Navratri Festival
Navratri Festival

ऐसे में लोग मां के शक्तिपीठों के दर्शन की कामना करते हैं परंतु समय के अभाव एवं जिम्मेदारियों तथा महंगाई के चलते कई लोग इससे वंचित रह जाते हैं। तो आइए इस लेख के माध्यम से मां के उन सभी शक्तिपीठों का दर्शन करें।

Navratri Festival Importance : 51 शक्तिपीठों के संदर्भ में जो कथा प्रचलित है वह यह है कि सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था, परंतु सती के पति भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा। जिससे भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए, लेकिन सती जिद कर यज्ञ में शामिल होने चली गईं, वहां शिव की निंदा सुनकर वह यज्ञकुंड में कूद गईं, तब भगवान शिव सती के वियोग में विह्वल होकर सती का शव अपने सिर पर धारण कर संपूर्ण भूमंडल पर भ्रमण करने लगे।

भगवती सती ने तब अंतरिक्ष में शिव को दर्शन दिए और उनसे कहा कि जिस-जिस स्थान पर उनके शरीर के खंड विभक्त होकर गिरेंगे, वहंा महाशक्तिपीठ का उदय होगा। सती का शव लेकर शिव पृथ्वी पर विचरण करते हुए नृत्य भी करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी। इस पर विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंड-खंड करने का विचार किया। जब-जब शिव नृत्य मुद्रा में पंाव पटकते, विष्णु अपने चक्र से शरीर का कोई अंग काटकर उसके टुकड़े पृथ्वी पर गिरा देते। इस प्रकार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहीं शक्तिपीठ का उदय हुआ।

शक्तिपीठों के उद्भव कथा का वर्णन विभिन्न पुराणों एवं शाक्त शैव गं्रथों में मिलता है, किन्तु उनकी संख्या को लेकर सर्वत्र अंतर मिलता है। श्रीमद्देवीभागवत में इनकी संख्या 108 है, तंत्र चूडामणि में 52 है, देवी पुराण -महाभागवत में 51 है, शिवचरित में भी 51 है, देवीगीता में 51 है, किन्तु परंपरागत रूप में 51 शक्तिपीठ मान्य हैं। इस चैत्र नवरात्र पर हम अपने आलेख के जरिए देश-विदेश में स्थित इसी 51 शक्तिपीठों की जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन सा शक्तिपीठ कहां स्थित है।

