Hindi Sad Story: रात काली थी और सड़कें वीरान। हल्की बारिश की बूंदें जमीन पर गिरकर एक अजीब-सी खामोशी बिखेर रही थीं। एक महंगी ब्लैक कार तेज़ रफ्तार से सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी। पीछे की सीट पर सिया बैठी थी, उसके चेहरे पर भय और विश्वासघात की लकीरें साफ़ झलक रही थीं। सामने ड्राइविंग सीट पर बैठा करण, उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था एक ऐसी मुस्कान, जो किसी साजिश से भरी हुई थी।
तो, मेरी मासूम सिया… अब क्या करोगी? मन ही मन करण ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
सिया की आंखें भर आईं। मन ही मन वह सोच रही थी, मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया और तुमने मुझे सिर्फ एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया?
करण मन ही मन हंस रहा था। प्यार? कैसा प्यार! ओह सिया, तुम सच में बहुत भोली हो। मैंने तुमसे कभी प्यार नहीं किया। तुम बस एक शिकार थी, मेरे खेल का हिस्सा। जो तुम समझ नहीं पाई और मेरे प्यार में दीवानी हो गई।
सिया का गला सूख गया। उसने सोचा भी नहीं था कि जिसे वह अपनी दुनिया समझ बैठी थी, वही उसकी सबसे बड़ी भूल बन जाएगा। यह सब दोनों मन ही मन सोच रहे थे। दोनों को पता नहीं था कि एक-दूसरे के मन में क्या चल रही है।
छह महीने पहले तक सब कुछ ठीक था। सिया एक मशहूर इंटीरियर डिजाइनर थी। उसकी ज़िंदगी में हर चीज़ बिल्कुल सही चल रही थी एक शानदार करियर, प्यार करने वाले दोस्त और एक खूबसूरत जिंदगी।
फिर उसके जीवन में करण आया। एक पार्टी में दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। करण बिजनेस टाइकून आदित्य मेहरा का सबसे भरोसेमंद आदमी था स्मार्ट, हैंडसम और हर लड़की का सपना। लेकिन उसे सिर्फ एक ही लड़की की तलाश थी सिया मल्होत्रा।
करण ने उसे पहली ही मुलाकात में अपने आकर्षण में बांध लिया। वो उसे खास महसूस कराता, उसके हर छोटे-बड़े काम में दिलचस्पी लेता और जब भी उसे ज़रूरत होती, वो हमेशा उसके साथ होता। धीरे-धीरे, सिया भी उसकी ओर खिंचने लगी। वो करण पर पूरी तरह विश्वास करने लगी थी।
पर उसे नहीं पता था कि यह सब एक सोची-समझी साजिश थी।
शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। सिया अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत दिन की तैयारी कर रही थी, जब अचानक राहुल, उसका सबसे पुराना दोस्त उससे मिलने आया।
सिया, मैं तुमसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता हूँ, राहुल ने गंभीर स्वर में कहा।
सिया ने मुस्कुराते हुए कहा, क्या हुआ? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो?
राहुल ने अपने फोन से एक वीडियो दिखाया। वीडियो में करण किसी अनजान आदमी से बात कर रहा था।
काम हो जाएगा। शादी के तुरंत बाद उसके नाम की सारी प्रॉपर्टी और कंपनी मेरे हाथ में होगी। बस कुछ कागज़ साइन करवा लेने हैं। फिर मुझे इसकी कोई ज़रूरत नहीं।
सिया के हाथ से फोन गिर पड़ा।
नहीं… ये सच नहीं हो सकता। करण मुझसे प्यार करता है!
