नारकोटिक्स टोल ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में इन पदार्थों की 3.6 लाख कि.ग्रा। मात्रा पकड़ी गई, जो अब तक सर्वाधिक है। नारकोटिक्स अधिकारियों का मानना है कि पिछले साल मादक पदार्थों की सर्वाधिक मात्रा पकड़े जाने की वजह से लोगों में बढ़ती जागरूकता है। साथ ही विभिन्न कानून एजेंसियों का ऐसे पदार्थों के अवैध धंधों तक पहुंचने की क्षमता में वृद्धि के चलते ऐसा हुआ है। 

कोकीन की ज्यादातर पकड़ हवाई अड्डों पर हुई है। इस ड्रग को पश्चिमी अफ्रीकी तस्करों द्वारा भारत लाया जाता है। इसका प्रयोग हेरोइन बनाने में किया जाता है। अफीम की तस्करी मणिपुर, झारखंड, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से देश के दूसरे हिस्सों में होती है। वहीं हेरोइन की तस्करी पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा से देश के अन्य हिस्सों में की जाती है। इसी प्रकार हशीश की तस्करी जम्मू-कश्मीर से महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा पार गुजरात में की जाती है। नेपाल से भी इसकी तस्करी होती है। 

मादक द्रव्यों का इस्तेमाल आज युद्ध सामग्री के रूप में किया जा रहा है। शत्रुभाव रखने वाले देश दूसरे देश को क्षति पहुंचाने के लिए उस देश में बड़े पैमाने पर मादक द्रव्यों, नशे और ड्रग्स का अवैध कारोबार खड़ा करने में रूचि ले रहे हैं। भारत स्वयं इससे पीड़ित है। भारत के सीमावर्ती राज्यों, विशेषकर पंजाब, राजस्थान, कश्मीर तथा पूर्वात्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर शत्रु देशों द्वारा ड्रग्स भेजा जा रहा है। इस ड्रग्स के लालच में पड़कर अनेक लोग राष्टï्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो चुके हैं। इसके माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को नशे का गुलाम बनाकर उसे खोखला किया जा रहा है। अनेक प्रयासों के बावजूद इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। भारत जितना अधिक आतंकवाद से पीड़ित है, उतना ही अधिक वह नशे के इस अवैध आयात से भी परेशान है। हमें अपनी कानून व्यवस्था और एंटी नारकोटिक्स सिस्टम को और अधिक कारगर, सक्षम व ताकतवर बनाना होगा, तभी हम इस घातक ड्रग्स सिंडिकेट और माफिया से निपट सकेंगे। भारत में बिगड़ती कानून व्यवस्था और स्थिति के लिए नशा और मादक पदार्थ ही सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। नशे की अवस्था में ही अधिकतम अपराध किए जाते हैं। यदि हम नशे पर सख्ती से रोक लगाएं, तो अपराधों पर भी काबू पाया जा सकता है।

अपराधों पर नियंत्रण के लिए हमें द्विस्तरीय योजना पर काम करना होगा। समाज में नशा और घातक ड्रग्स की तस्करी के रहते कभी भी अपराधों पर वांछित नियंत्रण प्राप्त नहीं किया जा सकता। जितनी अधिक आवश्यकता हमें अपने पुलिस सिस्टम को दुरुस्त करने की है, उससे कहीं अधिक आवश्यकता हमें नशे पर रोक लगाने की है। बढ़ता नशा और अनियंत्रित आबादी देश को अराजकता की ओर ले जा सकती है। नि:संदेह भारत को अपनी बढ़ती हुई आबादी तथा नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगानी ही होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो हमारी विकास योजनाएं और पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम पूरी तरह से विफल हो जाएंगे। हमारे पास अब अधिक समय नहीं है। हम पहले ही खतरे की सीमा को पार कर चुके हैं।