  1. किरीट शक्तिपीठ
    पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति ‘विमला’ अथवा ‘भुवनेश्वरी’ तथा ‘भैरव’ संवर्त हैं।
  2. कात्यायनी पीठ (वृंदावन)
    उत्तर प्रदेश, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ, जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी ‘कात्यायनी’ हैं।
  3. करवीर शक्तिपीठ
    महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव क्रोधीश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
  4. श्री पर्वत शक्तिपीठ
    इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतांतर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है, जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति श्री सुंदरी एवं भैरव सुंदरानंद हैं।
  5. विशालाक्षी शक्तिपीठ
    उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है विशालाक्षी शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति ‘विशालाक्षी’ तथा भैरव ‘काल भैरव’ हैं।
  6. गोदावरी तट शक्तिपीठ
    आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति ‘विश्वेश्वरी या रुक्मिणी’ तथा भैरव ‘दण्डपाणि’ हैं।
  7. शुचींदम शक्तिपीठ
    तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची द्रम शक्तिपीठ, जहां सती के ऊर्ध्वंदंत (मतांतर से पृष्ठ भाग) गिरे थे। यहां की शक्ति ‘नारायणी’ तथा भैरव ‘संहार या संकूर’ हैं।
  8. पंच सागर शक्तिपीठ
    इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है, लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति ‘वाराही’ तथा भैरव ‘महारुद्र हैं।
  9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ
    हिमाचल प्रदेश के कांगडा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति ‘सिद्धिदा’ व भैरव ‘उन्मत्त’ हैं।
  10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हंै, जहां माता का ऊर्ध्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति ‘अवंती’ तथा ‘भैरव’ ‘लबकर्ण’ हैं।
  11. अट्टहास शक्तिपीठ अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अधरोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति ‘फुल्लरा’ तथा ‘भैरव’ ‘विश्वेश’ हैं।
  12. जनस्थान शक्तिपीठ महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति ‘भ्रामरी’ तथा भैरव ‘विकृताक्ष’ हैं।
  13. कश्मीर शक्तिपीठ जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह शक्तिपीठ जहां माता का कंठ गिरा था। यहां की शक्ति ‘महामाया’ तथा भैरव ‘त्रिसंध्येश्वर’ हैं।
  14. नंदीपुर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थिया में स्थित है यह पीठ, जहां देवी की देह का कंठ हार गिरा था। यहां कि शक्ति नन्दिनी और भैरव नन्दिकेश्वर हैं।
  15. श्री शैल शक्तिपीठ आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ, जहां माता का ग्रीवा गिरा था। यहां की शक्ति ‘महालक्ष्मी’ तथा भैरव ‘र्सवरानंद’ अथव ‘ईश्वरानंद’ हैं।
  16. नलहरी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहरी शक्तिपीठ, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति ‘कालिका’ तथा भैरव योगीश हैं।
  17. मिथिला शक्तिपीठ इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मतांतर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति ‘उमा या महोवी’ तथा भैरव ‘महोर’ हैं।
  18. रत्नावली शक्तिपी इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाल पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण ‘स्कंध’ गिरा था। यहां की शक्ति ‘कुमारी’ तथा भैरव ‘शिव’ हैं।
  19. अम्बाजी शक्तिपीठ, प्रभास पीठ गुजरात गूनागढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथम शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मंदिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति ‘चंदभागा’ तथा भैरव ‘वक्रतुंड’ है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का ऊर्ध्वोष्ठ गिरा था, जहां की शक्ति अवंती तथा भैरव ‘लंबकर्ण’ है।
  20. जालंधर शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में स्थित है माता का जालंधर शक्तिपीठ, जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति ‘त्रिपुरमालिनी’ तथा भैरव ‘भीषण’ हैं।
  21. रामागिर शक्तिपीठ इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतांतर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हंै, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहां की शक्ति ‘शिवानी’ तथा भैरव ‘चंड’ हैं।
  22. वैद्यनाथ का र्हा शक्तिपीठ झारखंड के गिरिडीह, देवघर में स्थित है वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
  23. वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थिया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव वक्त्रनाथ हैं।
  24. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों (हिंदमहासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी) के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता का पीठ (मतांतर से ऊर्ध्वदंत) गिरा था। यहां की शक्ति ‘शर्वाणि’ या ‘नारायणी’ तथा भैरव ‘निमषि या स्थाणु’ हैं।
  25. बहुला शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ, जहां माता का ‘वाम बाहु’ गिरा था। यहां की शक्ति ‘बहुला’ तथा भैरव ‘भीरुक’ हैं।
  26. उज्जयिनी शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ। जहां माता का कुहनी गिरी थी। यहां की शक्ति ‘मंगल चण्डिका’ तथा भैरव ‘मांगल्य कपिलांबर’ हैं।
  27. मणिवेदिका शक्तिपीठ राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ, जिसे गायत्री मंदिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति ‘गायत्री’ तथा भैरव ‘शर्वानंद’ हैं।
