Hindi Kahaniya: आज शालिनी बहुत खुश थी, और होती भी क्यों नहीं। आज इतने दिनों बाद उसे वह सुख मिला था, जिसके लिए वह तरस गई थी। साथ ही दुनिया भर के तानों से वह तंग आ गई थी। उसके साथ साथ उसके ससुराल वाले भी आज बहुत खुश थे। आज उसकी गोद भराई की रस्म थी।
प्रतिष्ठित घराना होने की वजह से काफी मेहमान आए हुए थे। जो शालिनी को बधाई के साथ—साथ उपहार और आशीर्वाद भी दे रहे थे। पूरे मोहल्ले में रौनक छाई हुई थी। शालिनी और उसके ससुराल वाले पूरी गर्म जोशी से सभी मेहमानों का अभिवादन कर रहे थे।
“शालिनी, आज तो तू बहुत खुश होगी। वैसे भी बुरे दिन देखने के बाद जब अच्छे दिनों से सामना होता है तो खुशी दोगुनी हो जाती है।” शालिनी की कॉलेज फ्रेंड अंजलि उसके पास आते हुए बोली। उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान सजी हुई थी। अंजलि की बात सुनकर शालिनी भी मुस्कुरा उठी। उसने कोई जवाब नहीं दिया।
“यार! दो साल की मेहनत आखिर रंग लाई। जीजा जी को खास मशक्कत करनी पड़ी होगी।” अंजलि ने मज़ाक़िया अंदाज में कहा लेकिन यह बात सुनते ही शालिनी के चेहरे के भाव बदल गए।
“क्या खाक मेहनत की थी जीजा जी ने!” शालिनी ने मन ही मन कहा और खुद में ही खोती चली गयी ।
“मेरे तो कर्म ही फूट गए थे, जो इस बाँझ से अपने बेटे की शादी करा दी। दो साल बाद भी कोई खुशखबरी ना दे सकी। अगर मुझे पता होता तो अपने बेटे की इससे शादी ही नहीं करवाती।” शालिनी की सासू माँ बड़बड़ाए जा रही थी। उनके चेहरे पर गुस्से का भाव साफ दिखाई दे रहा था।
“अब मुझे वैद्य जी के पास जाकर जड़ी बूटी लानी ही पड़ेगी, इन लोगों के भरोसे कुछ नहीं होने वाला।” सासू माँ लगातार बड़बड़ाती जा रही थी।
किचन में काम करती हुई शालिनी ने एक पल के लिए उनकी तरफ देखा और फिर अपनी नज़रें झुका ली। वह अपने काम में व्यस्त हो गई। शाम को जब उसका पति आया तो शालिनी उसके सामने खड़ी थी।
“मैंने आपसे कितनी बार कहा है कि किसी दिन डॉक्टर के पास चलते हैं। कमी किसमें है पता लग जाएगा। रोज रोज के ताने से मैं तंग आ गई हूँ।” शालिनी भरपूर गुस्से में लग रही थी क्योंकि बिना कोई टेस्ट करवाए सभी लोगों ने उसे ही दोष दे रहे थे। सभी को यही लगता था कि उसी में कुछ कमी है।
दूसरे दिन जब वे दोनों डॉक्टर के पास गए तो टेस्ट रिपोर्ट्स पर नजर डालने के बाद डॉक्टर ने बारी बारी से दोनों की तरफ देखा।
“आप में तो कोई कमी नहीं है लेकिन आपके पति के स्पर्म काउंट की मात्रा बहुत कम है। ये चाहकर भी आपको माँ बनने की खुशी नहीं दे सकते।” डॉक्टर ने शालिनी ने की तरफ देखते हुए कहा। शालिनी कुछ ना कह सकी। दोनों वापस घर आ गए।
ठीक उसी दिन शाम को उसकी सासू माँ उसके लिए जड़ी बूटी लेकर आ गई।
“यह वैद्य जी ने दी है, इसे समय पर खाना, जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा।” सासू माँ ने शालिनी को जड़ी बूटी देते हुए कहा।
