लहरिया साड़ियां गुजरात और राजस्थान के पारंपरिक टाई एंड डाई से बनाया जाने वाला पैटर्न है। लहरिया यानी लहर। लहरिया यूं तो ज्यादातर पतले सिल्क और कॉटन के कपड़े पर की जाती है, लेकिन आजकल ये पैटर्न जॉर्जेट, शिफॉन जैसे कपड़ों पर भी हो रही है। पारंपरिक कारिगर लहरिया के लिए एलिज़रिन (लाल रंग का गाढ़ा शेड) या नीले रंग में करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब लहरिया में कई तरह के रंगों का इस्तेमाल होता है।

हाल ही में दिशा पाटनी ने एक मैगज़ीन के कवर शूट में लहरिया स्कर्ट पहनकर फोटो शूट करवाया है।


 

दिशा पाटनी की ही तरह हर महिला को अपने कलेक्शन में लहरिया जरूर शामिल करनी चाहिए। लहरिया साड़ी, दुपट्टे, लहंगा या स्कर्ट, किसी भी रुप में आप इस पैटर्न को अपने वॉर्डरोब में शामिल कर सकती हैं।

राजस्थान, मेवाड़ से है पुराना रिश्ता

कपड़े पर पानी के लहरों जैसी आढ़ी-तिरछी रेखाओं वाला ये प्रिंट, लहरिया राजस्थान, खासतौर से मेवाड़ की परंपराओं में सदियो से रचा बसा है। इस प्रिंट की शुरूआत 19वीं सदी में हुई थी और पहले लहरिया साड़ियां सिर्फ मेवाड़ के राजघराने की महिलाओं के लिए बनाया जाता था। आज भी मेवाड़ी में इन साड़ियों को बनाया जाता है, लेकिन अब ये साड़ियां देशभर में मिलती हैं। आज भी राजस्थान में किसी भी शुभ अवसर पर और पूरे सावन सुहागिन महिलाएं लहरिया साड़ियां जरूर पहनती हैं।