क्या आप अपने बच्ची की हर बात में कमी निकालते हैं?
अक्सर पेरेंट्स बच्चों की कमियां निकालने लगते हैं और इसका बच्चों के दिमाग पर गहरा असर होता है । कई बार इसी वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
Depression in Children: सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा हर चीज़ में आगे हो, दूसरे बच्चों से बेहतर हो और हर काम वो परफेक्ट करे । लेकिन हर बच्चे की अपनी क्षमता है कोई बच्चा किसी काम में अच्छा हो सकता है और कोई किसी दूसरे काम में । ऐसे में आप बच्चे से हर काम में बेस्ट होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हालांकि, बच्चे भी कोशिश करते हैं की वो अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर सकें । लेकिन, हमेशा और हर बच्चे के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होता है । ऐसे में अक्सर पेरेंट्स बच्चों की कमियां निकालने लगते हैं और इसका बच्चों के दिमाग पर गहरा असर होता है । कई बार इसी वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। जानते हैं क्यों नहीं निकालनी चाहिए बच्चे की हर समय कमी-
नकारात्मत्कता की भावना
अगर आप हमेशा बच्चों के सामने उनकी कमी निकालते हैं जैसे इससे तो कोई भी काम ठीक से नहीं होता है ये देखो कुछ कर ही नहीं पाता है, तो इस तरह के ताने बार बार बोलने से ये बच्चे के मन में घर कर जाते हैं और उन्हें हमेशा के लिए ये यकीन होने लगता है कि वो कोई भी काम सही तरह से नहीं कर सकते। वो आपकी ही बातों को सही मानने लगते हैं। इसलिए वो अपने अन्दर किसी तरह के सुधार की कोशिश भी नहीं करता है।

पर्सनालिटी पर असर
बार-बार अपनी आलोचना सुनने से बच्चों के दिमाग पर विपरीत असर होने लगता है। हो सकता है कुछ सालों बाद आप बच्चों की आलोचना बंद भी कर दें, लेकिन आपके वो शब्द तब तक बच्चे के दिमाग पर बहुत ज्यादा असर कर चुके होते हैं और उसकी पर्सनालिटी ही वैसी बन चुकी होती है। ऐसे बच्चे बड़े होकर दबे हुए रहते हैं।

आत्मविश्वास में कमी
अगर आप बच्चे के किसी काम को गलत तरीके से करने पर भी उसकी आलोचना करने की जगह उसके प्रयास की प्रशंसा करते हैं तो इससे उसको आगे और भी बेहतर तरीके से काम करने की प्रेरणा मिलती है। लेकिन, अगर बच्चा कोई काम नहीं कर पाता है और आप उसको डांटते हैं उसकी कमी निकालते हैं तो इस तरह के शब्दों से उसका आत्मविश्वास ख़त्म हो जाता है और वो जीवन में आगे किसी भी तरह के बड़े काम करने की हिम्मत नहीं कर पाता है।

आक्रामक व्यवहार
अगर बच्चे हमेशा अपनी कमियां और आलोचना वाली बातें ही सुनते रहते हैं तो उन्हें अपने घर के लोगों और बाहर के लोगों दोनों से ही नफरत होने लगती है। ऐसे में उनके व्यवहार में आक्राकता आ सकती है। ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों के साथ मारपीट करते हैं।

अकेलापन
हीन भावना का शिकार होने की वजह से बच्चे किसी के साथ घुलना मिलना पसंद नहीं करते हैं। वो हमेशा अकेले रहने की कोशिश करते हैं। स्कूल और कैंपस में भी दोस्त नहीं बनाते हैं। यही अकेलापन धीरे-धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेता है।

तो, देखा आपने आपकी छोटी-छोटी बातों में बच्चों की आलोचना करना बच्चों के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है।