1-      मकर एक राशि है और सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। इस दिन से ही सूर्य उत्तरायण की ओर गति करता है इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहते हैं।

2-      इस दिन से मलमास समाप्त हो जाता है और अच्छे दिन शुरू होने के कारण लोग दान-पुण्य से अच्छी शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं। ऐसा मान्यता है कि इस दिन को दिया गया दान विशेष फल देने वाला होता है।

3-      इस पर्व का संबंध महाभारतकाल से भी है। उस समय महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। 

4-     मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। इसीकारण लोग इस दिन गंगा स्नान भी करते हैं।

5-      हिन्‍दु धर्म की एक मान्‍यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। और युद्ध समाप्ति की घोषणा भी की थी। इसलिए इस दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं।

6-      मकर संक्राति पर तिल का बहुत महत्व हैं। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन सूर्य और शनि की पूजा तिल से करने पर शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। इससे सूर्य देव प्रसन्न होकर अन्न-धन में वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

7-      इस पर्व को भारत के प्रांतों में अलग-अलग नाम से भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में इसे पोंगल, गुजरात में उत्तरायन, पंजाब में माघी, असम में बीहू तो आंध्रप्रदेश,बिहार, झारखंड, कर्नाटक व केरला में यह पर्व केवल संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

8-      वहीं उत्तर प्रदेश में इस दिन खास तरह की खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व है। ठंडी-गर्मी वाले इस मौसम की तरह ही ठंड़ी तासीर के लिए चावल और गर्म तासीर के लिए दाल का इस्तेमाल होता है। जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

9-      मकर-संक्रांति के दिन लोग पतंग भी उड़ाते है। राजस्थान और गुजरात में इसका काफी प्रचलन है। कहते है इस दिन से प्रकृति भी करवट बदलती है। इस कारण सुबह-सुबह पतंग उड़ाने के बहाने जो धूप शरीर को लगती है, उससे भरपूर विटामिन डी मिलता है। जो कि स्वास्थ के लिए सही रहता है।

10-  मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी है। क्योंकि इस दिन से दिन और रात की अवधि भी बराबर होने लगती है। इसके बाद से दिन लंबे होने लगते हैं। साथ ही मौसम में गर्माहट भी महसूस होने लगती है। इसके बाद कटाई या बसंत के मौसम का आगमन मान लिया जाता है।

त्योहर हमेशा अपने साथ खुशी ही लेकर आते हैं। चाहे वह किसी भी बहाने आये और फिर ये तो मकर संक्रति है जोश और उत्साह का त्योहार। जो पूरा देश बड़े धूमधाम से मनाता है।