भगवान स्कंद की माता होने होने के कारण मां दुर्गा की इस पांचवीं शक्ति को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता हैं। बालरूप में भगवान स्कंद माता की गोद में विराजमान हैं। वहीं माता ने अपनी चार भुजाओं में से दाहिनी उपरी भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। माना जाता है इनके आशीर्वाद से संतान का सुख मिलने के साथ ही दु:खों से मुक्ति भी मिलती है। वहीं संतान सुख की इच्छा से जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की पूरी श्रद्धा से आराधना करते हैं उन्हें माँ संतान सुख अवश्य प्रदान करती हैं। जानते हैं माँ की पूजा-अर्चना की विधि-
ऐसे शुरू हुई स्कंदमाता की पूजा
कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र भय से कांपने लगे। इंद्र अपने प्राण बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे। स्कंद भगवान को कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है इसलिए माता को मनाने के लिए इंद्र देवताओं सहित स्कंदमाता नाम से देवी की स्तुति करने लगे और उनका इसी रूप में पूजन किया। इस समय से ही देवी अपने पांचवें स्वरूप में स्कंदमाता रूप से जानी गईं और नवरात्र के पांचवें दिन इनकी पूजा का विधान तय हो गया।
पूजा विधि
- स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए और पीले रंग के कपड़़ें साधक को पहनने चाहिए।
- मां की विधिवत पूजा करने के लिए कुश या कंबल के पवित्र आसान पर बैठे। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर कुमकुम से ऊं लिखकर स्कंदमाता की प्रतिमा को स्थापित करें और गंगा जल व गौमूत्र से शुद्ध करें।
- मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल करें और पूजा में कुमकुम, अक्षत, चंदन जरूर शामिल करें।
- एक लाल वस्त्र में सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरें। इसके साथ स्कंदमाता से पूरी विनम्रता से आपकी सूनी गोद जल्दी भरने के लिए प्रार्थना करें।
- इस तरह पूरी भक्ति भावना से स्कंदमाता की की गई उपासना से माँ प्रसन्न होकर इच्छुक दंपत्ति की मनोकामना पूरी करती हैं।
ऐसे प्रसन्न होंगी स्कंदमाता
माता के पंचम रूप स्कंदमाता को खुश करने से पहले स्कंद यानी कुमार कार्तिकेय को खुश करना जरूरी है, क्योंकि जब तक संतान खुश नहीं होती, कोई मां कैसे खुश हो सकती हैं। इसलिए पंचमी तिथि को पांच वर्ष की पांच कन्याओं एवं पांच बालकों को खीर एवं मिठाई खिलाएं। इसके बाद कन्याओं को लाल चुनरी व 5 रुपए दें और बालकों को एक सेब तथा 5 रुपये दें।
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