Hindi Love Story: कल रात से ही वह उखड़ी-उखड़ी बातें कर रही थी। मुझे समझ आ गया था कि शायद कोई स्पेशल डे ही भूल रहा हूँ। सोशल मीडिया से जन्मदिन तो देख लिया कि, नहीं है। हमारे पहले मिलन की तारीख़ तो नहीं आज? पर मैं ठीक से याद नहीं कर पा रहा था। इतना याद है कि मौसम तो यही था; महीना ठीक-ठीक याद नहीं, तारीख़ की तो बात ही दूर। शायद कोई बात हुई हो, जिसे वह बताना ना चाह रही हो।
कोई बात नहीं, अब एक हसीन याद शरीके मोहब्बत और। मैंने आज शाम का ख़ाका खींचा। आफ़त को मौक़े में बदलने का मनसूबा।
“हम कहीं जा रहे हैं आज?” उसने निर्जल स्वर में पूछा, जब उसे समझ आया कि, कार शहर से बाहर निकलने और मैं दुनिया को पीछे छोड़ने के मूड में हूँ।
“कहीं जाना था क्या? मैं तो बस यूँ ही ड्राइव पर जाने की सोच रहा था।” आख़िर वही एक-दूसरे के झूठ, हमारे चेहरों की कसौटी पर कभी खरे नहीं उतर पाए। जो बीज है, चेहरे पर फसल भी उग आती है।
“ओके।” कहकर वह सड़क की ओर देखने लगी।
हमारे शहर के एक तरफ़ जंगल अब भी बचा हुआ है। पन्द्रह-मिनट की तेज़ ड्राइव के बाद मैंने कार, एक किनारे ज़्यादा खाली जगह देखकर खड़ी की।
“क्या हुआ?”
“कुछ नहीं।”
“आँखें बंद करो।”
“क्यों?” वह सवाल ही ना करती, अगर मोहब्बत का कुछ समाँ बन चुका होता।
“अरे करो तो।” उसके आँखें बंद करते ही मैंने उसकी आँखों में पट्टी बाँध दी। डिक्की से छोटी-छोटी दो फोल्डिंग चेयर और एक टेबल निकाल कर कार की ओट में इस तरह लगा दी कि सड़क से कुछ नज़र नहीं आना था। वैसे भी कार राँग साइड पर खड़ी थी और हाइवे पर तेजी से गुज़रती गाड़ियों को अंधेरे में क्या ही ढूँढने में दिलचस्पी होती। ठंड में हुई हल्की बारिश से छाया धुंधलका भी आ-बो-हवा रूमानी बना रहा था। मैंने साथ लाया सामान टेबल पर क़रीने से सजाने में, पाँच मिनट से भी कम वक़्त लिया।
“अरे वाह! सुपर्ब…पर यहाँ रोड पर?” उसने कहा जब मैंने उसकी आँखों से पट्टी हटा कर उसे कार से बाहर आने कहा। उसने मुझे किस किया और मुस्कान बिखेरती एक कुर्सी पर बैठते हुए कहा- “थैंक यू। मुझे तो लगा था तुम सब प्यार-व्यार भूल चुके हो और तुम्हें अपनी पहली डेट भी याद नहीं।”
मार्टिनी ग्लासेस में रेड वाइन के साथ मैं इश्क़ और तबस्सुम का तड़का लगा रहा था। वह मुझे चीजों को वैसे ही रहने देने को कहते हुए, फलों से भरी छोटी बाँस की टोकरी, फूलों के बीच से आती टॉर्च की बिल्कुल कम रौशनी, चॉकलेट की ट्रे और पिज़्ज़ा की फोटो लेने में मशगूल थी।
मैंने उसकी तल्लीनता देखी और फ्लैश लाइट में जगमताते उसके मुखड़े पर वह रूहानी ताक़त, जिसे कोई और देखे भी तो बर्दाश्त ना हो। आज फिर ज़िंदगी पर मुग्ध होते हुए मरने का इरादा पक्का कर लिया।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
