sachcha-gyani
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एक बार एक गाँव की एक लड़की बिन ब्याही माँ बन गई। गाँव वालों को इससे बड़ा धक्का लगा। उन्होंने उसे बहुत मारा और कहा कि वह अपने बच्चे के पिता का नाम बताए। जब लड़की ने मुंह खोला तो उसे सुनकर गाँव वालों के मुंह खुले के खुले रह गए_ क्योंकि यह कोई और नहीं बल्कि जेन संन्यासी था जो गाँव के बाहर रहता था। गाँव के लोग गुस्से में उसके मठ पहुँचे और कहा तुमने हमारे गाँव की लड़की के साथ पाप किया है। ये देखो यह कहकर उन्होंने लड़की की गोद में मौजूद बच्चे की तरफ इशारा किया। जेन संन्यासी ने एक नजर उस पर डाला और फिर सवालिया लहजे में कहा। क्या वाकई?

संन्यासी ने बच्चे को अपनी गोद में उठाया और उसे बहुत प्यार और चाहत से देखा। हालांकि उसका नाम उस समय तक बदनाम हो चुका था। उसके सभी शिष्य उस पर थू-थू करने लगे और गाँव वालों के साथ ही एक एक करके चले गए। लेकिन वह लड़की अपने उस बच्चे के साथ संन्यासी के मठ में ही रुक गई। वह एक साल तक वहीं रही। एक साल के बाद गाँव वापस गई और गाँव वालों से कहा मैंने तुम लोगों से झूठ बोला था कि मेरे बच्चे का पिता वह जेन संन्यासी है। वह नहीं है। इसका पिता तो मेरा पड़ोसी था। गाँव वालों को फिर धक्का लगा। वह संन्यासी के पास पहुँचे और सब कुछ बताकर उससे माफी माँगी। संन्यासी ने फिर कहा, ऐसा था क्या? यानी ज्ञानी वह है जो गाढ़े वक्त पर दूसरे का दुख अपना ले। जब गाँव वाले लड़की को पीटते हुए संन्यासी के पास पहुँचे तो ज्ञानी संन्यासी जान गया था कि लड़की को इनके गुस्से से बचाने का यही रास्ता है।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)