Durga Paath: ईश्वर में ध्यान लगाना निश्चित ही शांति देता है। हर व्यक्ति किसी न किसी शक्ति की आराधना करता है। इससे उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। ऐसे कई देवी और देवता पाठ हैं जिन्हें करने से आप शांति की ओर बढ़ते हैं। इसी तरह दुर्गा जी का पाठ ‘अष्टोत्तरशतनाम’ है जिसमें दुर्गा जी के 108 नामों का उल्लेख है। इनका जाप बहुत लाभदायक माना गया है। तो आइए जानते हैं कि दुर्गा ‘अष्टोत्तरशतनाम’ का पाठ करने से क्या होता है और आपका जीवन कैसे बदल जाता है?
क्या है दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम
दुर्गा सप्तशी का एक अध्याय दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम भी है। जिसमें दुर्गा जी के 108 नाम की व्याख्या है। पाठ की शुरुआत में शिव कहते हैं ‘शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने,यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती’ यहाँ भगवान् शिव, पार्वती से कह रहे हैं कि मैं अष्टोत्तर शतनाम का वर्णन करता हूँ इसे सुनो, जिसके पाठ मात्र से भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा जी के इन 108 नाम का पाठ करने से व्यक्ति हर कष्ट से मुक्त हो जाता है। इस पाठ को सुनने मात्र से व्यक्ति का कल्याण संभव है। पाठ में कहा गया है कि जो भी इन 108 नाम का पाठ करता है, उस व्यक्ति के लिए तीनों लोक में कुछ भी असाध्य नहीं है।

कैसे करें पाठ
पाठ को आरम्भ करना बिल्कुल कठिन नहीं है। बस सब कुछ साफ़ मन पर निर्भर करता है। पहले दिन आपको एक लाल कपड़े पर देवी की तस्वीर रखनी है। उनके सामने एक ताम्बे के लोटे में गंगा जल रखें और दो इलाइची रख लें। फिर हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि मैं (अपना नाम) जल को साक्षी मानकर , भगवान् शिव और देवी पार्वती को साक्षी मानकर आज (दिन, महिना, साल) से पाठ आरम्भ करुँगी या करूँगा। रोज़ाना एक बार इस स्त्रोत का पाठ मैं अवश्य करुँगी /करूंगा, आप मुझपर प्रसन्न हों।