1- शिशुपाल वध

जब हस्तिनापुर सभा में श्रीकृष्ण के मौसेरे भाई शिशुपाल ने श्री कृष्ण को 100 से ज्यादा गाली दी तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी वचनानुसार शिशुपाल का अपने सुर्दशन चक्र से सर काट दिया। सर काट कर जब चक्र वापस आया तो उनकी अंगुली कट गई और खून बहने लगा। तब सभा में खड़ी द्रोपदी वहां आई और उन्होंने तुरंत अपनी कीमती साड़ी का पल्ला फाड़कर उसको भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांध दिया। श्रीकृष्ण ने खुश होकर तब द्रोपदी को वचन दिया कि ये चीर का टुकड़ा मुझ पर ऋण रहा मैं वक्त आने पर ये चुका दूंगा। द्रोपदी चीर हरण के वक्त द्रोपदी की लाज बचाकर उन्होंने अपना वचन पूरा किया।

2- राजपूत

राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तो महिलाएं माथे पर कुमकुम, तिलक लगाती थीं और हाथों पर रेशमी धागा बांधती थी जो रक्षा सूत्र कहलाता था। उनका विश्वास था कि ये रक्षा सूत्र के रूप में बांधा गया धागा उनको विजय श्री के साथ राजी खुशी वापस घर ले आयेगा। मेवाड़ की रानी कर्णावती के राज्य पर जब बहादुर शाह ने आक्रमण किया तो कर्णावती के पास सैनिक कम होने के कारण उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर भाई बनाया और सुरक्षा के लिए अनुरोध किया। हुमायूं ने भी हिन्दुओं के इस राखी के पर्व की महत्ता को समझा और कर्णावती की तरफ से बहादुर शाह से लड़ाई की और उसको परास्त करके कर्णावती की राज्य की रक्षा करके भाई का फर्ज अदा किया।

3- देवासुर संग्राम

देवासुर संग्राम में जब देवता हारने लगे तो इंद्र ने भगवान शिव से जीत का उपाय पूछा। तो शिव ने कहा कि ‘जब इंद्राणी आपको तिलक करके हाथ पर रक्षा सूत्र बांधेगी तो निश्चित ही आपकी व अन्य देवताओं की विजय होगी।’ इंद्राणी ने ऐसा ही किया और इंद्र व देवता विजयी हुए।

4- मदन मोहन मालवीय

मदन मोहन मालवीय ने जब काशी हिन्दू विश्व विद्यालय की स्थापना करने की योजना बनाई तो उन पर आर्थिक संकट था। उस आर्थिक संकट को दूर करने के लिए मालवीय जी ने शहर के व शहर के आस-पास धनवान लोगों के घर जाकर उनके हाथों पर रक्षासूत्र बांधा और उन लोगों से विश्वविद्यालय बनाने के लिए धन देने की प्रार्थना की। रक्षासूत्र के प्रभाव स्वरूप लोगों ने दिल खोलकर बड़ी धन राशि का दान किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बना।

5- विश्व विजेता सिकंदर

राजा पुरु कहते हैं कि विश्व विजेता सिकंदर भारतीय राजा पुरु की वीरता से मन ही मन घबरा गए थे। सिकंदर की पत्नी भी इससे काफी तनाव में थी। उन्होंने भारतीय पर्व रक्षाबंधन के बारें में काफी सुना था। इसी पर्व से प्रभावित होकर सिकंदर की पत्नी ने राजा पुरु को राखी भेजकर भाई बनाया और सिकंदर की रक्षा के लिए अनुरोध किया। पुरु ने भी सिकंदर की पत्नी को अपनी बहन माना और तब जाकर सिकंदर व पुरु का युद्घ बंद हुआ था। तो इस तरह से अनेक यादों को अपने में समेट कर आज भी रक्षा बंधन भारतीयों का एक प्रिय पर्व है।

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