महिलाएं जब रेडीमेड स्वेटर को देखती है तो सोचती है कि हमारे स्वेटर इतने सफाई से क्यों नहीं बनते। अगर वह स्वेटर बुनते समय इन बातों का ध्यान रखें, तो उनके बुने हुए स्वेटर भी रेडीमेड स्वेटर के जैसे बेहतरीन बन सकते हैं –
- बार्डर हमेशा 10 या 11 नं. की सलाई पर ही बनाएं, क्योंकि बार्डर से ही स्वेटर की शोभा होती है।
- बार्डर को हमेशा डबल करके ही फं डालें। इससे बार्डर कसा-कसा होगा।
- स्वेटर एक ही व्यक्ति के हाथ से बुना जाना चाहिए। 2 लोगों के हाथों से बुने स्वेटर में सफाई नहीं आती।
- स्वेटर बुनते हुए अगर बीच में कभी उठना भी पड़े तो सलाई को पूरी करके ही उठें,2 सलाइयों में कभी भी फ. न छोड़े ऐसा करने स्वेटर में छेद हो जाता है।
- सफेद या लाइट रंग के ऊन से स्वेटर बुनते समय ऊन को निटिंग बैग में ही रखें और बुनाई शुरू करने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें।
- दो रंग की ऊन से स्वेटर बुने तो जितने फं. आप साधारण स्वेटर में डालती हैं उनसे 10-12 फं. ज्यादा डालें।
- जो बुनाई ज्यादा खुलती है उसमें 10-12 फं. कम और जो ज्यादा खुलती नहीं है उसमें 10-12 फं. ज्यादा डालें।
- ऊन का कोई भी परिधान बुनते समय हर सलाई में पहला फं. सी. बुने इससे गले की छटाई में सफाई आएगी।
- वी गला घटाते समय गले का फं. घटाने के बाद किनारे के 2 फं. सी. बुने। इससे गले की छटाई में सफाई आएगी।
- गोल गला घटाते समय गले के फं. घटाने है उन्हें बंद न करे बल्कि बिना बुने ही रहने दें। जब गले के बॉर्डर के फं. उठाने हों तो छोड़ें हुए फं. को 10 नं. की सलाई में डालें इनके बीच 2 से फं. उठाती जाएं।

बुनाई पैटर्न की भाषा को कैसे समझे –
जब आप बुनाई सीखना शुरू कर रहे हैं, तो यह जानना मुश्किल हो सकता है कि किसी भी बुनाई पैटर्न कैसे समझा जाए। कोई पैटर्न बुनने से पहले उसे बनाने की तकनीक को पूरी तरह पढ़ें। इससे आपको परिधान के अन्तिम रूप और उसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक का पता चल जाएगा। अधिकतर डिज़ाइनों में नीचे दिए घटक शामिल होते हैंः-
नाप/आकारः
डिज़ाइनों में वयस्कों के लिए छाती का नाप इंचों या सेंटीमीटर में और बच्चों का नाप उम्र के हिसाब से दिया होता है। फिर भी, यदि दिखाई गई पोषाक आपकी आवश्यकता से बड़ी या छोटी हो तो डाले गए फंदों को घटा अथवा बढ़ा कर उसे छोटा अथवा बड़ा किया जा सकता है।
सामग्रीः
यार्न की मात्रा, सलाइयों, बटन आदि सहित पोषाक के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री शामिल होती है।
खिंचावः
डिज़ाइन के निर्माण में खिंचाव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, जो पोषाक के सही माप को निर्धारित करता है। यदि आप पोषाक का नाप बिल्कुल सही चाहते हैं, तो प्रति वर्ग सेंमी./इंच में डिज़ाइन में बताए गए फंदे ही आने चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि दिया गया खिंचाव 25 फंदे X 30 पंक्तियां = 10 X 10 सेंमी. 8 नं. की सलाइयों पर स्टाकिंग स्टिच में बुनते हुए , उसे 8 नं. की सलाइयों से उसी प्रकार बनाने की कोशिश करें।
कहे गये फंदों से ज्यादा फंदे डालें (इस मामले में 25 फंदे) और निर्धारित सलाइयों (8 नं. की) का इस्तेमाल करते हुए कुछ और पंक्तियां बुनें। यह काम स्टाॅ.स्टि. में बुन कर बंद कर दें। बुने गये भाग को समतल स्थान पर रख कर निर्धारित फंदे गिन कर दोनों ओर एक-एक पिन लगा दें। इन दोनों पिनों के बीच की दूरी 10 सेमी. होनी चाहिए। यदि यह ज्यादा है तो आपके हाथ का खिंचाव डिज़ाइनर के हाथ के खिंचाव से ज्यादा है। छोटी सलाइयां लगाकर दोबारा बुनें। ज़रूरत पड़ने पर तब तक दोहराएं, जब तक खिंचाव सही न हो जाए। पंक्तियों के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
बुनाई संकेत चिन्ह –
सं. – सलाई, फं- फंदे/फंदा, सी.- सीधा, उ.- उल्टा, सेमी.- सेंटीमीटर, मी. – मीटर, नं.- नंबर, लं.- लम्बा या लम्बाई, स्टा. स्टि- स्टाकिंग स्टिच (1 सलाई सीधी, 1 सलाई उल्टी) क्रॉ.स्टि- क्रॉस स्टिच, गा.स्टि- गार्टर स्टिच, प्रत्येक सलाई में सभी फं. उल्टे), सिं.रि.- सिंगल रिब (हर सलाई में 1 फंदा सीधा 1 फंदा उल्टा), ड.क्रो.- डबल क्रोशिया, ट्रे- ट्रेबल ( क्रोशिया बनाते समय एक लूप में से धागे को तीन बार निकालना), चे.- चेन, स्लि.स्टि- स्लिप स्टिच, स्टि हो.- स्टिच होल्डर, मॉ.स्टि- मॉस स्टिच, ध.अ.क- धागा आगे करके।
ये भी पढ़ें –