Divorce Discussion: तलाक एक संवेदनशील विषय है जिस पर चर्चा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर बच्चों के साथ। कुछ पेरेंट्स इस बात को लेकर अनिश्चित होते हैं कि तलाक के बारे में अपने बच्चों को कैसे और कितना बताना है। वहीं कुछ पेरेंट्स बच्चे को इस मामले से दूर रखना बेहतर समझते हैं। मां और पिता से अलग होना बच्चों के लिए बड़ा झटका हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को तलाक से पैदा होने वाली स्थिति के लिए पहले से तैयार करें और उनकी मदद करें। बच्चे से तलाक से जुड़ी बातचीत काफी मुश्किल हो सकती है लेकिन बच्चों से तलाक या सेपरेशन के विषय में बात करना जरूरी भी होता है। तलाक की बात शुरू करने से पहले पेरेंट्स को बच्चे का भरोसा जीतना होगा साथ ही उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। ताकि तलाक के बाद भी बच्चे की जिंदगी पहले की तरह ही चलती रहे। तलाक के विषय में बच्चे को कैसे और कितना बताएं चलिए जानते हैं इसके बारे में।
पेरेंट्स एक साथ करें बच्चे से बात
अपने बच्चों को तलाक का डिसीजन सुनाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि, आप और आपका एक्स पार्टनर एक साथ हों। पेरेंट्स यदि एक साथ बच्चे से बात करेंगे तो बच्चे को भ्रम, डर और परिवर्तन के बारे में समझाना आसान हो जाएगा। बच्चे को अपना डिसीजन बताते समय किसी प्रकार का गुस्सा या दर्द न दर्शाएं। सेपरेट होने से पहले बच्चों के साथ एक छुट्टियां मनाने की घोषणा करें। यदि आप बच्चे से तलाक की बात कहने में असहज महसूस कर रहे हैं तो किसी डिवोर्स कोच या काउंसलर की मदद लें।
बच्चे के सामने एक-दूसरे को ब्लेम न करें
जब भी बच्चे से बात करें तो पेरेंट्स एक-दूसरे को दोष देने, उंगली उठाने और भला-बुरा कहने से बचें। आपके बच्चे, विशेषकर बड़े बच्चे, यह जानने का प्रयास करेंगे कि तलाक क्यों हो रहा है। वह आपको सच बताने के लिए मजबूर भी कर सकते हैं। कई मामलों में बच्चे का कारण जानना उनकी मेंटल हेल्थ पर प्रभाव डाल सकता है। इसलिए एक-दूसरे को बिना दोषारोपण के बात करें। बच्चे को बताएं कि हम एक साथ खुश नहीं रह सकते, हमने कोशिश की लेकिन रिश्ता संभाल नहीं पाए या हम अच्छे दोस्त हैं लेकिन एक-दूसरे से प्यार नहीं करते। ऐसे शब्द बच्चे को सहानभूति दे सकते हैं, जिसे शायद वह समझे सके।
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बदलाव के बारे में बताएं
आपके बच्चे जानना चाहेंगे कि वे कहां रहेंगे, किसके साथ रहेंगे और उनकी लाइफ किस प्रकार अलग हो सकती है। पेरेंट्स बच्चे को बदलाव के लिए तैयार करें और उन्हें ईमानदारी से सभी बाते बताएं। बच्चे किसके साथ रहेंगे, कहां रहेंगे या हफ्ते में कितनी बार आपसे मिलेंगे, सबके बारे में खुलकर समझाएं। साथ ही उन्हें विश्वास दिलाएं कि उनका जीवन जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा। उन्हें किसी बात की परेशानी नहीं आएगी। उनका स्कूल, खेल, दोस्त और अन्य एक्टिविटी पहले की तरह ही होंगी। वह तलाक के बाद दोनों पेरेंट्स से संपर्क बनाकर रख सकता है।
आश्वासन और सहानुभूति महत्वपूर्ण है
बच्चों में तलाक का डर टीवी या उन दोस्तों से प्रभावित हो सकता है जिनके माता-पिता तलाकशुदा हैं। कई बार बच्चे ये मान सकते हैं कि वे तलाक का कारण हैं या उनके माता-पिता उन्हें प्यार नहीं करते। पेरेंट्स बच्चों को सुनिश्चित करें कि तलाक उन दोनों की वजह से हो रहा है न कि बच्चों की वजह से। अलग होते समय बच्चों से ऐसे वादे न करें जिन्हें आप फ्यूचर में पूरा न कर सकें। बच्चे के प्रति सहानुभूति दिखाएं और उन्हें पहले से अधिक प्यार करें।
बच्चे के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे
बच्चों से तलाक की बात करते समय उन्हें यकीन दिलाएं कि, जब भी बच्चे को उसकी आवश्यकता होगी वह वहां उपलब्ध होंगे। हर बच्चे का रिएक्शन अलग-अलग होता है। कुछ असानी से चीजों को एक्सेप्ट कर लेते हैं और कुछ मन ही मन घुटते रहते हैं। किसी से कुछ नहीं कहते। ऐसे में जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चे के पास रहें और उसे इस स्थिति से निकालने में मदद करें।