never be able to become self-sufficient. Credit: istock

ध्यान रखें जब तक बच्चा गिरेगा नहीं, तब तक वह उठना कैसे सीखेगा। यही बात परवरिश पर भी लागू है। अगर पेरेंट्स बच्चों को ओवर प्रोटेक्शन और केयर देंगे, तो बच्चे कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे। वे अपनी परिस्थितियों को हैंडल ही नहीं कर पाएंगे। वे परेशानी में खुद जल्दी से निर्णय नहीं ले पाएंगे। इतना ही नहीं वे दूसरों से अपनी बातें भी खुलकर नहीं कर पाएंगे। उन्हें हमेशा विफल होने का एक डर सताता रहेगा। ओवर प्रोटेक्शन के चक्कर में माता-पिता ही हमेशा बच्चे के नजदीक रहते हैं। ऐसे में बच्चों के दोस्त भी कम बन पाते हैं। वो इंट्रोवर्ट हो सकते हैं। किसी से ज्यादा बात नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण आगे चलकर उन्हें जॉब में भी परेशानी हो सकती है।  

जानिए पेरेंट्स को कहां रखना है बैलेंस

बच्चों को पढ़ाई करने के लिए बोलें, लेकिन उन्हें डराए नहीं।
Tell children to study, but don’t scare them.

ये बात तो सच है कि पेरेंट्स से ज्यादा बच्चों को कोई प्यार नहीं कर सकता। लेकिन इसके चक्कर में आप बच्चे की जिंदगी को हाईजैक न करें। लाइफ में बैलेंस बेहद जरूरी है। इसके लिए सबसे जरूरी है एक उम्र के बाद आप बच्चों की बातों में खुद ब खुद दखलअंदाजी कम कर दें। जब आपको लगे कि अब आपके बोले बिना काम ही नहीं चल रहा, तब ही आप बोलें। जब बच्चे अपने निर्णय खुद लेंगे और उसके परिणाम सामने आएंगे तब उन्हें सही-गलत का पता चलेगा। बच्चों को पढ़ाई करने के लिए बोलें, लेकिन उन्हें डराए नहीं। आप बच्चों को दोस्त बनाने दें। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि उनकी संगत अच्छी रहे। बच्चों से घर और बाहर के छोटे-बड़े काम करने की आदत डालें। इससे उनमें कॉन्फिडेंस आएगा। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...