शादी के बरसों बाद इस तरह भागना: Hindi Vyang
Shaadi ke Barso Baad Iss Tarah Bhagna

Hindi Vyang: उसका कद छोटा था, लेकिन जबान लंबी थी। अक्सर ओछे लोगों की जबान लंबी ही होती है। कुछ लोग तो अपने ओछेपन को छुपाने के लिए ही अपनी जबान को लंबा कर लेते हैं। अक्सर ऐसे लोगों की जबान गुलाबी रंग का सांप प्रतीत होती है। मानो, जबान का सांप के साथ मुकाबला चल रहा हो कि कौन कितना ज़हर उगल सकता है। कुछ ओछे लोगों को लगता है कि वो नीच हरकतें करके ही अपनेआप को ऊंचे संस्कार वाला साबित कर सकते हैं।
उसके संस्कार इतने ऊंचे थे कि वो अपने सासू के सर पर सवार होना चाहती थी। ऊंचे संस्कारों के दावे जमीन पर नहीं बैठना चाहते। वो अभी-अभी पति के दोस्त के भाई के साथ एक क्लब से शराब पीकर लौटी थी और सासू द्वारा टोके जाने पर अपने ऊंचे संस्कारों का परिचय दे रही थी। उसे मालूम था कि ऊंचे संस्कारों को साबित करने के लिए उसे ऊंचे स्वर में गंदी बातें करनी पड़ेंगी। सासू जानना चाहती थी कि वो घर से साड़ी पहनकर निकली है तो फिर पैंट-शर्ट कहां पहन लिए? उसने जवाब देने के बजाए आरोप लगाया कि सासू के दिमाग में तो गंदगी भरी है, इसलिए उसका ध्यान ऐसी ही बातों की ओर जाता है। जवान ननद ने कहा, ‘भाभी आप चुप हो जाओ। आपके मुंह से शराब की बदबू आ रही है। उसने ननद पर हमला किया, ‘मेरे मुंह से कितनी भी बदबू आए लेकिन वो तेरी बनाई आलू की सब्जी में आने वाली बदबू से कम होती है। पति ऑफिस से लौट आया था, लेकिन उसकी बोलती बंद थी। इससे साबित हुआ कि उच्च कोटि के संस्कार पतियों की बोलती बंद कराने के हथकण्डे अच्छी तरह जानते हैं।
दुर्योग से मैं भी वहां पहुंच गया। उसकी जुबान कैंची की तरह चल रही थी। मैंने कहा, ‘बहू रानी शांति से काम लो। जल्दबाजी में बात बिगड़ जाती है। वो बोली, ‘तुम मुझे शांति की सीख कैसे दे सकते हो? तुमने तो खुद भाग कर शादी की है। मैं चौंका। मैंने भाग कर शादी की है, यह जानकारी तो मेरे लिए भी नई थी। हो सकता है कि ऊंचे संस्कार जब शराब में गोता लगाते हों तो हर प्रेम विवाह उनके लिए भाग कर की गई शादी होता हो। लेकिन प्रेम विवाह तो उसके सास-ससुर ने भी किया था। उन्हीं की संतान के साथ फेरे खाकर उसके ऊंचे संस्कार अट्टहास कर रहे थे। अचानक मुझे बचपन में देखी रामलीलाएं याद आ गईं जिनमें रावण इसी तरह अट्टहास करता था। अब रामलीलाओं के मंचन कम हो गये हैं। दुर्बुद्धि को मंथरा, कैकयी या रावण के पास नहीं भटकना पड़ता। वो ऊंचे संस्कारों के नशे में इतराते हैं। मैंने एक बार उसके हुलिये को देखा। फिर उसकी सासू की हालत को देखा। इसके पहले कि वो मुझे मेरी औकात बताने पर आमादा हो जाती, मैं खुद वहां से भाग खड़ा हुआ। वो पीछे से कह रही थी, ‘तुम जिस तरह से भाग रहे हो, उससे पता चलता है कि तुमने शादी भाग कर ही की थी।

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