Hum Kisi Se Kam Nahi
Hum Kisi Se Kam Nahi

Amazing Personality of Women: महिलाओं को अक्सर लीक से हटकर करियर चुनने पर कई तरह सामाजिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसकी मुख्य वजह अब तक यह रही है कि जिन क्षेत्रों में अब तक केवल पुरुषों का दबदबा रहा, वहां महिलाओं के लिए मौके बहुत कम होते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको ऐसी ही कुछ महिलाओं के विषय में बताएंगे जिन्होंने करियर के रूप में ऐसे विकल्प चुने जिनमें सफलता हासिल कर पाना उनके लिए आसान नहीं था।

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जंगली जानवर हैं पहला प्यार

आरजू खुराना ने कोर्ट केस की फाइलों को छोड़कर वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी को अपनी जिंदगी बनाया। पूर्व में अधिवक्ता रहीं आरजू ने अपना असल लक्ष्य वन्यजीव फोटोग्राफी में पाया। उन्हें बचपन से ही कैमरों के प्रति आकर्षण रहा और अपने इस आकर्षण को उन्होंने प्रकृति की सुंदरता को कैद करने के गहरे जुनून में बदला। लेकिन हम सभी जानते हैं कि कोई भी अपने जुनून को आसानी से नहीं पा सकते। ठीक इसी तरह उनका अधिवक्ता से फोटोग्राफर बनने का सफर भी चुनौतीपूर्ण रहा। ‘प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आरजू 55 टाइगर रिजर्व का सफर कर रही हैं। आरजू जब छोटी थीं तभी से उनका कैमरों के प्रति गहरा आकर्षण था। और सिर्फ 10 साल की छोटी सी उम्र में वह अपने माता-पिता को कैमरा खरीदने के लिए राजी कर पाईं। जब उन्होंने 15 साल की उम्र कोडक कैमरा खरीदा तब उनकी रूचि फोटोग्राफी में पैदा हुई।
भरतपुर पक्षी अभयारण्य में जब उन्होंने कोहरे के बीच सारस क्रेन की अद्भुत तस्वीर खींची तब उन्हें खूबसूरत पलों को कैमरे में कैद करने के जादू का एहसास हुआ। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी को लेकर आरजू का कहना है कि जानवरों के व्यवहार को समझने के लिए आपको उन्हें आवास में समय बिताते हुए देखना जरूरी है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। किसी भी जानवर के सटीक पल की तस्वीर लेने के लिए सही पलों का इंतजार करना पड़ा। उन्हें वित्तीय समस्याएं भी झेलनी पड़ी। इसके अलावा अकेले घर से निकलने के लिए उन्हें अपने माता-पिता को भी राजी करना पड़ा। साथ ही उन्हें लॉ प्रेक्टिस के साथ फोटोग्राफी के बीच संतुलन बनाना पड़ा। फोटोग्राफी के लिए उन्होंने कई खुद ही रिसर्च करना शुरू किया।

छोटी उम्र में ढेर सारी उपलब्धि

आमतौर पर लोग वकीलों पर विश्वास नहीं करते हैं लेकिन आपके सामने एक ऐसा व्यक्ति खड़ा हो जिसकी ईमानदारी और कर्मठता की लोग कसमें खाते हों तो फिर आप उसका सम्मान करने लगते हैं। यहां चर्चा हो रही है अधिवक्ता ऐश्वर्य भाटी की जो बहुत कम उम्र में वकील बन गईं थी। उनकी उपलब्धि केवल इसमें नहीं है बल्कि इसमें है उन्होंने महिलाओं से जुड़े विषयों और मुद्दों पर आवाज उठाई है।
गर्भपात संबंधी कानून में सुधार लाने तथा महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन प्राप्त करना संभव बनाने में भारत की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को लेकर केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया, जो इस तरह नियुक्त होने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनी। ऐश्वर्या भाटी के वकील बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। वो एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां वायु सेना के पेशेवर हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि वह वायु सेना में प्रवेश के लिए पायलट योग्यता परीक्षा में असफल होने के बाद दुर्घटनावश वकील बन गईं। वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में, उन्होंने उस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की हकदार हैं। ऐश्वर्या भाटी ने 2021 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन में शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया। ऐश्वर्या भाटी ने साल 1998 में राजस्थान के जोधपुर में जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। पढ़ाई पूरी होते ही वह इसी साल सीधा सुप्रीम कोर्ट में लॉ प्रैक्टिस के लिए दिल्ली पहुंच गई। इसके अलावा उन्होंने जोधपुर से ही मास्टर ऑफ लेजिस्लेटिव लॉ (एलएलएम) किया।

