हरिद्वार में बसे बीएचईएल ऑफिसर्स की कॉलोनी में पली-बढ़ी नेहा कांत के चारो तरफ ऐसे लोग थे जो अपने बच्चों को एक सफल इंजीनियर बनते हुए देखना चाहते हैं। लेकिन नेहा कुछ अलग, कुछ नया करना चाहती थी। 
उन्होंने सोसाइटी के प्रेशर को दरकिनार करते हुए अपने लिए इंजीनियरिंग के बजाय मिरांडा हाउस से साधारण ग्रैजुएशन करने के बाद एमबीए करने का निर्णय लिया और कुछ एक बड़ी कंपनियों में काम करने के बाद अपना स्टार्ट अप क्लोविया.कॉम शुरू किया। 
 
यूं हुई इस सक्सेस स्टोरी की शुरूआत
अपने एक विदेश यात्रा के दौरान नेहा को ये महसूस हुआ कि इंडियन वुमन के पास लॉन्जरीज़ सेगमेंट में ज्यादा चॉइस नहीं है। किसी भी तरह का डिज़ाइनर इनर वेयर छोटे शहरों में खरीद पाना कठिन था क्योंकि शॉप में ऐसे डिज़ाइन्स मिलते ही नहीं हैं, साथ ही ज्यादा कुछ ट्राई करना चाहो तो शॉपकीपर से इसपर ज्यादा कुछ पूछना मुश्किल होने लगता है। ये यही सोच थी जिसको लेकर नेहा ने अपनी रिसर्च शुरू की और अपने टेक सेवी हस्बेंड और एक लॉन्जरी डिज़ाइनर के साथ क्लोविया डॉट कॉम की स्थापना की। 
 

क्यों है क्लोविया खास

एक अच्छी टीम के साथ क्लोविया के सभी प्रोडक्ट्स इन हाउस ही बनाए जाते हैं। हां, इन प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले फेब्रिक, लेस आदि बिदेश से मंगाए जाते हैं। नेहा ने अब अपने प्रोडक्ट्स छोटे शहरों में बल्क में सप्लाई करने की तैयारी भी कर ली हैं। नेहा के अनुसार इस वेबसाइट की जो बात इसे एक सक्सेस स्टोरी बनाती है वो है यहां मिलने वाले एक से बढ़कर एक डिज़ाइन्स।

 
इसे मानती हैं अपनी सफलता की कुंजी– 
नेहा कड़ी मेहनत को मानती हैं सफलता की कुंजी।
 
एक शब्द में नेहा- खुद को मानती हैं कॉम्पिटिटिव और महत्वकांक्षी।
 

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