वो पुराने खत-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Wo Purane Khat

Hindi Kahani: दीवाली की सफाई में जुटी थी नीलू और उसकी मदद कर रहा था उसका ग्यारह साल का बेटा वैभव।
कमरे की धूल और जाले साफ करते वक्त उसने कई बार वैभव से कहा…
” बेटा जाओ तुम कब से मेरे साथ काम करवा रहे हो। मैं अकेले कर लूंगी।”
“मम्मा मुझे मजा आ रहा है। मैं किताबें और सारे पेपर्स छांटने और इनसे धूल हटाने में आपकी मदद कर देता हूं। आप भी तो थक गई होंगी बहुत देर से काम कर रहीं हैं।”
“मेरा प्यारा बेटू.. अच्छा जल्दी जल्दी करना। एक एक कागज को इस तरह पढ़ने बैठे रहोगे तो अगली दीवाली तक ही सफाई हो पाएगी।”
इतना कहकर दोनों मां बेटा ठहाका लगाकर हंस पड़े।
“क्या बात है दोनों मां बेटा बड़े खुश हो रहे हो कोई लॉटरी लगी है क्या हमारी।”
नीलू के पति नीलेश ने मोबाइल से नजरें हटाते हुए कहा तो नीलू बोली… ” हां जी देखिए लाडले बेटे की लॉटरी ही लगी है। इतनी सारी पुरानी कहानियों की किताबें जो इसको आपकी पुरानी अलमारी से मिली है। जिसे वो सारा अभी ही पढ़ डालेगा।”
“नीलू अच्छी बात है यह तो। अपने बेटे को पढ़ने में तुम्हारी तरह ही रुचि है वरना आजकल के बच्चे तो सिर्फ मोबाइल और कंप्यूटर से चिपके नजर आते हैं।”
इतना कहकर वो फिर मोबाइल में बिजी हो गए और नीलू सफाई में लगी रही।
थोड़ी देर बाद वैभव एक चिट्ठी को बड़े ध्यान से पढ़ रहा था फिर वो अपनी मां से पूछता है… “मम्मा आप पापा को अपनी शादी से पहले ही जानतीं थी ना। आपकी लव मैरिज हुई है ना।”
“यह कैसी बातें कर रहा है बेटू आज तू। लगता है कहानियों का कुछ ज्यादा ही असर हो रहा है तुझ पर।”
“मम्मा ये लव-लेटर आपने ही तो पापा को लिखा था जब आप दोनों कॉलेज में थे।”
हे भगवान! ये कौन से लव-लेटर की बात कर रहा है? पता नहीं कौन सी चिट्ठी इसके हाथ में आ गई है?
झोल झाड़न को एक तरफ कर कुर्सी से उतर कर वो वैभव के पास बैठ गई।
“दिखाओ क्या मिला है तुम्हें। तुमको कहा था ना बाहर जाकर खेलो। मेरी बात क्यों नहीं समझ आती है तुमको।”
“मम्मा अब मैं बड़ा हो गया हूं। मुझे बताओ ना आपने पापा को प्रपोज किया था या उन्होंने आपको।”
“रुक बताती हूं मैं तुझे।” नीलू उसे मारने को उठी तो वो भाग खड़ा हुआ। नीलू ने उसके हाथ से वो लेटर छीन लिया।

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एक पल को वो भी धोखे में आ गई लिखावट तो उसके जैसी ही लग रही थी। बहुत पुराना खत था जो पीला पड़ गया था और लिखावट भी हल्की धुंधली हो गई थी। जैसे यादों पर धूल बिछी हो। उसने पढ़ना शुरू किया। यह तो उसका लिखा हुआ नहीं था। पूरा खत पढ़ने पर उसे खत लिखने वाले का नाम दिखा।
खत उसके पति नीलेश के नाम ही था और लिखने वाली का नाम था पूजा।
पूजा जो कि नीलेश की सीनियर थी और उससे प्यार करती थी। उस खत में उसने अपना प्यार कबूल किया था और नीलेश को उसके माता-पिता से मिलकर शादी की बात करने के लिए लिखा था।
‘अभी मंगनी कर लेंगे और शादी तुम्हारे बीए करने के बाद।’ जैसे जैसे नीलू वो खत पढ़ रही थी उसकी आंखें नम हो रही थी।
उसने उन कागजों के बीच और इस तरह की चिट्ठी ढूंढनी शुरू की तो उसे एक पुरानी फाइल में कई खत और ग्रीटिंग कार्ड्स मिले।
उसने उन सारे खतों को झाड़ कर अपनी डायरी में रख लिया।
फटाफट काम निपटाने लगी उसका पूरा ध्यान उन्हीं खतों पर था।
कभी नीलेश ने पूजा के बारे में उसे बताया नहीं यह सोचकर वह और दुखी हो रही थी। उन दोनो की शादी उनके माता-पिता की पसंद से ही हुई थी। नीलू ने तो शादी से पहले कभी निलेश को देखा ही नहीं था।
अपने बारे में तो सब बताया था उसने पर इतनी बड़ी बात नीलेश उससे छुपाता रहा। अगर वो किसी लड़की को पसंद करता था उससे प्यार करता था तो शादी मुझसे क्यों की? ये सवाल जो वो खुद से लगातार पूछ रही थी… उसे सारा दिन परेशान करता रहा और उसकी आंखों के आगे कई चित्र बनते बिगड़ते रहे।

