हुत कम ऐसे लोग होते हैं जो इतनी कम उम्र में ही सफलता हासिल कर लेते हैं। सफल युवा फोटोग्राफ्र्स में ऋचा माहेश्वरी का नाम इसलिए भी खास है क्योंकि अनेक अड़चनों के बावजूद उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर सफलता हासिल की। आज ऋचा माहेश्वरी फैशन फोटोग्राफी क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम हैं जिन्होंने अपने काम से अपनी अलग पहचान बनाई है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में पली-बढ़ी ऋचा ने एनआईएफटी से फैशन डिजायनिंग में टॉप करने और गोल्ड मेडल लेने के बावजूद अपना करियर फोटोग्राफी में बनाया। इस बारे में वे कहती हैं, मैं अपने अंदर की कला को प्रदर्शित करना चाहती हूं, फिर वो चाहे फैशन डिजायनिंग हो या फिर फैशन फोटोग्राफी। मुझे इसमें ज्यादा मजा आता है।
ऋचा के परिवार में कोई फैशन फील्ड से नहीं है फिर भी उन्होंने इसे अपनाया। ऋचा का कहना है कि उनके करियर को बनाने में उनके पिता और उनकी दादी का बहुत बड़ा योगदान है। पिता बिजनेस में थे, फिर भी उनकी ओर से उन्हें हमेशा बढ़ावा ही मिला। कोई दबाव नहीं था कि शादी करनी है या इंजीनियर-डॉक्टर बनना है। इसी तरह उनकी दादी उनकी प्रेरणा बनीं क्योंकि उन्होंने हर मोड़ पर उन्हें बढ़ावा दिया। ऋचा मानती हैं कि एक ट्रेडीशनल फैमिली होने के बावजूद उनकी दादी ने उन्हें जो प्रोत्साहन दिया दिया, उसका कोई जवाब नहीं है। अगर उनकी दादी ने उन्हें अकेले आने-जाने और काम करने की आजादी न दी होती तो वे इन मुकाम पर कभी नहीं पहुंच सकती थी।
पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, इस कहावत को चरितार्थ किया है ऋचा माहेश्वरी ने। ऋचा जब कॉलेज में ही थीं, तभी उन्होंने पेशेवर फोटोग्राफी करना शुरू कर दिया था। हालांकि उनके पास फोटोग्राफी में कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है। उन्होंने एनआईएफटी से कम्युनिकेशन डिजायनिंग का कोर्स किया था जिसमें फोटोग्राफी भी एक विषय था। बस, ऋचा का दिल इसी में रम गया, इतना रमा कि आज उनके देश के तीन शहरों में ऑफिस हैं।
वे कहती हैं, स्कूल में बहुत अच्छा रिजल्ट होने के बावजूद मैं फोटोग्राफी में आई। जॉब करने की कोई मजबूरी नहीं थी लेकिन फिर भी काम किया और एक बार जो काम शुरू किया, तो पेरेन्ट्स से कोई फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं ली। सब खुद ही बनाया। खुद हासिल करने का एक अलग ही मजा है। अपने ऊपर विश्वास और समस्याओं से, किसी भी चेलेंज से निपटना आना चाहिए।
फोटोग्राफी करियर में किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं आई, यह पूछने पर वे कहती हैं, नहीं, ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ बल्कि दिल्ली के लोगों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। मेरे लड़की होने के बावजूद लोगों ने इस प्रोफेशन को और मुझे अच्छी तरह अपनाया और बढ़ावा दिया। उनका मानना है कि फैशन फोटोग्राफी एक नया फील्ड है इसलिए इसमें अपार संभावनाएं हैं। देश- विदेश में इसकी डिमांड बढ़ रही है।
ऋचा की काबिलियत सिर्फ फोटोग्राफी तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह एक काबिल फिल्ममेकर भी हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश की महिलाओं के सशक्तिकरण पर बनाई अपनी शॉर्ट फिल्म- च्पहचान और च्आई चेलेन्ज यू के लिए जूरी कैटेगरी का प्रथम पुरस्कार भी पाया है। इसके अलावा उन्हें मोस्ट क्रिएटिव एंड इन्नोवेटिव कम्युनिकेशन डिजायनर अवॉर्ड और एनआईएफटी की तरफ से हाई स्पीड फोटोग्राफी के लिए रिसर्च एंड एफ्ट्र्स का पुरस्कार भी मिल चुका है।
उन्होंने देश के लिए कुछ करने का जज्बा बरकरार रखते हुए सामाजिक समस्याओं के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जैसे लाइफस्टाइल पाकिस्तान और इंटरनेशनल गल्र्स डे के अवसर पर जानीमानी फिल्मी हस्ती महेश भट्ट के साथ अनाथ बच्चियों के रैम्प वॉक शो का आयोजन। ऋचा को देश की लुप्त हो रही कलाओं को संजोए रखना भी पसंद है, उन्होंने एनआईएफटी के साथ वृंदावन की सांझी आर्ट पर भी काफी काम किया।
लड़कियों के लिए ऋचा का संदेश है कि महाभारत के अर्जुन की तरह आपकी नजर सिर्फ चिडिय़ा की आंख यानी कि अपने लक्ष्य पर होनी चाहिए, फिर कहीं कोई आपको हरा नहीं सकता। उनका मानना है कि पिछले कुछ समय से देश में मल्टीनेशनल कंपनियों के आने और ईकॉमर्स बढऩे से क्रिएटिव एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग ने काफी विकास देखा है। ऐसे में कमर्शियल फोटोग्राफी का क्षेत्र भी उठान पर है। आज लोग अपने विश्वसनीय फोटोग्राफर और अच्छे रिजल्ट्स के लिए पैसा खर्च करने को तैयार हैं। मेहनत करने से आप बाजार में अपनी अलग जगह बना सकते हैं। इसके अलावा फैशन के प्रति आपका जुनून और दृष्टि होना जरूरी है। आपका अपना तरीका होता है, वही आपको ऊपर ले जाता है। आपको मार्केट के लेटेस्ट ट्रेंड और डिमांड के हिसाब से काम करना होता है। अगर आप पीछे रह गए तो बस रह ही जाएंगे।
