Hormonal Imbalance and Lifestyle: फास्ट फूड और पैकेज्ड फूड ने भले ही हमारे काम आसान कर दिए हों लेकिन जिंदगी के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इस तरह का खाना हमारे शरीर के लिए घातक है, विशेषकर हम महिलाओं के लिए यह धीमे जहर का काम करता है।
पिछले कुछ सालों में महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे शारीरिक के साथ ही महिलाओं की मानसिक सेहत पर भी असर हो रहा है। दिल्ली के क्लाउड नाइन हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि जैन से जानते हैं, महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण और उपचार के बारे में।
हर महिला के लिए जरूरी हैं ये हार्मोन
डॉ. रुचि के अनुसार महिलाओं की सेहत कुछ विशेष हार्मोन्स पर निर्भर होती है। इनका संतुलित रहना बेहद जरूरी होता है।
ये हार्मोन रक्त में प्रवाहित होकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचते हैं। इन्हीं के असर से अंग बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं।
एस्ट्रोजन: महिला प्रजनन अंगों के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। हर महिला के लिए इसका संतुलित होना जरूरी है।
प्रोजेस्टेरोन: यह हार्मोन महिलाओं के गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है। साथ ही भ्रूण के विकास और वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन: इसे एफएसएच हार्मोन भी बोलते हैं। यह अंडाशय को सेहतमंद रखने में मददगार होता है।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन: इसे एलएच हार्मोन बोलते हैं। यह हार्मोन ओव्यूलेशन के दौरान अंडाशय से अंडे को बाहर निकालने में मदद करता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टेस्टोस्टेरोन: टेस्टोस्टेरोन एड्रेनल ग्रंथियों अंडाशय द्वारा कम मात्रा में उत्पादित होता है। इससे सेक्स ड्राइव बढ़ती है। मूड अच्छा होता है। एस्ट्रोजन के साथ मिलने पर टेस्टोस्टेरोन महिला की मांसपेशियों और हड्डियों के द्रव्यमान के विकास करने में मदद करता है।

थायराइड हार्मोन: वजन से लेकर हृदय गति, ऊर्जा का स्तर, शरीर का तापमान, त्वचाबाल-
नाखूनों की सेहत आदि थायराइड हार्मोन पर निर्भर है। इस हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड
रोग होने की आशंका रहती है।
इसलिए असंतुलित होते हैं महिला हार्मोन
डॉ. रुचि का कहना है कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कई कारण हैं। सबसे
बड़ा कारण बिगड़ी हुई जीवनशैली है।
1.तनाव ने बढ़ाई मुश्किलें: आज हर शख्स के दिमाग में कई तनाव रहते हैं। यही तनाव महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन का एक बड़ा कारण है। क्रोनिक तनाव के कारण महिलाओं के शरीर में तनाव के हार्मोन कोॢटसोल का स्तर बढ़ जाता है। इससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों ही हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ सकता है, जिसके कारण अनियमित मासिक धर्म और इनफॢटलिटी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
2.संतुलित भोजन पर दें ध्यान: डॉ. रुचि के अनुसार अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि वे घर का बना पौष्टिक खाना खा रहे हैं। लेकिन वे इसके संतुलन पर ध्यान नहीं देते। लोगों के खाने में कार्ब्स ज्यादा और फाइबर-प्रोटीन कम होता है। वे रोटी- चावल ज्यादा खाते हैं और सब्जियां, सलाद का सेवन कम करते हैं। ऐसे में उन्हें कार्ब तो भरपूर मिलता है, लेकिन प्रोटीन और फाइबर नहीं मिलता। इसलिए पौष्टिक के साथ ही संतुलित आहार का सेवन करें, जिससे हार्मोनल संतुलन भी बना रहेगा।