कैसी होगी वो देखने में…? मुझसे लाख गुना सुंदर और आकर्षक दिखती होगी। दोनों की जोड़ी कैसी लगती होगी जब दोनों साथ रहा करते थे कॉलेज में। एक दूसरे का हाथ पकड़े कितने खुश रहते होंगे। वो बेकार में उनके बीच आई। पहले पता होता तो शादी से इंकार कर देती।
दो प्यार करने वालों को उसके कारण जुदा तो नहीं होना पड़ता।
उसका मन अनंत सवालों जवाबों से जूझ रहा था। क्या हुआ होगा उस लड़की का क्या उसने दोबारा शादी की होगी निलेश की तरह या अभी भी वह उसकी प्रेमिका है उसके साथ सोशल साइट्स पर एक्टिव या अभी भी उससे मिलने जाता है उसका पति।
नीलू की शादी के पन्द्रह साल हो रहे थे। इतने सालों बाद भी क्या अभी भी वह इस लड़की से प्यार करते होंगे।
नीलेश नोटिस कर रहा था कि नीलू के मन में कुछ चला रहा है वो परेशान हैं पर उसकी परेशानी का कारण वो नहीं जानता था। उसे लगा शायद दीवाली की सफाई में काम बढ़ने की वजह से वो थक गई।
“क्या हुआ है? उखड़ी-उखड़ी क्यों लग रही हो? कोई गलती हो गई है क्या हमसे जो जनाब हमसे नाराज़ हैं।”
नीलू ने चुप्पी साध ली थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह नीलेश से यह खत वाली लड़की के बारे में कैसे पूछे।
जब सब सो गए तब उसने अपनी डायरी से वो सारे खत निकाल कर एक-एक कर उन्हें टेबल लैंप की रोशनी से ही पढ़ना शुरू किया।
नीलेश को भी नींद नहीं आ रही थी उसने सिर्फ सोने का नाटक किया था।
नीलू की आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे।
“आज बिस्तर पर अपने आंसुओं की बाढ़ लाकर ही मानोगी।”
वह बिस्तर से उठकर बैठ गया।
” क्या बात है नीलू बताओ तो? आज दोपहर से देख रहा हूं तुम कुछ छुपा रही हो मुझसे। कोई बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है।”
नीलू ने वह सारे खत उसके सामने रख दिए ।
“क्या है यह?”
“आप खुद देख लीजिए उसने कमरे की लाइट्स ऑन कर दी।”
नीलेश ने खतों को देखते हुए कहा…
“यह कहां मिले तुमको?”
“मुझे नहीं आपके बेटे को मिले हैं। वो बड़ा हो रहा है और पढ़ने के साथ-साथ समझता भी है कि यह खत… खत नहीं लव लेटर हैं। उसे लगा कि मैंने ही आपको लिखे थे और हमारी लव मैरिज हुई है। वह नहीं जानता कि यह पापा की प्रेमिका के खत हैं।” नीलू चुप्पी तोड़कर चीख उठी थी।
“पहले शांत हो जाओ इस तरह चिल्ला क्यों रही हो? रात है घर में सब सो रहे हैं।
वह मेरा अतीत था जिसे मैं पूरी तरह भूल चुका हूं।”

“पर क्या वह लड़की आपको भूल चुकी है और सच बताइए क्या आप उसे भूल चुके हैं?”

“समय के साथ सब भूलना पड़ता है।
प्लीज नीलू बात समझो वह हमारा बचपना था। वह मुझसे दो साल सीनियर थी। उसकी शादी बीए पास करने के बाद ही उसके माता-पिता ने करवा दी थी। मुझे पढ़ना था अपना करियर बनाना था तब प्यार हो गया पर शादी के बंधन में नहीं बंध सकता था।”
“प्यार तो करती थी वो आपसे और आप अभी भी करते हैं उससे प्यार। झूठ मत बोलिएगा।”
“अब मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं। मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा, कोई दूसरी नहीं है मेरे जीवन में तुम्हारे सिवाय। वो भी मुझे भूल गई होगी। हम कभी मिले ही नहीं कॉलेज के बाद।”
“आप झूठ बोल रहें हैं।”
“विश्वास करो। पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की नींव पर ही टिका रहता है। इन खतों को तुमने पढ़ लिया है तो अब जला दो। बेटे को बोल देना तुम ही मेरी गर्लफ्रेंड थी और हो और रहोगी।”
नीलू नीलेश की बांहों में थी। वो खत उनके रिश्ते को तोड़ने में कामयाब नहीं हो पाए। अगले ही दिन नीलेश खुद अपनी उस प्रेमिका के खतों को जला रहा था जिससे कभी वो जान से ज्यादा प्यार करता था।