महीने दो महीने जड़ी बूटियाँ खाने के बाद भी जब कोई असर नहीं हुआ तो सासू माँ एक बार फिर झल्ला उठी।
“अगर कोई खुशखबरी नहीं दे सकती तो कम से कम मेरे बेटे को तलाक ही दे दे। ताकि मैं एक अच्छी सी लड़की देखकर उसकी दूसरी शादी करवा सकूँ।” शालिनी की सासू माँ सुबह सुबह फिर से शुरू हो गई लेकिन इस बार भी शालिनी ने कोई जवाब नहीं दिया।
वह मन मारकर चुप रह गई। वह नहीं चाहती थी कि घर में कोई कलह हो और ना ही अपने पति की कमजोरी को सबके सामने उजागर करना चाहती थी।
“बेशर्मी तो देखो, मुँह से बोल तक नहीं फूट रहे है। अरे भाई! बोलेगी कैसे? बोलने के लिए कुछ होना भी तो चाहिए।” शालिनी की सासू माँ ने फिर से ताना मारा।
आखिर वह भी कब तक चुपचाप सुनती रहती। उसके सब्र का बाँध टूट चुका था। लेकिन फिर भी उसने खुद पर कंट्रोल किया। हमेशा शाँत रहने वाली शालिनी आज गुस्से से धधक रही थी।
उसने तुरंत कमरे में जाकर अपना बेग पैक किया और अपने मायके चली गई। वह अपनी जिंदगी से तंग आ चुकी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करे। जीवन नर्क जैसा लगने लगा था। जबकि उसकी कोई गलती भी नहीं थी।
“हाय शालिनी! आज यहाँ कैसे?” शालिनी को मार्केट में शॉपिंग करते देख अनिरुद्ध उसके सामने आकर खड़ा हो गया। वह उसका कॉलेज फ्रेंड था या यूँ कहें कि वह शालिनी का बॉयफ्रेंड था तो गलत नहीं होगा।
“घर आई थी तो आज घर के लिए सामान खरीदने आ गई। तुम बताओ, तुम कहाँ भटक रहे हो?” शालिनी ने सवाल किया।
“अब तुम्हें कैसे बताऊँ कि मैं कहाँ भटक रहा हूँ! जब से तुम मेरी लाइफ से गई हो तब से भटक ही तो रहा हूँ। यह कोई नई बात थोड़े ही है।” अनिरुद्ध ने मायूस सी शक्ल बनाते हुए कहा।
“शादी की या नहीं अभी तक?” शालिनी ने पूछा
“बताया तो, तुम्हारे जाने के बाद से मैं भटक ही रहा हूँ। शादी का ख्याल तो दूर की बात है।” अनिरुद्ध ने कहा और प्यार भरी नजरों से शालिनी की तरफ देखने लगा। तभी शालिनी के दिमाग में अचानक कुछ आया।
“अनिरुद्ध, क्या तुम अभी भी मुझे उतना ही प्यार करते हो?” शालिनी ने पूछा
“हाँ, मैं तुम्हें अभी भी उतना ही प्यार करता हूँ लेकिन तुम यह क्यों पूछ रही हो?” अनिरुद्ध ने सवाल किया।
“अनिरूद्ध, अगर मैं तुमसे कुछ माँगू तो क्या तुम मुझे दे पाओगे? पीछे तो नहीं हटोगे?” शालिनी ने गंभीर होकर पूछा तो अनिरुद्ध हड़बड़ा गया।
“क्या हुआ अनिरुद्ध? डर गए क्या?” शालिनी मुस्कुराई।
अनिरुद्ध तुरंत बोल उठा, “नहीं नहीं! डरा नहीं हूँ! तुम बताओ, तुम्हें क्या चाहिए? तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।”
फिर शालिनी ने जो कहा उसे सुनकर अनिरुद्ध की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसकी आँखें चमक उठी थी लेकिन साथ ही साथ उसे थोड़ी हैरानी भी हुई।
