anokha kissa Chandni Chowk ka Motivational story
anokha kissa Chandni Chowk ka Motivational story

नीला दिन भर पढ़ते-पढ़ते बोर हो गई तो उसका मन हुआ कि या तो हाथ-पैर फटकारते हुए उछल-उछलकर नाचे, या फिर जोर-जोर से कलामुंडियाँ खाए, ताकि उसकी बोरियत खत्म हो! पर मम्मी और चिक्कू भैया कई दफा उसका मजाक उड़ा चुके थे। सो उसने बेवजह नाचने और कलामुंडियाँ खाने का आइडिया छोड़ दिया। हाँ, मूड बदलने के लिए चाँदनी चौक का एक चक्कर लगाने के लिए निकली। वहाँ थोड़ी देर घूमने के बाद, पास वाले गुलाबी पार्क में चली गई।

पर पार्क में आज बच्चे थे ही नहीं। देखकर नीला और भी परेशान! वह यों ही इधर-उधर टहल रही थी, इतने में दूर सफेद कपड़ों में एक सुंदर सी मुटल्ली लड़की दिखाई दी। वह गुलाबों की क्यारी के पास टहल रही थी। नीला उछलती – कूदती उस तक गई। बोली, “तुम… तुम कौन हो जी?” “मैं…? मैं हूँ परी, चमचम परी!” सफेद कपड़ों वाली मुटल्ली लड़की बोली । “अच्छा, मैं ही मिली हूँ तुम्हें मूर्ख बनाने को! सच-सच बताओ, तुम कौन हो?” नीला ने नाक चढ़ाकर कहा। “बता तो दिया न, मैं…मैं परी हूँ, परी!” सफेद कपड़ों वाली वह लड़की कुछ परेशान सी हो गई। “बातें तो ऐसे कर रही हो, जैसे बकरी हो!” नीला को गुस्सा आ गया। बोली, “अच्छा बताओ, तुम यहाँ आई किसलिए हो?” “मेरी एक सहेली रहती है यहाँ। उसका घर पास में है। तो मेरा घर भी पास में हुआ न!” वह सुंदर लड़की मुसकराई।

“अच्छा, कौन है वो? कहाँ रहती है?” नीला ने आँखें फैलाकर पूछा। परी हँसी। बोली, “मेरी सहेली का नाम है नीला। यानी वह तुम हो। और तुम जरूर पास में ही रहती होगी। है न!” सुनकर नीला भी हँसने लगी। “पर मैं पास में रहती हूँ, यह तुम्हें कैसे पता?” नीला ने जानना चाहा। “लो जी, कैसे नहीं पता! और तो और, मुझे तुम्हारे बारे में ढेर सारी बातें पता हैं। जैसे तुमने अभी-अभी आठवीं के पेपर दिए हैं। सारे पेपर तुम्हारे खत्म हो गए हैं और खूब अच्छे हुए हैं, तो तुम खुशी-खुशी यहाँ घूमने आ गईं। और भई, एक बात यह कि तुम्हें पेंटिंग करना पसंद है, नाचना-गाना पसंद है। यहाँ तक कि कलामुंडियाँ खाना भी। और बताऊँ, रसगुल्ले खाना पसंद है।” “हाँ, भई हाँ! बिल्कुल ठीक। पर तुम… तुम्हें कैसे पता?” नीला ने फिर पूछा। अब के परी बड़ी जोर से हँसी। बोली, “हम परियों को सब पता हो जाता है। अपने आप। समझीं, मिस नीला?” “ओह, परी! तब तो तुम परी हो। सचमुच!” नीला बोली। “क्यों, कोई शक…?” परी ने भौंहों में मुसकराते हुए पूछा। “तो तुम धरती पर क्यों आई हो अभी?” नीला की समझ में नहीं आया।” “अरे भई, घूमने! जैसे तुम घर में बैठे-बैठे बोर हो गई थीं, ऐसे ही मैं भी परीलोक में खासी बोर हो गई थी। सोचा, चलो धरती पर घूमने चलूँ।” चमचम परी ने कहा। “तो आओ, चलो झूलें।” नीला बोली। दोनों देर तक सामने वाले झूलनपरी झूले पर मजे से झूलती रहीं। झूलते – झूलते रात हो गई। पार्क में अँधेरा छाने लगा। घर जाने का समय हो गया था। तभी नीला को थोड़ी भूख सी लगी। बोली, “ओह, मेरा तो चाट खाने का दिल कर रहा है। चाँदनी चौक के लाला कचालूराम की चाट! … वाह, क्या स्वाद है उसका!” कहकर वह होंठों पर जीभ फिराने लगी। अब तो चमचम परी के मुँह में पानी आ गया। “अच्छा, ऐसी बढ़िया चाट होती है उसकी?” वह बोली, “तब तो मैं भी खाऊँगी।” नीला के पास पचास रुपए का नोट था। बोली, “चलो, पहले गोलगप्पे खाएँगे, फिर दही भल्ले।” * चमचम परी भी गई नीला के साथ। लाला कचालूराम की चाट ऐसी बढ़िया थी कि परी को बड़ा अच्छा लगा। उसने ढेर सारे गोलगप्पे खाए, फिर दही भल्ले की एक-एक कर सात प्लेटें! फिर एक प्लेट रसगुल्ले। फिर बढ़िया मलाईदार लस्सी भी पी। धरती की इतनी सारी चीजें चमचम परी ने पहली बार खाई थीं। खाकर बोली, “वाह-वाह, धरती के क्या कहने!” मगर नीला कुछ परेशान थी। बोली, “ओ सहेली, अब क्या होगा? मेरे पास तो केवल पचास रुपए का नोट है। कुछ तुम्हारे पास…?” परी हँसी। बोली, “कोई बात नहीं, नीला। अब मैं कुछ करूंगी।” उसने फूँक मारी तो नीला के हाथ में पचास के एक नोट की जगह पचास रुपए के नए कुरकुरे नोटों की पूरी गड्डी आ गई। नीला का चेहरा खिल गया। मजे से पैसे चुकाकर दोनों आगे बढ़ीं। “अब तो देर हो गई है। फिर किसी दिन आकर घूमेंगे।” कहकर चमचम परी नीला के साथ वापस चल पड़ी। रास्ते में एक जगह मोटे लाला विलायती शाह सुंदर-सुंदर मोतियों की मालाएँ और बालों में लगाने वाले क्लिप बेच रहे थे। उनकी तोंद ऐसी जबरदस्त थी कि देखकर चमचम परी हँसते-हँसते लोटपोट हो गई। नीला भी हँसी। उन दोनों को हँसते देखकर लाला विलायती शाह इतना हँसे, इतना हँसे कि उनकी टोपी उछलकर नीचे गिरी और हवा में टप्पे खाने लगी। यह मजेदार दृश्य देखकर वहाँ अच्छी-खासी भीड़ जमा हो गई। लालाजी के पास मोतियों की मालाएँ वाकई सुंदर थीं।

