Rakshabandhan 2025
Rakshabandhan 2025

Raksha Bandhan Katha: रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और सम्मान की प्रतिज्ञा करते हैं। रक्षाबंधन का यह अनोखा बंधन न केवल खून के रिश्तों को बल्कि भावनात्मक रिश्तों को भी मजबूत करता है। इसके पीछे की पौराणिक कथा में कई दिलचस्प घटनाएं और मान्यताएं हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं। चाहे वे कृष्ण और द्रौपदी की कहानी हो या राजा बलि और देवी लक्ष्मी की, हर कथा में रक्षाबंधन के महत्व और उसकी पवित्रता को दर्शाया गया है।

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रक्षाबंधन, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनके लंबे और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। इस साल, भद्रा काल के कारण, रक्षाबंधन दो दिनों, 30 और 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह त्योहार पारिवारिक प्रेम और एकता का प्रतीक है, और इसे पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, असुरराज बलि भगवान विष्णु के परम भक्त थे। अपनी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने बिना किसी हिचकिचाहट के यह दान स्वीकार कर लिया। भगवान विष्णु ने तीनों लोकों को अपने दो पगों में नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया। राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल लोक में साथ रहने का वरदान मांगा।

उधर, भगवान विष्णु के न लौटने पर माता लक्ष्मी अत्यंत दुखी हुईं। उन्होंने एक गरीब ब्राह्मणी का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंची और उन्हें राखी बांध दी। राखी के बदले माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को वापस स्वर्ग ले जाने का वरदान मांगा। राजा बलि ने राखी के बंधन का पालन करते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को वापस स्वर्ग भेज दिया। इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन के साथ-साथ भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और राजा बलि के बीच के अद्वितीय संबंध का भी प्रतीक है।

महाभारत काल से रक्षाबंधन का गहरा नाता रहा है। एक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो द्रौपदी ने उनकी उंगली पर बांधने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा था। बदले में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया था। यह घटना रक्षाबंधन के पावन रिश्ते का प्रतीक मानी जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सलाह दी थी कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधे। ऐसा करने से युद्ध में विजय प्राप्त होगी। इन दोनों कथाओं से स्पष्ट होता है कि रक्षाबंधन का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है और यह केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र बंधन है जो रक्षा और सुरक्षा का प्रतीक है।

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