अगले ही दिन वे दोनों एक होटल के कमरे में मौजूद थे। अनिरुद्ध पागलों की तरह शालिनी को ऐसे चूम रहा था जैसे दोबारा वह उसे नहीं मिलने वाली हो और सचमुच वह उसे कहाँ मिलने वाली थी।
उसने अनिरुद्ध से बच्चे की माँग की थी और उसकी इस माँग को पूरी करने के लिए आज दोनों होटल के इस कमरे में मौजूद थे। शालिनी भी अनिरुद्ध का पूरा साथ दे रही थी। जल्द ही दोनों एक दूसरे में डुबकियाँ लगा रहे थे। एक को देह चाहिए थी तो दूसरे को बच्चा चाहिए था।
दोनों के ही मन की मुराद पूरी हो रही थी। एक दूसरे को पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद दोनों ने साथ मिलकर खाना खाया और फिर एक दूसरे से विदा हो गए।
आज शालिनी को पहली बार ऐसा लगा था जैसे उसने किसी से प्यार किया हो। उसका पति तो सिर्फ अपनी ज़रूरतें पूरी करने ही उसके पास आता था और उसमें बच्चा पैदा करने की काबिलियत नहीं थी। लेकिन अनिरुद्ध ने उसको शारीरिक सुख तो दिया ही था। साथ ही उसे माँ बनने का सुख भी दे चुका था।
कुछ दिन बाद जब शालिनी वापस अपने ससुराल पहुँची तो उसकी सासू माँ दोबारा उसे जड़ी बूटियाँ देते हुए कहा- ” ये बड़ी करामाती जड़ी बूटियां है एक बहुत पहुंचे हुए वैद्य ने दी है इन्हें खा ले क्या पता इन्हीं की वजह से हमारे फूटे हुए करम अच्छे हो जाएं।”
सास के तानों से परेशान होते हुए शालिनी ने वे जड़ी बूटियां अपनी सास से ले ली और उन्हें खाने की जगह खिड़की से बाहर फेंक दी।
एक दिन उसे चक्कर से आने लगे। उल्टियाँ भी शुरू हो गई। उसका पति उसे डॉक्टर के पास ले गया।
“अरे! आपको परेशान होने की जगह खुश होना चाहिए। आप पिता बनने वाले हैं।” डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा तो शालिनी के पति की खुशी का ठिकाना न रहा।
घर पहुंचते ही-
“देखा, मैं एक नहीं ग्यारह बच्चों की पूरी क्रिकेट टीम पैदा कर सकता हूँ, कमी तुम्हारे अंदर ही थी, जो माँ की लाई जड़ी बूटियों से सही हुई और वह डॉक्टर तो साला पागल था जिसने कमी मेरे अंदर बताई थी।” शालिनी के पति का सीना गर्व से चौड़ा हो चुका था। वहीं उसकी बात सुन रही उसकी माँ भी बेहद खुश नजर आ रही थी।
लेकिन असलियत तो सिर्फ शालिनी को ही पता थी। वह मन ही मन मुस्कुरा उठी और इसलिए भी चुप रह गई क्योंकि उसे कोई बवाल नहीं मचाना था और दूसरे घर में आए खुशी के माहौल को वह गँवाना नहीं चाहती थी, वरना तो उसके लिए यह साबित करना कोई बड़ी बात नहीं थी कि उसका पति नामर्द था।
यह सब याद करके उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने घूम कर अपने सास ससुर और पति की तरफ देखा। वे पूरी गर्म जोशी से मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। उनके चेहरे खुशी से जगमगा रहे थे। शालिनी को भी तसल्ली थी कि अब कोई उसे बाँझ कहकर ताना नहीं दे सकेगा।
