यह वाकया 1919 का है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस इंग्लैंड की यात्र पर थे। एक दिन वह अपने मित्र के साथ सड़क पर टहलकदमी कर रहे थे कि तभी एक अंग्रेज युवक उनके पास आया और बोला, “सर, पॉलिश कराएँगे?” नेताजी ने अपने चमकते जूतों की ओर देखा। फिर युवक से बोले, “यस”।
वह पॉलिश कराकर थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि एक अन्य अंग्रेज युवक उन्हें मिला और बोला, “सर क्या आप पॉलिश कराना चाहेंगे?”
नेताजी ने उसके आगे भी जूते कर दिए। वह युवक पॉलिश कर चलता बना। तब नेताजी के मित्र ने पूछा, “एक बार पॉलिश करवाने के बाद आपने दुबारा पॉलिश क्यों करवाई?”
नेताजी बोले, “बात दरअसल यह है कि मित्र अंग्रेजों से अपने जूतों पर पॉलिश करवाने में मुझे गर्व का अहसास होता।”
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