हमारे मन में अद्भुत शक्ति होती है परन्तु हम उसको पहचान नहीं पाते इसका कारण ये है कि हम अपने जीवन में इतने अधिक उलझे रहते हैं कि अपने मन को शान्त व स्थिर नहीं कर पाते। जबकि मन को शान्त व स्थिर करके ही उसकी शक्ति को जाना जा सकता है। डॉ. आर. के. चन्द्रा के अनुसार ”आज प्रगति के इस दौर में हमारे पास फोन की एक सुविधा है जिसके द्वारा हम सरलता से विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं परन्तु भारत वह देश है जहां पर सदियों से विचारों का व भावनाओं का दूरगामी संप्रेषण होता था इन सबका होना सम्भव था मन की अद्भुत सामर्थ्य द्वारा जिसे आज की भाषा में हम टेलीपैथी कहते हैं आज भी इसके द्वारा विचारों का आदान-प्रदान संभव है बशर्ते मन में पूर्ण शुद्ध भाव होने चाहिए।”

टेलीपैथी का अर्थ होता है- अपने मानसिक विचारों या उपचारात्मक तरंगों व भावनाओं को जगत में कहीं पर भी किसी के मन में भेजना और उसको प्रभावित करना यह क्षमता अवचेतन मन की एक अद्भुत शक्ति है कि हम बैठे-बैठे अपने मन से कहीं भी संपर्क कर सकते हैं। किसी भी व्यक्ति वस्तु, परिस्थिति, पेड़-पौधे, जानवर यानी ब्रह्मांड की हर वस्तु के साथ चाहे वह ग्रह-सितारे ही क्यों न हो हम संपर्क कर पाएंगे। यह मानव ही नहीं जानवरों और पक्षियों में भी होता है और ये सब संभव होता है अवचेतन मन के कारण क्योंकि सूक्ष्म जगत से हमारा संपर्क सूत्र कोई है तो वह है हमारा अवचेतन मन तभी टेलीपैथी द्वारा हम हजारों मील दूर बैठे किसी भी व्यक्ति से संपर्क करके संबंध स्थापित कर सकते हैं और अपने भाव उस तक पहुंचा सकते हैं इसके लिए पहले हम अपनी कल्पनाओं में उन विचारों को साफ-साफ देखते हैं फिर अपने उन विचारों को अपने अवचेतन मन में लाकर दूर बैठे व्यक्ति के अवचेतन मन में भेजते हैं। इस तरह दूर बैठे दो व्यक्तियों में रिश्ता बन जाता है विचारों का।

इस तरह से हम अपने दैनिक जीवन में टेलीपैथी  का प्रयोग कर सकते हैं। जीवन के हर पक्ष को सकारात्मक रूप से देख सकते हैं।

दुआओं, प्रार्थनाओं में टेलीपैथी का प्रभाव नजर आता है। तांत्रिक पूजा में भी टेलीपैथी द्वारा ही तंत्रों-मंत्रो का प्रभाव पड़ता है। अगर टेलीपैथी नहीं होती तो संसार में कोई भी तांत्रिक शक्ति काम नहीं करती तांत्रिक पूजा-पाठ टेलीपैथी के सिद्धान्तों पर ही काम करते हैं। इसी तरह रेकी, प्राणिक हीलिंग, डाउजिंग स्फटिक विज्ञान या अन्य प्राण-ऊर्जा के उपयोग की विश्वभर  में जितनी भी उपचार तकनीके हैं उनमें से टेलीपैथी की स्वाभाविक क्षमता के कारण हम हीलिंग प्राण ऊर्जा को विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को भेज सकते हैं।

इसके माध्यम से आज शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बिमारियों का उपचार किया जाता है। टेलीपैथी मन का परिणाम है हमारी एकाग्रता की सजीव मूर्ति है मन से ज्यादा गतिशील और शक्तिशाली कुछ भी नहीं होता है।

रेकी एक्सपर्ट अनुरिमा जौहरी का कहना है कि ‘आमने-सामने रेकी उपचार करने और दूर बैठकर रेकी उपचार करने में कोई भी अंतर नहीं होता है बल्कि दूर बैठे व्यक्ति को रेकी देने में पास बैठे व्यक्ति को रेकी देने से कम समय लगता है इस बात को विश्व के सभी रेकी विशेषज्ञ मानते हैं रेकी टेलीपैथी का ही परिणाम है।’

शोध द्वारा ये भी सिद्ध हो चुका है कि टेलीपैथी द्वारा हम वर्तमान से भूत और भविष्य में जाने की क्षमता रखते हैं टेलीपैथी द्वारा मन में उठे भावों से किसी से भी आप संपर्क स्थापित कर सकते हैं। टेलीपैथी द्वारा इंसान ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों व जानवरों पर भी प्रभावी असर होता है क्योंकि टेलीपैथी द्वारा एक ही जगह बैठकर सूक्ष्म जगत की कई चीजों से सम्पर्क साधा जा सकता है। सम्पूर्ण विश्व के लिए टेलीपैथी एक नई चीज है परन्तु भारतवासी सदियों से इसके  प्रयोग को करते आ रहे हैं टेलीपैथी मन की अन्य कई महत्त्वपूर्ण सामर्थ्यों में से एक है और यह तभी विकसित होती है जब मन शान्त स्थिर हो जाता है। इसके लिए मन को टेलीपैथी के अनुसार तैयार किया जाता है अभ्यास करते-करते मन इतना विकसित हो जाता है कि टेलीपैथी की क्षमता बहुत तेजी से विकसित हो जाती है आज के युग में टेलीपैथी क्षमता को बढ़ाने के लिए इंसान कोई प्रयास नहीं करता परन्तु इसकी उपयोगिता को समझते हुऐ अगर इसका प्रयोग किया जाए तो इसका भरपूर फायदा उठाया जा सकता है। 

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