  28. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है यह सिद्ध स्थल। जहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थीं। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद है इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों पर गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ‘ललिता’ हैं।
  29. विरजाक्षेत्र, उत्कल उत्कल शक्तिपीठ उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरी थी। यहां की शक्ति ‘विमला’ तथा भैरव ‘जगन्नाथ पुरुषोत्तम’ हैं।
  30. कांची शक्तिपीठ तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति ‘देवगर्भा’ तथा भैरव ‘रुद्र’ हैं।
  31. कालमाधव शक्तिपीठ इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परंतु, यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति ‘काली’ तथा भैरव ‘असितांग’ हैं।
  32. शोण शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मंदिर शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मंदिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्र गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति ‘नर्मदा या शोणाक्षी’ तथा भैरव ‘भद्रसेन’ हैं।
  33. कामरूप कामाख्या शक्तिपीठ कामगिरि असम, गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का योनि गिरा था। यहां की शक्ति ‘कामाख्या’ तथा भैरव ‘उमानंद’ हैं।
  34. जयंती शक्तिपीठ जयंती शक्तिपीठ मेघालय के जयंतिया पहाड़ी पर स्थित है, जहां माता का वाम जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति ‘जयंती’ तथा भैरव ‘क्रमीश्वर’ हैं।
  35. मगध शक्तिपीठ बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है, जहां माता का दाहिना जंघा गिरा था। यहां की शक्ति ‘सर्वानंदकरी’ तथा भैरव ‘व्योमकेश’ हैं।
  36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है त्रिस्तोता शक्तिपीठ, जहां माता का वामपाद गिरा था। यहां की शक्ति ‘भ्रामरी’ तथा भैरव ‘ईश्वर’ हैं
  37. त्रिपुरी सुंदरी शक्तिपीठ त्रिपुरा के राधा किशोर ग्राम में स्थित है त्रिपुरे सुंदरी शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति ‘त्रिपुर सुंदरी’ तथा भैरव ‘त्रिपुरेश’ हैं।
  38. विभाष शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में स्थित है विभाष शक्तिपीठ, जहां माता का बायंा टखना गिरा था। यहां की शक्ति ‘कापालिनी, भीमरूपा’ तथा भैरव ‘सर्वानंद’ हैं।
  39. देवीकूप पीठ (कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ) हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ, जो श्रीदेवीकूप (भद्रकाली) पीठ के नाम से मान्य है। माता का दहिने चरण (गुल्फ) गिरे थे। यहां की शक्ति ‘सावित्री’ तथा भैरव ‘स्थाणु’ हैं।
  40. युगाद्या शक्तिपीठ (क्षीरग्राम शक्तिपीठ) पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है युगाद्या शक्तिपीठ, यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।
  41. विराट का अम्बिका शक्तिपीठ राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पादांगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति ‘अंबिका’ तथा भैरव ‘अमृत’ हैं।
  42. काली शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में कालीमंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह शक्तिपीठ, जहां माता के दाएं पांव की अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति ‘कालिका’ तथा भैरव ‘नकुलेश’ हैं।
  43. मानस शक्तिपीठ तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहां माता की दाहिना हथेली का निपात हुआ था। यहां की शक्ति की ‘दाक्षायणी’ तथा भैरव ‘अमर’ हैं।
  44. लंका शक्तिपीठ श्रीलंका में स्थित है लंका शक्तिपीठ, जहां माता का नूपुर गिरा था। यहां की शक्ति ‘इंद्राक्षी’ तथा भैरव ‘राक्षसेश्वर’ हैं। लेकिन, वह स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।
  45. गडकी शक्तिपीठ नेपाल में गडकी नदी के उद्गम पर स्थित है गडकी शक्तिपीठ, जहां सती के दक्षिणगंड (कपोल) का गिरा था। यहां शक्ति ‘गडकी’ तथा भैरव ‘चक्रपाणि’ हैं।
  46. गुह्रेश्वरी शक्तिपीठ नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही स्थित है गुह्रेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता सती के दोनों जानु (घुटनों) गिरे थे। यहां की शक्ति ‘महामाया’ और भैरव ‘कपाल’ हैं।
  47. हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है माता हिंगलाज शक्तिपीठ, जहां माता का ब्राहृरंध्र गिरा था।
  48. सुगंधा शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना में सुगंधा नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ, जहां माता का नासिका गिरा था। यहां की देवी ‘सुनंदा’ तथा भैरव ‘त्र्यम्बकं’ हैं।
  49. करतोयाघाट शक्तिपीठ बंाग्लादेश भवानीपुर के बेगडा में करतोया नदी के तट पर स्थित है करतोयाघाट शक्तिपीठ, जहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां देवी ‘अपर्णा’ रूप में तथा ‘शिव वामन’ भैरव रूप में वास करते हैं।
  50. चट्टल शक्तिपीठ बंाग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ, जहां माता का दाहिना बाहु यानी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति ‘भवानी’ तथा भैरव ‘चंद्रशेखर’ हैं।
  51. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का प्रसिद्ध यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता का बायीं हथेली गिरा था। यहां शक्ति ‘यशोरेश्वरी’ तथा भैरव ‘चंद’ हैं।

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