भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
मोबाइल में एक गिलहरी रहती थी। बहुत ही शरारती। फुदक-फुदक कर पेड़ों पर चढ़ जाती। पूंछ उठा ची-ची चिल्लाती। कभी लगता मोबाइल से निकल उसके हाथ पर बैठ जाएगी।
मानसी उठते ही बिस्तर में मोबाइल में छिपी गिलहरी को जगा देती। उसे देखते रहना उसे बहुत पसंद था।
मोबाइल मम्मी का था। अब इस पर कब्जा मानसी का था। जब से लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए, पूरा दिन घर में ही रहना पड़ता। बाहर भी नहीं निकल सकते थे। पार्क में जाकर और बच्चों से खेलना बंद। पढ़ाई भी रोज मोबाइल से ही ऑनलाइन होती।
अतः मोबाइल में छिपे जानवरों को देखना ही खेल था मानसी के लिए। चार साल की उम्र में उसे मोबाइल ऑन करना, यू ट्यूब खोलना और चलाना भी आ गया था।
स्कूल बंद होने से घर में समय ही समय था। बाहर निकल नहीं सकते थे। अतः मोबाइल से गिलहरी के बाद हाथी, भालू, शेर, गीदड़, जेबरा, जिराफ और न जाने क्या-क्या निकलते। मोबाइल में हाथ चलने पर छोटा भीम, मोटू-पतलू, शिनचैन, हगेमारू और कई कथा कहानियां चलती रहतीं।
स्कूल से टीचर ऑनलाइन क्लास लेने लगी तो मानसी मोबाइल की वीडियो ऑफ कर बाहर निकल जाती।
मानसी सुबह उठते ही लिहाफ में छिपकर मोबाइल देखती रहती। लगातार मोबाइल देखने से उसकी आंखें लाल रहने लगी। कई तरह की घोस्ट स्टोरीज से रात को वह बिदकने लगी।
आंखें लाल रहने पर मानसी को डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा।
“मोबाइल से अब दूर रहो बेटी! आप की आंखें खराब हो जाएंगी। डरावनी स्टोरीज देखने से रात में डर लगेगा।” डॉक्टर ने प्यार से समझाया।
आंखें दुखने के डर से मानसी धीरे-धीरे मोबाइल से दूर होने लगी और मम्मी के साथ लुडो, पज्जल गेम्स, सांप-सीढ़ी जैसे खेलों की ओर ध्यान देने लगी।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
