एक दिन सुबह – सुबह की बात है, एक संत अपनी कुटिया के बाहर टहल रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक तरूण नदी में डूब रहा है। वह नदी में कूदकर उसे बाहर निकाल लाए। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तो उसने अपनी जान बचाने के लिए संत को धन्यवाद दिया और बताया कि वह एक राजकुमार है, जो अपने मित्रें के साथ यहाँ स्नान के लिए आया था।
पर उसे डूबता देख मित्र वहाँ से भाग गए। इसके बाद उसने संत से कहा कि आप मुझे राजा के पास ले चलें तो मैं आपको अपनी जान बचाने के लिए पुरस्कृत कराऊंगा। संत मुस्कराए और बोले कि जब तुम बड़े हो जाओ तो यह साबित कर देना कि तुम्हारा जीवन वाकई इस लायक था कि उसे बचाया जाए। यही मेरा पुरस्कार होगा।
सारः जीवन की सार्थकता उसे सद्कार्याे में व्यतीत करने में है।
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