3.ऐसा खाना और भी खतरनाक: डॉ. रुचि का कहना है कि हार्मोनल संतुलन के लिए कुछ चीजों से दूरी बनाएं। प्रोसेस्ड, अस्वास्थ्यकर फैट, तला हुआ खाना, अत्यधिक चीनी व सोडियम युक्त फूड
अक्सर स्वादिष्ट तो होता है, लेकिन इनमें पोषक तत्वों की कमी होती है।
4.दूषित पर्यावरण, बना दुश्मन: लगातार दूषित होते पर्यावरण का सीधा असर भी महिलाओं के
हार्मोन्स पर हो रहा है। प्रदूषण के साथ ही फल-सब्जियों और अनाज में कीटनाशकों का ज्यादा उपयोग इसका बड़ा कारण है। प्लास्टिक के उपयोग से भी हार्मोनल बैलेंस बिगड़ रहा है। ह्रश्वलास्टिक में पाए जाने वाले एंडोक्राइन-डिसरह्रिश्वटंग केमिकल्स हार्मोन्स को बाधित कर सकते हैं।
5.नींद की कमी है खतरनाक: महिलाएं रात में सबसे बाद में सोती हैं और सुबह सबसे जल्दी उठकर घर के काम संभालने में जुट जाती हैं। इस बीच वे पर्याप्त नींद लेने पर ध्यान नहीं देतीं। जबकि शरीर में हार्मोनल संतुलन के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। अपर्याप्त नींद के कारण शरीर में मेलाटोनिन के साथ ही अन्य हार्मोन्स का उत्पादन प्रभावित होने लगता है। इससे कोॢटसोल का स्तर बढ़ने लगता है। कोॢटसोल महिलाओं के अन्य हार्मोन्स को भी प्रभावित करता है।
6. व्यायाम से दूरी: डॉ. रुचि का कहना है कि शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान न देना महिलाओं में हार्मोन असंतुलन का एक प्रमुख कारण है। प्रतिदिन कम से कम 40 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। आप वॉक, जॉगिंग, कार्डिओ एक्सरसाइज, योग आदि कर सकती हैं। प्रतिदिन पांच से दस हजार स्टेप्स चलें।

7.पीसीओएस बड़ी समस्या: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस आज के समय में महिलाओं ही नहीं, किशोरियों-युवतियों के लिए भी बड़ी परेशानी बन गया है। महिलाओं में एंड्रोजन नामक पुरुष हार्मोन का स्तर बढ़ना इसका प्रमुख कारण है। इसकी वजह से अनियमित
पीरियड्स, एक्ने, चेहरे पर बाल आना, वजन बढ़ना जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन आप
जैसे-जैसे जीवनशैली में सुधार करेंगी, यह समस्या अपने आप दूर होती चली जाएगी।
8.उम्र के साथ होते हैं बदलाव: डॉ. रुचि का कहना है कि महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ भी हार्मोनल बदलाव होते हैं। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आने लगती है।
संतुलित और पौष्टिक आहार
अपने आहार में आप ताजा फल-सब्जियों के साथ ही साबुत अनाज, नट्स-सीड्स जैसे स्वस्थ वसा, दालें और लीन प्रोटीन जरूर शामिल करें। इससे हार्मोन्स खुद-ब-खुद संतुलित होने लग जाएंगे।
नींद को न करें नजरअंदाज
हर महिला को पर्याप्त और अच्छी नींद लेने पर फोकस करना चाहिए। महिलाओं को हर रात कम से कम 7 से 9 घंटे जरूर सोना चाहिए। सबसे बेहतर है कि आप सोने का एक निश्चित समय तय करें। सोने से एक घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूरी बना लें।
वजन पर दें ध्यान
वजन और हार्मोन्स का उत्पादन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वजन ज्यादा होना या बहुत कम होना, दोनों ही हार्मोन का संतुलन बिगाड़ देते हैं। इसलिए अपने वजन को डाइट और
एक्सरसाइज की मदद से नियंत्रित रखें।
शरीर को रखें हाइड्रेटेड
शरीर की मशीनरी को ठीक तरीके से चलाने के लिए पानी बहुत जरूरी होता है। इसलिए काम के बीच में पानी पीना न भूलें। दिनभर में कम-से-कम तीन से चार लीटर पानी का सेवन करें।
आंतें स्वस्थ तो आप स्वस्थ
आंतों को स्वस्थ रखकर आप हार्मोनल संतुलन कर सकते हैं। आहार में दही, छाछ, किमची जैसे प्रोबायोटिक और लहसुन, प्याज, केले जैसे प्रीबायोटिक जरूर शामिल करें।
(आभार- लेख डॉ. रूचि जैन, कंसल्टेंट गायनेकोलॉजी, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, दिल्ली से बातचीत पर आधारित है।)
