Lakshmi Favorite Things: जिस तरह पशुओं में गधे को मूर्खता का प्रतीक माना जाता है उसी तरह उल्लू को भी बुद्धिहीनता या बेवकूफी का पर्याय मान लिया गया है। उल्लू का मूर्खता से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक शांतप्रिय पक्षी है। इसकी खास विशेषता यह है कि इसके शरीर का तापमान वातावरण के साथ घटता-बढ़ता नहीं है। अत: शांत स्वभाव वाली महारानी लक्ष्मी जी ने इस समतापी पक्षी को अपना वाहन स्वीकार किया।
लक्ष्मी जी को प्रिय उल्लू
श्री विष्णु भगवान की परमप्रिय लक्ष्मी अपने पतिदेव के साथ गरुड़ पर बैठकर अपने भक्त के यहां धार्मिक कृत्य होने पर सदा आती हैं। परंतु यदि कोई भगवान को छोड़कर अकेली लक्ष्मी का आह्वान करता है तब उनका वाहन दिन में न देख सकने वाला विनाश का प्रतिनिधि उल्लू होता है। गरुड़ के दर्शन को सर्व साधारण समस्त मंगल का मूल समझता है और उल्लू को अमंगलकारक पक्षी।
अत: जिस व्यक्ति के यहां जप, पूजा-पाठ, ईश्वर आराधना, देव- कर्म, दान-पुण्य और अतिथि सत्कार होता है वहां समझें कि लक्ष्मी पतिदेव श्रीमन्नारायण सहित पधारी हैं और जहां अनाचार, व्यभिचार, दुराचार, अत्याचार और प्रमाद का बोलबाला हो, वहां जान लेना चाहिए कि लक्ष्मी जी अकेले ही अपने वाहन उल्लू पर तशरीफ लाई हैं।
लक्ष्मी जी को प्रिय कौड़ी
कौड़ी हमारे धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन से इस कदर जुड़ी है कि कौड़ी उपासना की वस्तु है तो शृंगार सामग्री की भी, सजावट की वस्तु है तो मनोरंजन का साधन भी। इसका प्रयोग आभूषण एवं टोटकों के लिए भी होता है।
संपदा की प्रतीक कौड़ियों को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। समुद्र से उत्पन्न जितनी भी वस्तुएं होती हैं ये सभी किसी न किसी रूप में लक्ष्मी पूजा में अथवा लक्ष्मी के प्रतीक रूप में उपयोग की जाती हैं। शंख समुद्र में उत्पन्न होता है, अत: इसे लक्ष्मी का भाई माना गया है। शंख की पूजा का विशेष विधान है। कौड़ी भी समुद्र में उत्पन्न होता है, अत: इसे लक्ष्मीकारक माना गया है।
कौड़ी का संबंध शिव से भी जोड़ा गया है। शिव की बंधी जटाओं की शक्ल कौड़ी से बहुत मिलती-जुलती है। संभवत: इस कारण शिव को कपर्दिन कहा गया। शिव के वाहन नंदी को आज भी कौड़ियों से खूब सजाया जाता है। शिव के 18 शृंगार में कौड़ी भी सम्मिलित है। आज हालांकि कौड़ी का मुद्रा के रूप में प्रचनल नहीं रहा लेकिन हमारी भाषा में, मुहावरों में, लोकोक्तियों में कौड़ी शब्द का बहुत उपयोग होता है। आज भी किसी को हिकारत से धिक्कारते हुए ‘दो कौड़ी’ का संबोधन दिया जाता है। कहते हैं कि गल्ले में, पैसों की अलमारी में, लॉकर आदि में कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंग कर पीले कपड़े में बांध कर रखने से लक्ष्मी आकर्षित होती हैं।
लक्ष्मी का आसन कमल
लक्ष्मीजी का आसन कमल पुष्प है। कमल पानी में उत्पन्न होता है। इसका सम्पूर्ण तना पानी में डूबा रहने के बावजूद कमल के पत्तों पर पानी की बूंद नहीं ठहरती और कमल पुष्प सदैव जल से कुछ ऊपर रहता है। लक्ष्मीजी भी केवल उन भक्तों के हृदय में निवास करती हैं, जो संसार में रहते हुए भी माया में लिप्त नहीं होते, बल्कि लोभ, मोह, काम, क्रोध और अहंकार जैसे दुर्गुणों से कुछ ऊपर उठ चुके होते हैं।
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार लक्ष्मीजी को कमल से उत्पन्न माना जाता है, इसलिए उन्हें पद्मजा भी कहते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार सागर मंथन के दौरान सबसे पहले कमल पुष्प की ही सृष्टि हुई। भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल दंड पैदा हुआ। जब वह सागर से बाहर आये, तो उसमें एक पुष्पकली लगी हुई थी। इसी कली के खिलने पर ब्रह्मïाजी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मïजी ने सृष्टि की रचना की। इस प्रकार सृष्टि का आरंभ करने का श्रेय कमल को ही जाता है। कमल भारतीय धर्म, दर्शन एवं संस्कृति का संदेशवाहक है। यह एक सात्विक पुष्प है। कीचड़ में उत्पन्न होते हुए भी यह शुद्घ होता है। शास्त्रों के अनुसार कमल मनुष्य को सिखाता है कि संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी उसे उसमें डूबना नहीं चाहिए।
FAQ | क्या आप जानते हैं
गर्भवती महिला पर इसका प्रभाव हल्का सा ज्यादा देखने को मिल सकता है। अगर आपको इसका सेवन करने के बाद कोई साइड इफेक्ट नजर आता है तो इसे लेना तुरंत बंद कर दें। इसके अलावा आपको इसका सेवन करने से पहले ही डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं पर भी इसका प्रभाव मीडियम रहता है। हो सकता है आपको कुछ साइड इफेक्ट देखने को भी मिल जाए इसलिए ऐसा करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
जी नहीं, अक्सर यह सलाह दी जाती है की इस दवाई का सेवन करने के बाद आपको ड्राइविंग जैसा जिम्मेदारी भरा काम नहीं करना चाहिए या फिर इसका सेवन करने के कुछ घंटों बाद ड्राइविंग करनी चाहिए।
नहीं, निकोटेक्स एकदम स्वस्थ ऑप्शन है और इसका सेवन करने के बाद आपकी खाने पीने की आदतें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होती हैं।
निकोटेक्स एक निकोटीन गोली है, जो धीमे धीमे निकोटीन विकसित करती है, जो धुआंदार उत्पादों को छोड़ने में मदद कर सकता है।
यह भी पढ़ें –कैसा था रामराज्य?