स्फूर्ति की अभिव्यक्ति: Spiritual Thoughts
Spiritual Thoughts

Spiritual Thoughts: हम सही आदर्श का चयन करें- ऐसा आदर्श जिसके लिए हम अपना जीवन बलिदान करने का साहस कर सकें। जीवन स्फूर्तिमय है। हर व्यक्ति में इसकी अभिव्यक्ति होती है। वह सब प्राणियों में टिमटिमाती दिखाई देती है। जैसे बल्ब में बिजली चमकती है वैसे ही यह मनुष्य में चमक रही है। विद्युत की अभिव्यक्ति किसी उपकरण के द्वारा होती है और उसकी अभिव्यक्ति का रूप उस उपकरण पर ही निर्भर करता है। यदि बल्ब चारों ओर से धूल-मिट्टी से ढका है तो प्रकाश धुंधला होगा, उसमें चमक न होगी। यदि रेडियो की ट्यून ठीक नहीं है तो वह ध्वनि ठीक से न पकड़ेगा। जैसे स्पष्ट आवाज के लिए रेडियो का ट्ïयून होना आवश्यक है वैसे ही मानवी व्यक्तित्व के लिए योग आध्यात्मिक-ट्यूनिंग है। इससे मनुष्य में छिपी हुई शक्तियां निर्बाध रूप से व्यक्त होती हैं और उसका प्रयोग भली-भांति किया जा सकता है।

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छिपी हुई शक्तियां दो वर्ष के बालक में पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं हो सकतीं, क्योंकि जिन उपकरणों से वह शक्तियां प्रकट होती हैं वे पूर्णत: विकसित नहीं हैं और वृद्ध पुरुष के उपकरण घिसकर दुर्बल हो चुके हैं, इसलिए उनमें भी छिपी शक्ति प्रकट नहीं हो सकती। युवावस्था में वह शक्ति पूर्ण रूप से व्यक्त हो पाती है। युवक के अन्दर छिपी शक्ति अद्भुत और असीम है। युवक इतिहास का निर्माण कर सकते हैं किन्तु शक्ति का संग्रह कर उसे सही दिशा में लगाना होगा उससे उत्पादक कार्य लेना होगा। इसी अनुशासन को योग कहते हैं।

अपने जीवन को मूल्यवान और उपयोगी बनाने के लिए हमें अपने आप में वह उत्साह पैदा करना चाहिए। हमारे मन में उत्साह तभी आएगा जब हम अपने जीवन को किसी महान लक्ष्य के लिए समर्पित कर दें और उसी के हेतु आदर, प्रेम और लगन के साथ जुट कर कार्य करने लगें। एक बार हम उसके लिए अपने को समर्पित कर दें, वह आदर्श हमें स्वयं उत्साहित करेगा और शक्ति प्रदान करेगा। फिर उस लक्ष्य या आदर्श की ओर अग्रसर होने से हमें कोई न रोक सकेगा। हम अपने मार्ग पर प्रगति करते हुए आगे बढ़ते रहेंगे। आदर्श के प्रति हमारा प्रेम हमें सब कठिनाइयों के पार पहुंचा देगा। आदर्श से हमें अदम्य शक्ति प्राप्त हो सकती है। आदर्श के लिए कोई भी बलिदान हमें बड़ा नहीं दिखाई देगा और यदि वह आदर्श के लिए कोई भी बलिदान हमें बड़ा नहीं दिखाई देगा और यदि वह आदर्श प्राप्त हो गया तो हम वेदी पर अपने को मुस्कराते हुए बलिदान कर देंगे। यही कारण है कि भगत सिंह चमकते हुए मुखमंडल के साथ मुस्कराते हुए फांसी पर चढ़ गया। ध्यान देने की महत्त्वपूर्ण बात यही है कि हम सही आदर्श का चयन करें- ऐसा आदर्श जिसके लिए हम अपना जीवन बलिदान करने का साहस कर सकें। आदर्श ऐसा प्रेरणादायक होना चाहिए कि वह हमारे अन्दर कर्म की अजस्त्र धारा उत्पन्न कर सके। अत: आदर्श की खोज में ही हमारी शक्ति, स्फूर्ति और पूर्णता का रहस्य छिपा है।