लाल, हरी, नीली, पीली आदि रंग-बिरंगी पतंगें जब आसमान में लहराती हैं तो ऐसा लगता है मानो इन पतंगों के साथ हमारे सपने भी हकीकत की ऊँचाईयों को छू रहे हैं और हम सभी सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे की पतंगों के पेंच लड़ाते है। और बड़ी धूम-धाम से त्यौहार मनाते है…. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। हमारे देश में इस खास त्योहार पर पतंग उत्सव मनाया जाता है। साल के पहले महीने में इस त्योहार को उत्तर भारत के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। बॉलीवुड की ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें पतंग पर गाने और पतंग उड़ाने वाली सीन हैं। फिल्मों में इस त्योहार को गानों के जरिए भी दिखाया गया है। इतना ही नहीं, जैसे-जैसे बॉलीवुड का दौर आगे बढ़ा पतंग सिल्वर स्क्रीन पर रंगीन होती गई। साथ ही, पतंग उड़ाने के गाने और उनके सीन और भी ज्यादा दिलचस्प और मजेदार होते चले गए।
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पतंग पर चढ़ा विदेशी रंग
एक जमाना था जब बस 3 -4 तरह की पतंगे ही आती थी चांदतारा ,मांगलतारा ,पट्टीदार और दोधारिया।साथ में दो तरह का मांजा और एक सूत का धागा या सफेदे का गट्टा बस लो हो गई इतने से ही आपकी पतंग उड़ने और पेंच लडाने को तैयार। पर आज देखिए पतंगों का रंग-रूप ऐसा बदल गया है की देखकर भी हैरानी होती है।
क्या आप जानते हैं मकर-संक्रांति से जुड़े ये तथ्य
हमारे देश में यह मान्यता प्रचलित है कि ईश्वर सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। ईश्वर केवल मंदिरों या मस्जिदों में नहीं बसता है बल्कि वह तो इस संपूर्ण प्रकृति में बसता है। ईश्वर के इन्ही रूपों को नमन करते हुए देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं… जो ईश्वर के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और आपसी रिश्तों को नई मजबूती देते है। मकर संक्राति भी इन्हीं त्योहारों में से एक है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। जानिए मकर-संक्रांति से जुड़े कुछ तथ्य…