कौन है वायरल वड़ा पाव गर्ल

यदि आप बिग बॉस के फैन हैं तो निश्चित तौर पर आप समझ गए होंगे कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं। वड़ा पाव गर्ल को आज कौन नहीं जानता है। आज चंद्रिका दिल्ली के लाजपत नगर मार्केट वड़ा पाव बेच रही हैं जहां लोगों की लम्बी लाइन लगी रहती है। लेकिन एक दिन ऐसा भी था कि जब वह जीना नहीं चाहती थीं। चंद्रिका मूलत: मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं। दिल्ली वह नौकरी के सिलसिले में आयी थीं लेकिन उनकी मुलाकात उनके पति यश गेरा से हुई, जिनसे उन्हें प्यार हुआ और उन्होंने शादी कर ली। जब वह दिल्ली एक पीजी में रहती थीं तो उन्होंने खाने के लिए एक आंटी से बात की जो पीजी में रहने वाले बच्चों के लिए टिफिन भेजा करती थीं। टीफिन देने उन आंटी का बेटा यानी यश गेरा आता था। चंद्रिका को देखते ही यश को उनसे प्यार हो गया था। कई महीनों के बाद चंद्रिका और यश के बीच में बातचीत शुरू हुई। शुरू-शुरू में वह यश से बात नहीं करना चाहती थीं क्योंकि उन्हें किसी मर्द पर विश्वास नहीं था।
इसकी वजह थी चंद्रिका के पिता जिन्होंने उनकी मां के देहांत के बाद किसी दूसरी औरत से शादी कर ली। उस वक्त उनकी उम्र महज 5 वर्ष थी। इतने दिन वह नानी के यहां रहीं। नानी के देहांत के बाद चंद्रिका दिल्ली आ गईं। यहां से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। यश ने उन्हें यकीन दिलाया कि वह उनके पिता की तरह नहीं हैं, वह उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। आज वह अपने पति व बेटे के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।

डेंटिस्ट होकर हाई स्कूल पास व्यक्ति से की शादी

dentist hokar high school paas vyakti se kee shaadi
dentist hokar high school paas vyakti se kee shaadi

माता-पिता अक्सर अपनी पढ़ी-लिखी बेटी के लिए ऐसा लड़का ढूंढते हैं जो उससे कहीं ज्यादा लायक और पढ़ा लिखा हो लेकिन प्रीती अडानी की शादी उनसे कम पढ़े-लिखे लड़के से हुई। यह एक प्रेम विवाह नहीं था बल्कि माता-पिता द्वारा तय किया गया हुआ विवाह था। हम यहां चर्चा कर रहे हैं उद्योगपति गौतम अडानी की पत्नी प्रीति अडानी के बारे में।
गौतम हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं। वह अक्सर कहते हैं कि वह हाईस्कूल पास हैं जबकि प्रीति जी एक क्वालिफाइड डॉक्टर। इतना ज्यादा फासला होने के बावजूद प्रीति जी ने उनसे शादी करने का फैसला लिया। आरएन भास्‍कर की किताब है। इसका नाम गौतम अडानी:रीइमेजिंग बिजनस इन इंडिया है। इसमें प्रीति की शादी से जुड़े किस्‍से का जिक्र मिलता है। इसके अनुसार, पहली नजर में प्रीति को गौतम अडानी नहीं पसंद थे। सच तो यह है कि गौतम अडानी को प्रीति के पिता सेवंतीलाल ने पसंद किया था। यह वह समय था जब वह डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रही थीं। वहीं, गौतम की पढ़ाई-लिखाई ऐसे ही थी। प्रीति के पिता को गौतम अडानी की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। उन्होंने बेटी को समझाया। शादी से पहले दोनों की एक औपचारिक मुलाकात कराई गई। जब प्रीति से गौतम अडानी की बात हुई तो उनकी सोच पूरी तरह से बदल गई। वह शादी के लिए मान गईं। फिर साल 1986 में दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। साल 1965 में अहमदाबाद में जन्मी प्रीति ने अहमदाबाद के सरकारी कॉलेज से डेंटिस्ट की पढ़ाई की थी।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...