आपकी ओवर केयरिंग, बच्चों के लिए बन न जाए मुसीबत: Helicopter Parenting Effects
Helicopter Parenting Effects

Helicopter Parenting Effects: माता-पिता की जिम्मेदारी अपने बच्चे के लिए अन्य सभी रिश्तों से बड़ी होती है। बच्चे के जन्म से ही उसकी परवरिश शुरू हो जाती है। माता-पिता बच्चे के पहले कदम से ही उसके भविष्य की तैयारियां करने लगते हैं। क्योंकि हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा भविष्य में एक अच्छा मुकाम हासिल करे। उसके लिए वो हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन कई पैरंट्स ऐसे होते हैं जो हर वक्त बच्चे की ढाल बनकर खड़े रहते हैं।

हमेशा बच्चे के लिए सहारा बनकर खड़े रहने वाले पैरंट्स असल में अपने बच्चे की मदद नहीं बल्कि वो उसे भविष्य में आने वाली मुश्किलों के लिए कमजोर बनाते हैं। क्योंकि हर वक्त आप अपने बच्चे के आस-पास नहीं रहने वाले और ये सच्चाई है। ऐसे में ये जरूर जान लेना चाहिए कि आपकी अपने बच्चे के लिए केयरिंग कहीं हेलीकाप्टर पेरेंटिंग तो नहीं?

Helicopter Parenting Effects: क्या होती है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग?

Helicopter Parenting Effects
Meaning og Helicopter Parenting

ऐसे पेरेंट्स जो अपने बच्चे के हर फैसले में दखलअंदाजी करते हैं या फिर उन्हें खुद से फैसले नहीं लेने देते, इस तरह की परवरिश को हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग या कॉसेटिंग कहा जाता है। दरअसल, कई पैरंट्स अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। वो हर वक्त अपने बच्चे की मदद के लिए तत्पर रहते हैं और करते भी हैं। ऐसा भले ही उन्हें जिम्मेदार माता-पिता जिम्मेदारी लगे पर असल में वह अपने बच्चे को निर्भर बनाते हैं। इतना ही नहीं बच्चे की हर समस्या को वो अपने ही स्तर पर हल करने के प्रयास करे हैं। यानी स्पूनफीड (बच्चों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहना) करने लगते हैं, जो हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहलाती है।

क्या हैं हेलिकॉप्‍टर पेरेंटिंग के नुकसान?

Helicopter Parenting Effects
Helicopter Parenting Effects

आपकी ओवर केयरिंग आपके बच्चे के लिए कभी भी सही नहीं होती, भले ही माता-पिता के मन में ये ख्याल आये कि वो अपने बच्चे की मदद करके अपना फर्ज निभा रहे हैं। माता-पिता की जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी बच्‍चे के लिए स्‍कूल-कॉलेज या आगे चलकर परेशानी का सबब बन सकती है। 2014 में हुई एक स्‍टडी में पाया गया कि हेलिकॉप्‍टर पैरेंट्स के बच्चों में तनावग्रस्त होने या ड्रिप्रेशन का शिकार होने का खतरा ज्यादा था।

निर्भर रहने वाले बच्चे अक्सर अपने फैसले खुद लेने में सक्षम नहीं होते। उन्हें हमेशा माता-पिता की मदद चाहिए होती है। एक उम्र में आकर बच्चे को आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसे इतना सक्षम बनाना चाहिए कि वो अपने सभी फैसले खुद ले सके और बिना माता-पिता की मदद के अपनी हर समस्या से लड़ सके।