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Board Exam Preparation: परीक्षा को लेकर बच्चे के साथ अभिभावक भी चिंता में रहते हैं। उन्हें लगता कि कहीं उनका बच्चा परीक्षा के दौरान डर तो नहीं जाएगा। ऐसा तो नहीं कि वो कुछ भूल जाए। कहीं एक ही जवाब लिखने में न रह जाए और दूसरे सवाल छूट जाए। वहीं अगर बच्चा पहली बार बोर्ड का एग्जाम दे रहा है तो बच्चे से ज्यादा मां-बाप को इसका स्ट्रेस हो जाता है। लेकिन बतौर अभिभावक आपको चिंता नहीं बल्कि बच्चे की पढ़ाई से लेकर उसके स्वास्थ्य को लेकर सावधानियां बरतनी चाहिए। अगर आपके बच्चे ने पढ़ाई को लेकर लापरवाही बरती है तो भी अभी बहुत समय है। आप एक पेरेंट होने के नाते खुद को बेहतर तैयार करें। अगर आप खुद इस समय व्यवस्थित नजर आएंगे तो बच्चे भी आराम से अपनी तैयारी कर पाएंगे।आपको इस समय किसी भी किस्म का स्ट्रेस न हो इसके लिए हम आपके साथ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु साझा कर रहे हैं।

स्ट्रेस न लें और न दें

Board Exam Preparation
Board Exam Preparation

सबसे पहले आप अपने माथे पर बोर्ड एग्जाम की वजह से आई शिकनों को हटाएं। फरवरी मार्च में एग्जाम शुरु होते हैं और अक्सर मां- बाप को देखा है नवंबर-दिसंबर के आते ही उनकी बातें घूम-फिरकर बोर्ड के एग्जाम तक ही सीमित रह जाती हैं। खासतौर से मां अपने दोस्तों और अपनी बहनों के साथ भी फोन पर अपनी इस चिंता के बारे में बात करती रहती हैं। आप एक बार खुद सोचें कि क्या यह स्ट्रेस आपके लिए और आपके बच्चे के लिए सही है? आपको मालूम है कि यह एग्जाम आपका नहीं बच्चे का है। उसे पहले ही स्ट्रेस है। इस तरह आप तनाव में दिखेंगे तो वो ओर प्रेशर में आएगा, जो कि उसकी परफॉर्मेंस के लिए अच्छा नहीं है।

पढ़ाई का न बनायें प्रेशर

वो कहते हैं एक बात को बार-बार दोहराने से बच्चे को इरिटेशन होने लगती है। हर बच्चे की अपनी एक पढ़ने की कैपेसिटी होती है। हम यह नहीं कह रहे कि आप उसे पढ़ने के लिए न कहें। बस हर समय उससे सिर्फ पढ़ने की ही बात न करें। ऐसा होने से बच्चा पढ़ाई से दूर भागता है और वह एक दवाब महसूस करता है। ऐसे में कई बार बच्चों का पढ़ने से मन ही उचट जाता है। यह सच है कि बोर्ड बार- बार नहीं आता और 10वीं क्लास बहुत अहम होती है लेकिन इस बात का बहुत जिक्र करना आपके बच्चे के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

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10वीं के बाद विषय चुनने के लिए न करें बाध्य

अब वह जमाना नहीं है जब मां- बाप अपने बच्चों को अपने अधूरे सपने पूरा करने का एक जरिया समझते थे। मौजूदा समय के पेरेंट्स बहुत समझदार हैं। आजकल तो वैसे भी बहुत से नए-नए विषय हैं। लेकिन फिर भी चाहे विषय कोई सा भी हो बच्चे को उसे लेने के लिए बाध्य न करें। आप इस बात को अन्यथा न लें। समझें कि यह उसका जीवन है वो जो बनना चाहता है या चाहती है उसे बनने में उसकी सहायता करें। उसका जो भी पसंदीदा विषय है उसके बारे में चर्चा करें। अगर आपको नहीं पता कि उसमें करियर क्या हो सकते हैं तो उसके बारे में किसी एक्सपर्ट से जानकारी हासिल करें।

बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखें

बच्चे तो बच्चे होते हैं और टीनएजर जो खुद को बहुत समझदार समझते हैं लेकिन वो इंटरनेट की वजह से दुनिया को तो समझने का दम रखते हैं लेकिन अपनी सेहत का ध्यान रखना उनकी बस की बात नहीं है। आप इस मामले में परीक्षा की तैयारी में कमान संभाल लें। उनकी पसंद के साथ-साथ उनके पोषण का भी ध्यान रखें। आप ध्यान दें कि वह इस समय बहुत ज्यादा फास्टफूड न खाएं। अगर वह यह खा भी रहे हैं तो उनकी बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के लिए आप उन्हें कुछ ड्रिंक दें।

हतोत्साहित न करें

बोर्ड से पहले बच्चों के प्री बोर्ड आते हैं। उनमें कई बार बच्चे वो परफॉर्म नहीं करते जो उनसे उम्मीद होती है। इस स्थिति में बच्चे को हतोउत्साहित न करें। आपको पता होना चाहिए कि यह समय बहुत संवेदनशील है। बच्चे को कुछ भी कहने से पहले सोचें। अगर वो नहीं अचछा कर रहा तो उसे सही राह दिखाने का काम आपका है। उस पर चिल्लााना, जुमले बाजी करना सही नहीं है। आप खुद सोचें कि उसके कान खींचकर नहीं उसका हाथ पकड़कर भी तो उसे सही रास्ते पर लाया जा सकता है।

हम हैं तुम्हारे साथ

बच्चे को हमेशा इस बात का अहसास दिलाएं कि चाहे कितना भी गलत कुछ न हो जाए आप हमेशा उसके साथ हैं। बच्चे को किसी न किसी सब्जेक्ट से फोबिया जरुर होता है। यहां तक कि आजकल बच्चे हिंदी से भी डरने लगे हैं। बच्चे से इस सब्जेक्ट फोबिया के संदर्भ में बातचीत करें। अगर आपको भी कोई सब्जेक्ट डराता था तो उसे बताएं। इस तरह की बातचीत से आप घर के माहौल को हल्का-फुल्का रख सकते हैं।