Makar Sankranti 2026
Makar Sankranti 2026

Overview: 14 जनवरी 2026 को सूर्य होंगे उत्तरायण, मनेगी मकर संक्रांति

मकर संक्रांति 2026 में बुधवार 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़, स्नान-दान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व रहता है।

Makar Sankranti 2026: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विभिन्न जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इसे संक्रांति या पेद्दा पांडुगा, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व, असम में माघ बिहू, तमिलनाडु में पोंगल, राजस्थान और गुजराज जैसे राज्यों में उत्तरायण आदि जैसे नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति विशेष रूप से सूर्य उपासना से जुड़ा प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति हर साल जनवरी महीने में मनाई जाती है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसलिए यह पर्व सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्तरायण की भी शुरुआत होती है, जिसका अर्थ है, सूर्य के दक्षिणायन से उत्तर दिशा की ओर गमन करना, जोकि शुभ और मंगलकारी माना जाता है। आइए जानते हैं साल 2026 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी और इस पर्व का क्या है महत्व।

मकर संक्रांति 2026 में कब

Makar Sankranti 2026 Date
Makar Sankranti 2026 Date

मकर संक्रांति का त्योहार आमतौर पर लोहड़ी के अगले दिन 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2026 में मकर संक्रांति बुधवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन का पुण्यकाल दोपहर 2:49 बजे से शाम 5:45 बजे तक रहेगा। वहीं महापुण्य काल दोपहर 2:49 से 3:42 तर है। इस मुहूर्त को स्नान-दान के लिए शुभ माना गया है।

मकर संक्रांति पर्व का महत्व

Makar Sankranti festival significance
Makar Sankranti festival significance

हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस परिवर्तन को मकर संक्रांति कहा जाता है। यह सूर्य का एकमात्र ऐसा संक्रांति पर्व है जोकि सौर कैलेंडर पर आधारित होता है, इसलिए हर साल यह लगभग 14 या 15 जनवरी को ही पड़ता है। इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है, जिससे दिन धीरे-धीरे लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव की राशि यानी मकर राशि में आते हैं, जोकि पिता-पुत्र के मिलाप, समरसता और रिश्तों में प्रेम का प्रतीक भी है।

मकर संक्रांति को क्यों कहते हैं खिचड़ी पर्व

khichdi festival
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उत्तर भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग स्नान-दान जैसे काम करते हैं, अर्घ्य देकर सूर्य देव की पूजा की जाती, तिल-गुड़ का सेवन करते हैं और चावल-दाल से बनी खिचड़ी का भोग लगाते हैं। तिल और गुड़ का सेवन इस दिन विशेष फलदायी माना गया है, क्योंकि यह सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन लोग गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि, मकर संक्रांति पर किए गए स्नान से पुण्य फल मिलते हैं और इस दिन दिया गया दान सौ गुना फल देता है।

मेरा नाम पलक सिंह है। मैं एक महिला पत्रकार हूं। मैं पिछले पांच सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैं लाइव इंडिया और सिर्फ न्यूज जैसे संस्थानों में लेखन का काम कर चुकी हूं और वर्तमान में गृहलक्ष्मी से जुड़ी हुई हूं। मुझे...