hypnosis
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सर्वप्रथम साधक को प्रात:काल जल्दी उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए और शुद्ध सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके पश्चात् किसी शांत व एकांत स्थान का साधना हेतु चुनाव करना चाहिये। अब उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश अथवा सफेद कपड़े के आसन पर बैठे। इस साधना को सुबह 4 से 5 बजे के मध्य में अथवा रात्रि में 10 बजे से 11 बजे के मध्य संपन्न करना चाहिये। अपने सामने बाजोट पर एक सफेद वस्त्र बिछायें और उस पर एक थाली स्थापित करें। थाली में हल्दी व कुमकुम से षटकोण बनायें। इस षटकोण में प्राण प्रतिष्ठित सम्मोहन यंत्र व तीन हकीक गुटिका स्थापित करें। यंत्र पर कुमकुम से तिलक करें। पंचामृत से स्नान करवायें, पुष्प चढ़ायें। इसके पश्चात् थाली के पास ही बाजोट पर एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। इस बात का ध्यान रहे कि कमरे में दीपक के अतिरिक्त और कहीं से भी प्रकाश नहीं आ रहा है। अब हकीक माला से निम्न मंत्र की पांच माला जाप करें।

मंत्र- ऊं हुं श्रं हुं ऊं।।

इस मंत्र का जाप करते समय यंत्र को निरन्तर देखते रहें, पलक झपकाये बिना। यानी यंत्र पर त्राटक करते रहें। जब आपकी आंखों से आंसु बहने लगे तो थोड़ी देर के लिए रुक जायें और फिर पुन: त्राटक आरंभ करें। मंत्र जाप करते समय मन में ऐसी भावना रखें कि आपको सम्मोहन शक्ति प्राप्त हो रही है, आपकी आंखों में विलक्षण शक्ति समा रही है। आप धीरे-धीरे सम्मोहन करने की शक्ति से परिपूर्ण हो रहे हैं। इस प्रकार आपको उपरोक्त मंत्र की पांच माला जपनी है। इसके पश्चात् समस्त सामग्री को साधना स्थल पर यूं ही छोड़ दें। अगले सोमवार को पुन: दीपक जलायें और इस क्रिया को उसी समय नियमित रूप से दोहरायें। जब आपके पांच सोमवार पूरे हो जायें तो साधना सम्पन्न हो जायेगी। इसके बाद समस्त साधना सामग्री को सफेद कपड़े में बांधकर जल में विसर्जित कर दें।

इस साधना को सम्पन्न करने से आपको सम्मोहन विद्या में शीघ्र ही सफलता मिल जायेगी। इसके अतिरिक्त आपको त्राटक का अभ्यास भी निरन्तर रखना चाहिये।

सम्मोहन साधना के विशेष लाभ-

रोग निवारण शक्ति-

आज के युग में जटिलताएं अधिक बढ़ गई हैं, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अनेक मानसिक व शारीरिक व्याधियों से ग्रस्त हो गया है, सम्मोहन साधना द्वारा जाग्रत सम्मोहन शक्ति के माध्यम से ऐसे कई रोगों को दूर किया जा सकता है।

पीड़ा निवारण-

भयंकर पेट दर्द या सिर दर्द होने पर भी सम्मोहन शक्ति द्वारा पीड़ा का निवारण किया जा सकता है। केवल सिरदर्द या पेट दर्द ही नहीं और कोई भी व्याधि होने पर, चोट लगने पर अथवा मानसिक तनाव की स्थिति में भी सम्मोहन के द्वारा उपचार किया जा सकता है।

विचारों में प्रबलता-

व्यक्तित्व में आत्मविश्वास, दृढ़ता और प्रभावकारी गुण विचारों में प्रबलता से ही आ सकते हैं। सम्मोहन साधना के साधक के विचार दृढ़ होते हैं।

स्मरण शक्ति में गहराई-

सम्मोहन साधना से संपन्न व्यक्ति जिस भी चीज को एक बार देख या पढ़ लेता है, वह उसके मानस पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती है।

एकाग्रता में वृद्धि-

मन की एकाग्रता ही किसी भी कार्य में सफलता का आधार बिन्दु है। इस साधना से एकाग्रता में गजब की वृद्धि होती है, फलस्वरूप साधक जो कोई भी साधना संपन्न करता है, बिना विचलित हुए पूर्ण मनोयोग से करता है और प्रत्येक साधना में सफलता उसके लिए अवश्यमभावी हो जाती है।

वाणी में प्रभाव-

साधक की वाणी में ओजस्विता एवं प्रभाव आ जाता है, लोग उसकी बातें मानने में गर्व महसूस करने लगते हैं।

इच्छा शक्ति में वृद्धि-

साधक की इच्छा शक्ति में भारी वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप वह जिस किसी भी कार्य को करने का संकल्प करता है, वह कार्य होकर ही रहता है।

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