बुधवार का व्रत ऐसा उपवास है, जो कम ही लोग रखते हैं। लेकिन फिर भी इसकी मान्यता बहुत है। इस व्रत को रखने से घर में सुख शांति बनी रहती है। घर में सभी लोग स्वस्थ्य रहते हैं। इस व्रत में गणेश जी के साथ भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है। इस दिन से जुड़ी हरे रंग को लेकर भी कई मान्यताएं हैं। साथ ही इसकी शुरुआत को लेकर भी खास दिन और तिथि के बारे में बताया गया है। बुधवार के व्रत से जुड़े सभी नियम-कायदों और विधि को लेकर जरूरी बातें, आइए जानें-
नक्षत्र का रखना होगा ध्यान-
जानकार मानते हैं कि बुधवार के व्रत की शुरुआत यूंहीं किसी भी बुधवार को नहीं शुरू की जा सकती है। अग्नि पुराण के अनुसार इसके लिए आपको विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार को ही शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से भी ये शुरुआत की जा सकती है। 
कम से कम कितनी बार-
जैसे सोलह सोमवार के व्रत करने की सलाह दी जाती है, ठीक वैसे ही बुधवार के व्रत को लेकर भी कुछ दिनों की बात की जाती है। माना जाता है कि ये व्रत कम से कम 7 बुधवार तक किया जाना चाहिए। तब ही पूरा फल मिलता है। 
भगवान बुद्ध की पूजा-
इस व्रत को शुरू करने से पहले नहा धोकर भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है। लेकिन साथ में गणेश भगवान और नवग्रहों का पूजन भी किया जाना चाहिए। पूरा दिन व्रत करने के बाद शाम को भी पूजा जरूर की जानी चाहिए। इस दौरान महापुराण का पाठ भी कराया जा सकता है। 
भगवान बुद्ध की प्रतिमा-
हो सकता है कि आपके पास भगवान बुद्ध की प्रतिमा ना हो। इस वक्त आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि आप भगवान शिव के पास पूजा भी कर सकते हैं। इसके अलावा मूर्ति नहीं है तो बुद्ध यंत्र भी लिया जा सकता है। इसमें बुद्ध की प्रतिमा भी होती है, साथ में यंत्र भी होता है। तांबे के इस यंत्र को रख कर भी पूजा की जा सकती है। 
हरे रंग का महत्व-
बुधवार के व्रत में हरे रंग का प्रयोग लाभकारी बताया गया है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र, फूल और सब्जी आदि दान किए जाते हैं। इस दिन भोजन एक बार ही किया जाता है, कोशिश करें ये भी हरा ही हो तो अच्छा है। लेकिन इसके अलावा दही, मूंग दाल का हलवा आदि का सेवन किया जा सकता है।  
 
क्यों किया जाता है व्रत- 
इस व्रत का मुख्य मकसद बुद्ध गृह को शांत करना होता है। इसके साथ त्वचा रोग, व्यापार, बुद्धि और शिक्षा के क्षेत्र में भी लाभ मिलता है। जीवन के किसी क्षेत्र में रुकावटंन आ रही हैं तो भी ये व्रत फलदायी होता है। 
दूरबा की गड्डी-
जो लोग बुधवार को गणेश जी की आराधना के लिए ही व्रत रखते हैं, उनको दूरबा की गड्डी भी रखनी होती है। इसमें 21 दूरबा की गड्डी चढ़ाई जाती है। कई लोग 21 गड्डी भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा कई लोग संकल्प करते हैं तो गणेश जी के 108 नामों से 108 दूरबा भी चढ़ाते हैं। 
(अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवं ज्योतिषी सर्वांगजी से बातचीत पर आधारित)
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