क्लिप भी अच्छे, रंग-बिरंगे थे। चमचम परी ने अपने लिए मोटे-मोटे नीले मोतियों की माला पसंद की और एक सतरंगा क्लिप। नीला और चमचम परी लौटकर घर पहुँचे तो नीला बोली, “अरे, आज तो टी.वी. पर मेरा मनपसंद प्रोग्राम ‘नॉडी’ आना था। देखोगी तुम चमचम परी?” “टी.वी.! भला यह क्या होता है?” चमचम परी चकराई। देखकर नीला हँसते-हँसते लोटपोट। बोली, “अरी बुद्धू, टी.वी. नहीं जानती? टी.वी. माने टेलीविजन! उसमें हमलोग एक जगह बैठकर सारी दुनिया के प्रोग्राम देख लेते हैं। तुम्हारे परीलोक में क्या नहीं होते टी.वी.?” “न…न!” चमचम परी शर्मिंदा होकर बोली, “मैंने तो कभी ऐसी चीज के बारे में नहीं सुना। हाँ, जो कुछ हमें देखना होता है, हम छड़ी घुमाते हैं और देख लेते हैं। मगर टी.वी. तो हमारे यहाँ नहीं है।” “तो चलो, अब देखो टी.वी.! और टी.वी. पर ‘नॉडी’ की कार्टून फिल्म।” नीला चहककर बोली। वाकई एक नन्हें से भोले बच्चे नॉडी को लेकर बनाई गई यह कार्टून फिल्म इतनी मजेदार थी कि नीला और चमचम परी दोनों ही हँसते-हँसते लोट-पोट हो गईं। चमचम परी बोली, “अब मैं परीलोक वापस जाऊँगी तो परीरानी को बताऊँगी इस जादुई शै के बारे में। हो सकता है, तब वे भी किसी इंजीनियर से कहकर ऐसा ही टेलीविजन बनवा लें।” इतने में नीला का मोबाइल बजा – टुन टुन टुन, टुन टुनटुन, टुन्न… टुन्न! नीला ने झट से मोबाइल उठाया और अपनी सहेली से बातें करने लगी। बोली, “अरी पिंकी, मैं तो बहुत बिजी हूँ। मेरे घर परीलोक से चमचम परी आई है। तो फिर बता, भला मैं तेरे घर कैसे आऊँ? … अच्छा चल, बता क्या तू परी से मिलेगी? सचमुच की परी है। है तो बड़ी सुंदर, मगर जरा बुद्धू है!” इस पर पिंकी की हँसी की आवाज सुनाई दी। फिर वह बोली, “ठीक है, ठीक है! फिर मैं ही तेरे घर आ जाती हूँ। चमचम परी को भी देख लूँगी और फिर सब मिलकर साथ-साथ डांस करेंगे।” थोड़ी देर में वाकई पिंकी आ गई। नीला, पिंकी और चमचम परी सबने मिलकर खूब डांस किया। फिर चमचम परी ने विदा लेते हुए कहा, “अच्छा नीला, अच्छा पिंकी, अब मैं चलती हूँ। कुछ दिन बाद तुम्हारी गरमी की छुट्टियाँ होंगी, तो फिर आऊँगी।” नीला को याद आया। बोली, “ओ चमचम परी, भूल गईं, तुमने चाँदनी चौक में घूमते हुए अपने लिए नीले मोतियों की माला और एक सुंदर क्लिप लिया था? उसे अभी पहन लो न!” नीला ने चमचम परी के गले में नीले मोतियों की माला डाली और क्लिप लाकर दिया। पिंकी ने चमचम परी के बालों में सतरंगा क्लिप लगाया। फिर देखते-ही-देखते नीला और पिंकी को ‘बाय-बाय’ करके चमचम परी आसमान में उड़ चली। हालाँकि उसे धरती की बहुत याद आ रही थी, नीला और पिंकी की भी। उधर नीला को लगता, जैसे चमचम परी कहीं गई नहीं है, सब ओर उसकी मीठी हँसी सुनाई दे रही है- खिल-खिल-खिल… खिल-खिल, खिल-खिल…!