राहुल ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, करण सिर्फ तुम्हें इस्तेमाल कर रहा है, सिया। ये उसकी चाल है। तुम उसे जितना जानती हो, वो उससे कहीं ज़्यादा खतरनाक है।
सिया को लगा जैसे ज़मीन हिल गई हो।
इस जख्म को लिए सिया चैन से जी नहीं पा रही थी। उसे अब तक अपनी किस्मत पर यकीन नहीं था कि जिससे वह इतना प्यार करते आई है, वो सब धोखे का हिस्सा था। उसे फंसाया गया। उसके प्यार का खिलवाड़ बनाया गया।
एक रात, सिया ने करण का पीछा करने का फैसला किया।
वो देखती है कि करण देर रात एक सुनसान जगह पर किसी आदमी से मिल रहा है। वो छुपकर उनकी बात सुनने लगी।
सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा है। सिया मुझ पर पूरा भरोसा कर चुकी है। शादी के बाद जब वो पेपर्स पर साइन कर देगी, तो उसके सारे पैसे और प्रॉपर्टी हमारे हाथ में होगी।
सिया के दिमाग में हलचल मच गई। वो बिना कुछ कहे वहां से चली आई।
अब उसे जवाब देना था… पर अपने अंदाज़ में।
अब सिया और करण की शादी का दिन आ गया। चारों तरह रोशनी और खिलखिलाते चेहरे थे सिवाए सिया के।
दिखावे के लिए सिया मुस्कुरा रही थी, लेकिन उसकी आंखों में एक अलग ही चमक थी। करण ने प्यार से उसका हाथ थामा और धीरे से कान में फुसफुसाया, आज से हम एक हो गए, मेरी जान।
सिया ने हल्के से सिर हिलाया। कुछ देर बाद, करण ने सिया के सामने कुछ पेपर रखे।
ये क्या है? सिया ने मासूमियत से पूछा।
बस कुछ फॉर्मेलिटीज़ हैं, तुम्हारी कंपनी से जुड़ी। साइन कर दो, ताकि सब कुछ आसानी से संभल जाए।
सिया ने मुस्कुराते हुए कागज़ उठा लिए।
पर इससे पहले कि वो साइन करती, दरवाजे पर दस्तक हुई।
पुलिस अंदर आ चुकी थी। करण चौंक गया।
ये… ये यहाँ क्या कर रहे हैं? उसने घबराते हुए पूछा।
सिया ने उसकी आँखों में देखा और कहा, करण, तुमने सोचा था कि मैं इतनी आसानी से बेवकूफ बन जाऊंगी? ये लो, मेरा जवाब!
सिया ने पेपर्स हवा में उछाल दिए।
ये असली डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। असली डॉक्यूमेंट्स तो पहले ही पुलिस के पास जा चुके हैं। और हां, ये रही तुम्हारी रिकॉर्डिंग।
सिया ने फोन पर करण की पूरी साजिश की रिकॉर्डिंग चलाई।
करण के चेहरे का रंग उड़ गया।
पुलिस इंस्पेक्टर ने आगे बढ़कर कहा, करण मेहरा, आपको धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के जुर्म में गिरफ्तार किया जाता है।
करण बुरी तरह बौखला गया। सिया, तुमने मुझे धोखा दिया?
सिया ने ठंडी हंसी के साथ कहा, धोखा? नहीं, करण। ये सिर्फ तुम्हारी ही चाल का जवाब था। सच्चा प्यार मैं करती थी, पर सच्चे प्यार के साथ विश्वासघात बर्दाश्त नहीं होता! तुमने एक लड़के दिल से, उसके अरमान के साथ खेला है। एक घिनौना खेल खेला है। तुम्हें मैं कभी माफ नहीं कर सकती। प्यार के दिखावे के साथ इतनी बड़ी साजिश थी। तुम इसी लायक हो करण!
करण को पुलिस ले गई और सिया ने एक गहरी सांस ली।
आज उसने खुद को बचा लिया था। प्यार अंधा हो सकता है, लेकिन सच्चाई हमेशा उसकी आंखें खोलने का तरीका ढूंढ ही लेती है। इस हादसे के बाद भी सिया अभी तक दिल से मुस्कुराना नहीं सीख पा रही थी। उसके मन में अभी भी सवाल था कि क्या प्यार में भी मिलावट संभव है। क्या इतना मुश्किल है प्यार करना? विश्वास करना? किसी पर जान छिड़कना? जो भी हो सिया इस दलदल से बाहर निकल गई और उसने कसम खा ली कि प्यार में धोखा कभी नहीं खाएगी।
