Akshaya Tritiya 2025
Akshaya Tritiya 2025

Akshaya Tritiya 2025: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। इस दिन शुभ-मांगलिक कार्य, नए काम की शुरुआत, दान और खदीरारी आदि करने का महत्व है। बता दें कि अक्षय तृतीया तिथि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है, जोकि इस बार बुधवार 30 अप्रैल 2025 को है। यह तिथि इतनी पुण्यदायी और शुभ होती है कि इस दिन आप बिना मुहूर्त देखे कोई भी काम कर सकते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए कार्यों से अक्षय पुण्य यानी कभी न खत्म होने वाले पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

पूरे साल पोशाख से ढके होते है बांके बिहार के चरण

banke Bihari
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अक्षय तृतीया पर कई कार्यों के साथ ही इस दिन का एक धार्मिक पहलू भी है कि, इसी दिन वृंदावन स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में बांके बिहारी के चरणों के दर्शन भी होते हैं। यह भक्तजन के लिए बहुत ही दुर्लभ और चमत्कारी अनुभव होता है। बता दें कि पूरे साल में केवल अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बांके बिहारी के चरणों के दिव्य दर्शन हो पाते हैं। जबकि अन्य दिनों में भगवान के चरण पोशाक से ढके होते हैं। आइए जानते हैं क्या है इस परंपरा का धार्मिक महत्व।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होने की परंपरा स्वामी हरिदास की भक्ति से जुड़ी है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान के चरणों के दर्शन पाकर ही स्वामी हरिदास जी को धन की प्राप्ति हुई थी। इसलिए ऐसा माना जाता है कि अक्षत तृतीया पर जो भक्त बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करते हैं उन्हें दिव्यता का अनुभव होता है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति भी होती है।

अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी के चरण दर्शन की परंपरा

Vrindavan banke Bihari Charan darshan
Vrindavan banke Bihari Charan darshan

अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करने की परंपरा वर्षों पुरानी है। इस परंपरा से एक कथा भी जुड़ी है, जिसके अनुसार- स्वामी हरिदास भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे। वे श्रीकृष्ण की सेवा, भक्ति, उपासना किया करते थे। हरिदास जी के भक्तिभय भजन और संगीत कृष्ण भक्ति में ओत-प्रोत होते थे।

लेकिन एक समय ऐसा आया कि स्वामी हरिदास के जीवन में आर्थिक संकट आ गया। धन की कमी के कारण वे ठाकुर जी की सेवा भी नहीं कर पा रहे थे। तब एक रात अचानक उनके ध्यान में ठाकुर जी के चरणों के पास एक स्वर्ण मुद्रा प्रकट हो गई। इसके बाद से स्वामी हरिदास जी को जब भी ठाकुर जी की सेवा और भोग के लिए धन की आवश्यकता होती थी, ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्रकट हो जाती है। यही कारण है कि बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन रोज-रोज न होकर केवल अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर होते है, जिससे कि भक्तजनों के जीवन में अमूल्य आशीष और पुण्य कर्म का वास हो।

वृंदावन में अक्षय तृतीया के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और बांके बिहारी के चरणों के दिव्य दर्शन भी करते हैं। बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करना भक्तों के लिए किसी अनुकंपा के कम नहीं। भक्त इस आशा के साथ चरणों के दर्शन करते हैं कि, उनके जीवन चल रही समस्याओं को दुखों का अंत हो जाएगा।

मेरा नाम पलक सिंह है। मैं एक महिला पत्रकार हूं। मैं पिछले पांच सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैं लाइव इंडिया और सिर्फ न्यूज जैसे संस्थानों में लेखन का काम कर चुकी हूं और वर्तमान में गृहलक्ष्मी से जुड़ी हुई हूं। मुझे...